भगोड़े विजय माल्या से बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूछा भारत लौटने का प्लान, बंद कर दिए इन दलीलों के लिए दरवाजे
सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की बेंच ने माल्या के वकील अमित देसाई से कहा कि जब तक माल्या विदेश में हैं, तब तक कोर्ट के दरवाजे इन दलीलों के लिए खुले नहीं हैं. अपने बचाव में माल्या के वकील ने तर्क दिया कि उनके क्लाइंट के फाइनेंशियल कर्ज असल में सुलझ गए हैं.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को भगोड़े बिजनेसमैन विजय माल्या से सीधे पूछा कि भारत लौटने के उनके क्या प्लान हैं. कोर्ट ने उनकी लीगल टीम को बताया कि जब तक वह खुद वापस आकर कोर्ट के सामने पेश नहीं होते, तब तक कोर्ट भगोड़े आर्थिक अपराधी (FEO) एक्ट के खिलाफ उनकी अपील नहीं सुनेगा. माल्या, जो 2016 से यूनाइटेड किंगडम में रह रहे हैं, फिलहाल हाई कोर्ट में उनकी दो लीगल रिक्वेस्ट पेंडिंग हैं. पहली रिक्वेस्ट में कोर्ट से उस ऑर्डर को कैंसिल करने की अपील की गई है, जिसमें उन्हें आधिकारिक तौर पर ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित किया गया था और दूसरी में कहा गया है कि 2018 का FEO एक्ट ही गैर-संवैधानिक है.
कोर्ट ने दलीलों के लिए बंद किए दरवाजे
सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की बेंच ने माल्या के वकील अमित देसाई से कहा कि जब तक माल्या विदेश में हैं, तब तक कोर्ट के दरवाजे इन दलीलों के लिए खुले नहीं हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि 70 साल के पूर्व शराब कारोबारी, जिन पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं, उन्हें पहले खुद कोर्ट में पेश होना होगा, तभी उनकी कानूनी शिकायतों पर विचार किया जाएगा.
अंतिम स्टेज में प्रत्यर्पण की प्रक्रिया
एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने माल्या की याचिकाओं के खिलाफ जोरदार बहस की. उन्होंने कहा कि जो लोग देश से भाग जाते हैं, उन्हें न्याय व्यवस्था से छिपते हुए वकीलों के जरिए भारतीय कानूनों की वैधता पर सवाल उठाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
मेहता ने समझाया कि FEO एक्ट खास तौर पर ऐसे लोगों को रोकने के लिए बनाया गया था, जो ट्रायल से बचने के साथ-साथ कानूनी सिस्टम का फायदा उठाते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि माल्या को प्रत्यर्पण के जरिए भारत वापस लाने की प्रक्रिया अभी आखिरी स्टेज में है.
कोर्ट ने आगे कहा कि वह माल्या को एक ही समय में दोनों याचिकाएं दायर करने की इजाजत नहीं देगा. जजों ने किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख से कहा कि वे आगे बढ़ने के लिए एक याचिका चुनें और दूसरी वापस ले लें.
माल्या के वकील ने क्या तर्क दिया
अपने बचाव में माल्या के वकील ने तर्क दिया कि उनके क्लाइंट के फाइनेंशियल कर्ज असल में सुलझ गए हैं. उन्होंने बताया कि सरकार ने 14,000 करोड़ रुपये की संपत्ति फ्रीज कर दी है और बैंक पहले ही बकाया 6,000 करोड़ रुपये वसूल कर चुके हैं. हालांकि, जज अपनी बात पर अड़े रहे और सवाल किया कि अगर आरोपी व्यक्ति जज के सामने पेश होने से मना कर दे, तो आपराधिक आरोप कैसे खत्म किए जा सकते हैं.
12 फरवरी को अगली सुनवाई
हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई 12 फरवरी को तय की है. उस तारीख तक, माल्या को आधिकारिक तौर पर कोर्ट को बताना होगा कि वह अपने दो कानूनी मामलों में से किसे जारी रखना चाहते हैं. माल्या मार्च 2016 में भारी लोन न चुकाने के आरोप लगने के बाद भारत छोड़कर चले गए थे. उन्हें 2019 की शुरुआत में आधिकारिक तौर पर भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया था.
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