फॉरेक्स रिजर्व 693 अरब डॉलर के पार, सोने का भंडार 110 अरब डॉलर पहुंचा, किस वजह से मिल रहा है बढ़त को सपोर्ट?
देश की बाहरी आर्थिक स्थिति को लेकर एक सकारात्मक संकेत सामने आया है. केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों में विदेशी मुद्रा भंडार से जुड़ा अहम बदलाव दिखा है, जिसका असर रुपये, डॉलर और वैश्विक निवेश धारणा पर पड़ सकता है.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर मजबूती देखने को मिली है. वैश्विक स्तर पर डॉलर की कमजोरी और सोने की कीमतों में तेजी के बीच भारत का फॉरेक्स रिजर्व बढ़कर नए स्तर पर पहुंच गया है. Reserve Bank of India (RBI) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 19 दिसंबर को खत्म हुए हफ्ते में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 4.36 अरब डॉलर से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
फॉरेक्स रिजर्व 693 अरब डॉलर के पार
RBI द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 19 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 4.368 अरब डॉलर बढ़कर 693.318 अरब डॉलर हो गया. इससे पहले वाले सप्ताह में भी फॉरेक्स रिजर्व में 1.689 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी, जिसके बाद यह 688.949 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचा था. लगातार दूसरे हफ्ते आई इस बढ़त को देश की बाहरी आर्थिक स्थिति के लिहाज से सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में इजाफा
फॉरेक्स रिजर्व का सबसे बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets – FCA) का होता है. रिपोर्टिंग सप्ताह में FCA में 1.641 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 559.428 अरब डॉलर हो गया. डॉलर के लिहाज से देखें तो FCA में यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में उतार-चढ़ाव का असर भी शामिल रहता है.
सोने के भंडार ने भी बढ़ाया दम
इस हफ्ते सोने के भंडार में भी अच्छी-खासी बढ़त दर्ज की गई. RBI के मुताबिक, गोल्ड रिजर्व का मूल्य 2.623 अरब डॉलर बढ़कर 110.365 अरब डॉलर हो गया. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में तेजी का सीधा फायदा भारत के रिजर्व को मिला है.
स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) में भी हल्की बढ़त देखने को मिली. यह 8 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.744 अरब डॉलर हो गया.
वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ भारत की रिजर्व पोजिशन 95 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.782 अरब डॉलर हो गई.
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डॉलर-रुपया फॉरवर्ड प्रीमियम में गिरावट
इसी दौरान डॉलर-रुपया फॉरवर्ड प्रीमियम में कमजोरी देखी गई. एक साल का इम्प्लाइड यील्ड 8 बेसिस पॉइंट गिरकर 2.75 फीसदी पर आ गया, जबकि एक महीने का फॉरवर्ड प्रीमियम घटकर 39.50 पैसे रह गया. बाजार जानकारों के मुताबिक, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से आगे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और डॉलर पर दबाव इसकी बड़ी वजह है.
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