GST दर में बदलाव से खपत में होगी 1.98 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी, 85000 करोड़ के रेवेन्यू का हो सकता है नुकसान
GST Reforms: एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में मंगलवार को यह कहा गया. केंद्र ने GST में व्यापक सुधारों का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत 5 और 18 फीसदी की दो टैक्स स्लैब होंगे. केंद्र के प्रस्ताव पर बुधवार और गुरुवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक समिति चर्चा करेगी.

GST Reforms: प्रस्तावित गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) सुधारों के तहत दो-स्तरीय कर ढांचे और घरेलू सामान पर टैक्स की कम दरों से सालाना 85,000 करोड़ रुपये का औसत रेवेन्यू के नुकसान का अनुमान है, लेकिन इससे खपत में 1.98 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी. एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में मंगलवार को यह कहा गया. केंद्र ने GST में व्यापक सुधारों का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत 5 और 18 फीसदी की दो टैक्स स्लैब होंगे. यह वस्तुओं को ‘योग्यता’ और ‘मानक’ के रूप में वर्गीकृत करेगी. साथ ही पान मसाला और तंबाकू जैसी नुकसानदेह वस्तुओं सहित 5 से 7 चुनिंदा वस्तुओं पर 40 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा.
वेटेज औसत GST दर
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि प्रभावी वेटेज औसत GST दर शुरू में 14.4 फीसदी से घटकर सितंबर 2019 में 11.6 फीसदी पर आ गई. दरों को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्ताव को देखते हुए, प्रभावी भारित औसत GST दर घटकर 9.5 फीसदी हो सकती है. हालांकि, उपभोग में वृद्धि महंगाई दर को नहीं बढ़ाएगी, क्योंकि प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था में व्यापक उपभोग की वस्तुओं पर टैक्स कम होंगे. यह जीडीपी में 0.6 प्रतिशत की कुल वृद्धि के बराबर है.
महंगाई दर में गिरावट का अनुमान
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, हमारा मानना है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई दर 0.2 से 0.5 फीसदी तक नरम हो सकती है. चूंकि आवश्यक वस्तुओं (खाद्य, कपड़ा, आदि) की जीएसटी दर 12 फीसदी से घटकर 5 फीसदी होने की उम्मीद है, ऐसे में इस श्रेणी में CPI महंगाई दर भी 0.1 फीसदी से 0.15 फीसदी तक कम हो सकती है. इसमें यह माना गया है कि खाद्य वस्तुओं के मामले में 60 फीसदी लाभ यानी खुदरा मूल्य में उतनी कमी की जाएगी.
इसके अलावा, सर्विसेज की जीएसटी दरों के युक्तिसंगत बनाये जाने से 25 फीसदी लाभ आगे बढ़ाए जाने को ध्यान में रखते हुए, अन्य वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा महंगाई दर में 0.05 से 0.1 फीसदी की और कमी आएगी.
रेवेन्यू घाटा
एसबीआई रिसर्च ने कहा कि जीएसटी 2.0 व्यवस्था से औसतन 85,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू घाटा होने के बावजूद, खपत में 1.98 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष में, नई टैक्स दरों की अवधि अक्टूबर-मार्च मानते हुए रेवेन्यू घाटा 45,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
चालू वित्त वर्ष के बजट में घोषित इनकम टैक्स दरों कटौती के लाभ को मिलाकर दोनों उपायों के संयुक्त प्रभाव से अर्थव्यवस्था में कंजम्पशन एक्सपेंडिचर में 5.31 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्धि का अनुमान है. यह जीडीपी का लगभग 1.6 फीसदी है.
वित्त मंत्रियों की एक समिति करेगी चर्चा
केंद्र के प्रस्ताव पर बुधवार और गुरुवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक समिति चर्चा करेगी. मंजूरी मिलने के बाद, इसे अगले महीने जीएसटी परिषद की बैठक में पेश किया जाएगा.
जीएसटी की मौजूदा दरें
वर्तमान जीएसटी स्ट्रक्चर (जीएसटी 1.0) में चार दरें- 5, 12, 18 और 28 फीसदी हैं. ये दरें अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं.
मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी हैं. सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर 3 फीसदी, तराशे और पॉलिश किए हुए हीरों पर 1.5 फीसदी, और कच्चे हीरों पर 0.25 फीसदी.
तंबाकू उत्पादों और मोटर वाहन जैसी चुनिंदा वस्तुओं पर अलग-अलग दरों पर जीएसटी कंपनसेशन सेस भी लगाया जाता है. इस सेस का उपयोग राज्यों को जीएसटी सिस्टम में परिवर्तन के रूप में होने वाले किसी भी रेवेन्यू नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में जीएसटी में सुधारों की घोषणा की थी.
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