फिर होगा बैंकिंग का ‘महामर्जर’? 2026 में बदल सकता है सरकारी बैंकों का पूरा नक्शा, सरकार ने RBI के साथ शुरू की तैयारी
विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार चाहती है कि भारतीय बैंक सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया के बड़े बैंकों की कतार में खड़े नजर आएं. इसी दिशा में रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों के साथ शुरुआती बातचीत शुरू हो चुकी है.
PSU bank mergers: सरकारी बैंकों में एक बार फिर बड़े बदलाव की आहट सुनाई दे रही है. 2019-20 के मेगा मर्जर के बाद अब केंद्र सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSU Banks) के अगले चरण के Integration पर गंभीरता से विचार कर रही है. सरकार का मानना है कि भारत को आने वाले वर्षों में ऐसे बड़े और मजबूत बैंक चाहिए, जो देश की तेज आर्थिक रफ्तार, बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और Global competition का सामना कर सकें.
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार चाहती है कि भारतीय बैंक सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया के बड़े बैंकों की कतार में खड़े नजर आएं. इसी दिशा में रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों के साथ शुरुआती बातचीत शुरू हो चुकी है. संकेत साफ हैं कि साल 2026 में एक बार फिर PSU बैंक मर्जर की बड़ी घोषणा देखने को मिल सकती है.
क्यों फिर चर्चा में आया PSU बैंक मर्जर?
फिलहाल भारत में 12 सरकारी बैंक हैं. इनमें से सिर्फ State Bank of India ही दुनिया के टॉप 50 बैंकों में शामिल है. निजी क्षेत्र में HDFC Bank भी टॉप 100 से बाहर है. सरकार का मानना है कि बड़े बैंक होने से पूंजी मजबूत होगी, जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की मौजूदगी मजबूत होगी.
पहले भी हो चुका है बड़ा Integration
- सरकार पहले भी PSU बैंकों का विलय कर चुकी है.
- 2019-20 मेगा मर्जर में 27 सरकारी बैंक घटकर 12 रह गए.
- यूनाइटेड बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक में हुआ.
- सिंडिकेट बैंक का कैनरा बैंक में विलय हुआ.
- इलाहाबाद बैंक इंडियन बैंक में मिला.
- आंध्र बैंक और कॉरपोरेशन बैंक यूनियन बैंक में शामिल हुए.
- इससे पहले देना और विजया बैंक का विलय बैंक ऑफ बड़ौदा में हुआ था.
SBI का लंबा मर्जर सफर
SBI ने सबसे पहले अपने सहयोगी बैंकों को मिलाकर आकार बढ़ाया. साल 2017 में एसोसिएट बैंकों के विलय के बाद SBI की संपत्ति करीब 44 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई. इससे यह बैंक देश ही नहीं, दुनिया में भी मजबूत स्थिति में आया. सरकार मर्जर के साथ-साथ हिस्सेदारी बिक्री पर भी काम कर रही है. IDBI Bank में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया जारी है और लक्ष्य मार्च 2026 तक सौदा पूरा करने का है. इससे पहले सरकार IDBI में अपनी कंट्रोलिंग स्टेक LIC को बेच चुकी है.
मजबूत मुनाफा बढ़ा रहा है भरोसा
सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति अब पहले से काफी बेहतर है. FY26 की पहली छमाही में 12 PSU बैंकों ने करीब 93,675 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. पूरे साल में यह आंकड़ा 2 लाख करोड़ रुपये के पार जा सकता है. मजबूत मुनाफा सरकार को बड़े फैसले लेने का आत्मविश्वास दे रहा है.
विदेशी निवेश से भी बढ़ा सेक्टर का आकर्षण
बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में विदेशी निवेश बढ़ रहा है. Yes Bank, RBL Bank और बीमा सेक्टर में हुए बड़े सौदे दिखाते हैं कि विदेशी निवेशकों को भारत की वित्तीय प्रणाली पर भरोसा है. सरकारी बैंकों का अगला मर्जर चरण सिर्फ बैंकिंग सुधार नहीं, बल्कि भारत की लंबी आर्थिक रणनीति का हिस्सा है. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो साल 2026 में देश को और भी बड़े, मजबूत और ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी PSU बैंक देखने को मिल सकते हैं.
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