इनकम टैक्स से लेकर न्यूक्लियर तक… सरकार ने किए कई ऐतिहासिक बदलाव, जानें- 2025 क्यों रहा बड़े सुधारों का साल

Year Ender 2025: टैक्स में कटौती से लेकर फाइनेंशियल सेक्टर में सुधारों और हाल ही में लेबर कोड्स को लागू करने तक, 2025 में फोकस नियमों को आसान बनाने, अपराधों को कम करने, खपत बढ़ाने और देश में निवेश के माहौल को बेहतर बनाने पर था.

सुधारों वाला साल. Image Credit: AI

Year Ender 2025: भले ही केंद्र सरकार ने राज्यों को अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया, लेकिन उसने 2025 के दौरान कई पॉलिसी कदम उठाए जिनका मकसद नागरिकों के लिए बिजनेस करने में आसानी और जीवन जीने में आसानी को बेहतर बनाना था. टैक्स में कटौती से लेकर फाइनेंशियल सेक्टर में सुधारों और हाल ही में लेबर कोड्स को लागू करने तक, 2025 में फोकस नियमों को आसान बनाने, अपराधों को कम करने, खपत बढ़ाने और देश में निवेश के माहौल को बेहतर बनाने पर था.

अमेरिकी टैरिफ के बीच अहम कदम

ये कदम ऐसे समय उठाए गए जब अर्थव्यवस्था अमेरिका से भारी जवाबी टैरिफ का सामना कर रही थी, जिससे भारतीय निर्यात में रुकावट आने का खतरा था, और पिछले कुछ महीनों में मकसद यह सुनिश्चित करना था कि घरेलू अर्थव्यवस्था में कारोबारी माहौल मजबूत बना रहे.

MyGovIndia के एक ट्वीट में कहा गया, ‘सुधार की असली परीक्षा यह है कि क्या यह लोगों के लिए तनाव कम करता है. 2025 में शासन में एक स्पष्ट बदलाव आया, जिसमें सुधार परिणामों पर केंद्रित थे, न कि जटिलता पर. आसान टैक्स कानून, तेज विवाद समाधान, आधुनिक श्रम संहिताएं, और अपराध-मुक्त अनुपालन ने नागरिकों और व्यवसायों दोनों के लिए मुश्किलें कम कीं. जोर भरोसे, पूर्वानुमान और लंबे समय तक चलने वाले विकास पर था, जिससे पता चलता है कि अच्छी तरह से बनाई गई नीति कैसे चुपचाप रोजमर्रा की जिंदगी को बेहतर बना सकती है.’

इनकम टैक्स में राहत

सुधार प्रक्रिया फरवरी में केंद्रीय बजट 2025-26 के साथ शुरू हुई, जिसने 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स को भारी इनकम टैक्स राहत दी, जिस पर जीरो टैक्स लगता था. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को बदलने और भाषा को सरल बनाने के लिए एक नया इनकम टैक्स एक्ट भी लाया गया.

बिजनेस और कंज्यूमर्स को सपोर्ट

अगले कुछ महीनों में केंद्र सरकार ने बिजनेस और कंज्यूमर्स को सपोर्ट देने के लिए कई और कदम उठाए, जिसमें माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज को अधिक सपोर्ट देना और कई क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स की समीक्षा करना शामिल था, जिनसे छोटे और मीडियम बिजनेस और एक्सपोर्टर्स को नुकसान हो रहा था.

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अगस्त में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 भी पेश किया, जिसका मकसद 355 प्रावधानों में संशोधन करना है, जिनमें से 288 का मकसद बिजनेस करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए अपराधों को गैर-आपराधिक बनाना है और 67 का मकसद जीवन को आसान बनाना है.

जीएसटी में सुधार

केंद्र सरकार ने त्योहारी सीजन से पहले गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को भी तर्कसंगत बनाया, जिसमें 5% और 18% के दो मुख्य टैक्स स्लैब के साथ लग्ज़री और सिन गुड्स पर 40% की दर रखी गई. इसके परिणामस्वरूप नवरात्रि और दिवाली के दौरान रिकॉर्ड बिक्री हुई और इसका असर अभी भी प्राइवेट कंजम्पशन पर महसूस किया जा रहा है.

इंश्योरेंस में 100 फीसदी एफडीआई

फाइनेंशियल सेक्टर में भी केंद्र सरकार ने इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन में होने वाली लंबी देरी की समीक्षा करने के लिए कदम उठाए और इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी अमेंडमेंट बिल, 2025 पेश किया. इसने इंश्योरेंस में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की सीमा को बढ़ाकर 100% कर दिया है और सिक्योरिटीज मार्केट कोड बिल पेश किया है, जिसका मकसद तीन सिक्योरिटी कानूनों – सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया एक्ट, 1992, डिपॉजिटरी एक्ट, 1996 और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट, 1956 को एक सिंगल कोड में मिलाना है.

लेबर कोड्स

हाल ही में इसने लेबर कोड्स को लागू किया है जो 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाते हैं और कोडिफाई करते हैं, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने भी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के कामकाज को बेहतर बनाने और कस्टमर की शिकायतों को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं.

प्राइवेट सेक्टर के लिए न्यूक्लियर सेक्टर ओपन

केंद्र सरकार ने हाल ही में शिक्षा और न्यूक्लियर पावर सेक्टर में भी सुधार किए हैं, जिसमें SHANTI बिल भी शामिल है जो चुनिंदा नागरिक परमाणु परियोजनाओं को प्राइवेट और विदेशी कंपनियों के लिए खोलता है.

नए साल में भी रह सकता है सुधारों पर फोकस

नए साल 2026 में भी सुधारों पर लगातार फोकस रहने की संभावना है, संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए गए कई बिलों को आने वाले महीनों में आगे बढ़ाया जा सकता है. केंद्रीय बजट में भी डीरेगुलेशन पर फोकस जारी रहने की संभावना है, जिसमें कस्टम कानूनों में बड़े बदलाव की उम्मीद है. खास बात यह है कि सोलहवें वित्त आयोग की रिपोर्ट पर भी केंद्र सरकार विचार करेगी, जो इसकी कई पॉलिसी सिफारिशों को आगे बढ़ाएगी.

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