बेहद घातक है HAL का स्वदेशी ‘प्रचंड’, हिमालय में दुश्मनों की उड़ाएगी नींद; मिसाइल से रात में भी हमला करने में माहिर
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर 'प्रचंड' की डील की है, जिसकी डिलीवरी 2028 से शुरू होगी. यह हेलीकॉप्टर 15,000 फीट की ऊंचाई पर हमला करने में सक्षम है और इसमें एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम लगे हैं. भारतीय सेना और वायुसेना को मिलने वाला यह स्वदेशी हेलीकॉप्टर रणनीतिक रूप से बेहद अहम है और चीन-पाकिस्तान सीमा पर भारत की ताकत बढ़ाएगा.

HAL Prachand Helicopter: हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) ‘प्रचंड’ के लिए ऐतिहासिक डील की घोषणा की है. इस डील की कीमत 62,700 करोड़ रुपये है और मार्च 2028 से भारतीय सशस्त्र बलों को इन हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी शुरू हो जाएगी. यह डील ट्रेनिंग और इक्विपमेंट सहित है और इससे भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बड़ा बढ़ावा मिलेगा. इस डील के बाद भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ताकत मिलेगी. लेकिन आखिर यह ‘प्रचंड’ हेलीकॉप्टर है क्या, और यह भारतीय सेना के लिए इतना खास क्यों है यह जानना बेहद जरूरी है.
15,000 फीट की ऊंचाई पर कर सकता है हमला
LCH ‘प्रचंड’, HAL द्वारा पूरी तरह से भारत में डिजाइन और निर्माण किया गया एक मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है. इसका नाम ‘प्रचंड’ (अत्यंत शक्तिशाली) इसकी घातक क्षमताओं को दिखाता है. यह 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर भी प्रभावी ढंग से कार्य कर सकता है, जो इसे हिमालयी सीमाओं जैसे क्षेत्रों के लिए अत्यंत उपयोगी बनाता है.
इसमें एयर-टू-एयर मिसाइल्स, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल्स और रॉकेट्स लगे हैं, जो दुश्मन के टैंकों और बंकरों को ध्वस्त करने में सक्षम हैं. इसका डिजाइन रडार पर कम दिखाई देने वाला है, जिससे यह दुश्मन की निगाहों से बच सकता है. साथ ही इसमें नाइट विजन और इन्फ्रारेड सिस्टम लगे हैं, जिससे यह अंधेरे में भी सटीक हमला कर सकता है.
भारत की सुरक्षा के लिए क्यों जरूरी है ‘प्रचंड’
आज के दौर में और बदलती तकनीकी दुनिया में युद्ध अधिक एडवांस हो चुका है. अब ड्रोन, एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर की भूमिका लगातार बढ़ रही है. इस डील और इन हेलीकॉप्टरों के मिलने के बाद भारत, चीन और पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक बढ़त हासिल कर सकता है. LCH, हिमालय जैसे ऊंचे और कठिन इलाकों में बेहतर प्रदर्शन करता है, जहां पारंपरिक हेलीकॉप्टर असफल हो जाते हैं.
इससे भारत, चीन की गतिविधियों पर आसानी से नियंत्रण रख सकता है. साथ ही यह हेलीकॉप्टर पूरी तरह से भारत में निर्मित है, जिससे विदेशी हथियारों पर निर्भरता में कमी आएगी. यह लागत और जरूरतों के लिहाज से काफी बेहतर है. विदेशी हेलीकॉप्टरों (जैसे अमेरिकी Apache) की तुलना में यह सस्ता है, लेकिन भारतीय जरूरतों के अनुसार कहीं ज्यादा प्रभावी है.
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कब तक मिलेंगे ये हेलीकॉप्टर
HAL ने पुष्टि की है कि मार्च 2028 से LCH की पहली बैच की डिलीवरी शुरू होगी. कुल 156 हेलीकॉप्टर बनाए जाएंगे, जिनमें से 66 भारतीय वायुसेना को और 90 भारतीय थलसेना को मिलेंगे. HAL का लक्ष्य है कि 5.5 से 6 वर्षों के भीतर सभी हेलीकॉप्टर डिलीवर कर दिए जाएं.
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