अरावली में छुपा है खजाना, सब करते हैं जमकर कमाई, एक से एक दिग्गज शामिल

करीब 670 किलोमीटर लंबी अरावली रेंज गुजरात से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुई है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से अरावली की परिभाषा के फैसले के बाद यह सवाल और गहरा हो गया है कि आखिर ऐसा क्या है जो सरकारों, कंपनियों और पूरे सिस्टम को बार-बार अरावली की ओर खींच लाता है. आइए आसान भाषा में समझते हैं.

अरावली में छिपा है खजाना

देश की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावली आज केवल भूगोल या पर्यावरण का विषय नहीं, बल्कि यह राजनीति और न्यायपालिका के केंद्र में आ चुकी है. लगभग 670 किलोमीटर लंबी यह पर्वत श्रृंखला गुजरात से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुई है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से अरावली की परिभाषा के फैसले के बाद यह सवाल और गहरा हो गया है कि आखिर ऐसा क्या है जो सरकारों, कंपनियों और पूरे सिस्टम को बार-बार अरावली की ओर खींच लाता है. आइए समझते हैं.

दुनिया की सबसे पुरानी पहाड़ियों में से एक है अरावली

दरअसल अरावली रेंज की जड़ें सीधे जमीन के नीचे छुपे खनिज खजाने से जुड़ी हैं. जियोलॉजिस्ट के मुताबिक अरावली दुनिया की सबसे पुरानी फोल्ड माउंटेन रेंज में से एक है, जिसकी उम्र करीब 300 करोड़ साल मानी जाती है. Geological Survey of India यानी GSI की रिपोर्टों के अनुसार, इतनी प्राचीन चट्टानों में मेटलिक और नॉन-मेटलिक खनिजों का विशाल भंडार मौजूद है. यही वजह है कि अरावली को भारत की खनिज संपदा की रीढ़ कहा जाता है. इन खनिजों की कुल वैल्यूएशन अरबों डॉलर में आंकी जाती है, जो इसे आर्थिक रूप से बेहद अहम बनाती है.

हजारों साल पुराना है अरावली में खनन का इतिहास

अरावली में खनन कोई नई गतिविधि नहीं है. रिसर्च और पुरातात्विक रिसर्च से पता चलता है कि ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी से यहां तांबे की खदानें संचालित होती रही हैं. राजस्थान के उदयपुर जिले का जावर क्षेत्र इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. यह इलाका सीसा, जस्ता और चांदी के लिए प्रसिद्ध है और पूरी तरह अरावली पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत आता है. GSI के अनुसार, जावर जैसी खदानों से प्राचीन काल में धातुओं का उत्पादन कर दूर-दराज के इलाकों तक व्यापार किया जाता था.

जमीन के नीचे छुपे हैं 18 से ज्यादा बड़े खनिज

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्टें बताती हैं कि अरावली क्षेत्र में 18 से अधिक प्रमुख खनिज पाए जाते हैं. इनमें तांबा, जस्ता, सीसा, चांदी, सोना, मैंगनीज और टंगस्टन जैसे धात्विक खनिज शामिल हैं. इसके साथ ही फॉस्फोराइट, संगमरमर, ग्रेनाइट, जिप्सम, टैल्क, पाइरोफिलाइट, एस्बेस्टस, एपेटाइट, कायनाइट और बेरिल जैसे अधात्विक खनिज भी बड़ी मात्रा में मौजूद हैं. ये खनिज केवल खनन उद्योग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सीमेंट, स्टील, पावर, कंस्ट्रक्शन और इलेक्ट्रिक वाहन जैसे सेक्टर की रीढ़ माने जाते हैं.

राजस्थान है अरावली खनन का सबसे बड़ा केंद्र

बता दें अरावली से जुड़े खनन कार्यों का सबसे बड़ा केंद्र राजस्थान है, जहां करीब 90 फीसदी खनन गतिविधियां होती हैं. उदयपुर का जावर समूह और भीलवाड़ा की रामपुरा आगूचा खदान, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी जस्ता-सीसा खदान माना जाता है, इसी क्षेत्र में स्थित हैं. अलवर, जयपुर और राजसमंद जैसे जिले संगमरमर और ग्रेनाइट के लिए जाने जाते हैं. इन खदानों में Hindustan Zinc Limited जैसी दिग्गज कंपनी काम कर रही है, जो Vedanta Group का हिस्सा है. इसके अलावा राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड और कई निजी कंपनियां भी यहां एक्टिव हैं. इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस के अनुसार, राजस्थान देश के कुल खनिज उत्पादन में करीब 20 से 22 फीसदी का योगदान देता है.

राजस्थान के डिपार्टमेंट ऑफ माइन्स एंड जियोलॉजी के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य को करीब 6 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है.

एक से बढ़कर एक दिग्गज है शामिल

राजस्थान में Hindalco, Hindustan Zinc (Vedanta Group), Adani Enterprises, RSMMML, Gravita, Thriveni Earthmovers जैसी बड़ी कंपनियां और कई छोटे ठेकेदार (जैसे Galaxy Mining, Ganpati Enterprises, Dodkiya Infraprojects) एक्टिव हैं, जो लिग्नाइट, रॉक फॉस्फेट, जिंक, चूना पत्थर और दूसरे खनिजों का खनन करती हैं, जिसमें HZL की रामपुरा अगुचा खदान (जिंक और सीसा) और RSMMML की झामरकोटरा खदान (रॉक फॉस्फेट) प्रमुख हैं, जबकि सीमेंट उद्योग के लिए चित्तौड़गढ़ है, जहां कई बड़ी सीमेंट कंपनियां (जैसे UltraTech Cement, JK Cement) हैं.

जिप्सन के प्रोडक्शन में राजस्थान है टॉप पर

जिप्सम के प्रोडक्शन के मामले में राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जो देश के कुल प्रोडक्शन का लगभग 90 फीसदी से 99 फीसदी तक हिस्सा बनाता है, और इसके प्रमुख जिले बीकानेर, नागौर और जैसलमेर हैं, जहां बड़े भंडार पाए जाते हैं. इसका इस्तेमाल सीमेंट, प्लास्टर ऑफ पेरिस और जिप्सम बोर्ड बनाने में बड़े पैमाने पर होता है. खनन मंत्रालय और IBM के आंकड़ों के अनुसार, जिप्सम प्रोडक्शन में राजस्थान देश का अग्रणी राज्य है, जिससे राज्य की कमाई में बड़ा योगदान होता है.

हरियाणा और गुजरात में भी दिखता है खनन का असर

गुजरात में अरावली का हिस्सा सीमित है, लेकिन सिरोही और साबरकांठा जैसे जिलों में ग्रेनाइट, संगमरमर और चूना पत्थर का खनन होता है. हरियाणा में अरावली का केवल लगभग एक प्रतिशत हिस्सा आता है, फिर भी फरीदाबाद, गुरुग्राम और मेवात में खनन को लेकर सबसे ज्यादा विवाद सामने आते हैं. हरियाणा सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, खनन से राज्य का राजस्व 2013–14 में 5.15 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023–24 में 363.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.

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