पब्लिक प्लेस में ब्लूटूथ ऑन रखना पड़ सकता है भारी, साइबर ठगों का शिकार बन रहे स्मार्टफोन यूजर्स, ऐसे रहें सेफ
आज के डिजिटल दौर में स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन छोटी-सी लापरवाही बड़ा नुकसान कर सकती है. पब्लिक प्लेस में ब्लूटूथ ऑन रखना अब सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि जोखिम भी बन गया है. साइबर ठग नए तरीकों से अनजान यूजर्स को निशाना बना रहे हैं, जिससे निजी डेटा और पैसों पर खतरा बढ़ गया है.
Bluetooth Cyber Attack: आजकल स्मार्टफोन यूजर्स की जिंदगी में ब्लूटूथ एक आम सुविधा बन चुका है. हेडफोन कनेक्ट करने से लेकर फाइल शेयरिंग तक, हम इसे हर समय ऑन रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पब्लिक प्लेस जैसे बस, ट्रेन, मॉल या कैफे में ब्लूटूथ ऑन रखना आपको साइबर ठगों के निशाने पर ला सकता है? हाल के दिनों में एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि अनजान डिवाइस से आने वाले पेयरिंग रिक्वेस्ट को स्वीकार करने से हैकर्स आपके फोन में घुसकर पर्सनल डेटा चोरी कर सकते हैं. यह एक नया तरह का साइबर फ्रॉड है, जिसे ब्लूजैकिंग, ब्लूस्नार्फिंग या ब्लूबगिंग कहा जाता है. आइए जानते हैं इस ठगी के बारे में विस्तार से.
ये ठगी है क्या?
यह ठगी ब्लूटूथ की कमजोरियों का फायदा उठाकर की जाती है. साइबर ठग पब्लिक प्लेस में आपके फोन के ब्लूटूथ को स्कैन करते हैं और अनजान डिवाइस से पेयरिंग रिक्वेस्ट भेजते हैं. अगर आप गलती से इसे स्वीकार कर लें, तो ठग आपके फोन तक पहुंच बना लेते हैं. इससे वे आपकी कॉन्टैक्ट्स, फोटो, मैसेज, बैंक डिटेल्स या यहां तक कि कॉल्स और कैमरा तक एक्सेस कर सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, यह ब्लूस्नार्फिंग या ब्लूबगिंग अटैक है, जिसमें हैकर्स बिना आपकी जानकारी के डेटा चोरी कर लेते हैं या फोन को कंट्रोल कर लेते हैं.
होती कैसे है?
यह ठगी मुख्य रूप से भीड़-भाड़ वाली जगहों पर होती है, जहां ब्लूटूथ की रेंज (लगभग 10-30 मीटर) में कई डिवाइस होते हैं. ठग स्पेशल सॉफ्टवेयर या डिवाइस का इस्तेमाल करके आपके फोन को डिटेक्ट करते हैं. फिर वे फेक पेयरिंग रिक्वेस्ट भेजते हैं, जो अक्सर आम डिवाइस जैसे हेडफोन या स्पीकर का नाम दिखाते हैं. अगर आप एक्सेप्ट कर लें तो –
- ठग आपके फोन से फाइल्स डाउनलोड कर लेते हैं.
- स्पैम मैसेज या फिशिंग लिंक भेजकर आगे ठगी करते हैं.
- फोन को पूरी तरह कंट्रोल कर कॉल्स सुनते हैं या मैसेज भेजते हैं.
बचाव के तरीके
- पब्लिक प्लेस में ब्लूटूथ हमेशा ऑफ रखें, सिर्फ जरूरत पड़ने पर ऑन करें.
- अनजान डिवाइस से आने वाले किसी भी पेयरिंग रिक्वेस्ट को कभी एक्सेप्ट न करें.
- फोन की सेटिंग्स में ब्लूटूथ को नॉन-डिस्कवरेबल मोड में रखें, ताकि आपका डिवाइस दूसरों को दिखाई न दे.
- फोन और ब्लूटूथ डिवाइस को हमेशा लेटेस्ट सॉफ्टवेयर से अपडेट रखें.
- अनजान मैसेज या लिंक पर क्लिक न करें और अगर शक हो तो साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें.
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