2026 की पहली छमाही में ₹1.47 लाख पहुंचेगा सोना! एक्सपर्ट्स ने किया दावा, जानें क्या करेगा कीमतों को ट्रिगर
दुनिया भर के निवेशकों की नजर सोने पर टिक गई है. लगातार बदलते आर्थिक हालात और ग्लोबल अनिश्चितता के बीच इस बार की रफ्तार कुछ अलग दिख रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में सोने की चमक पहले से कहीं ज्यादा तेज हो सकती है.

Gold Price Prediction: सोने में निवेश करने वालों के लिए बड़ी खबर है. ब्रिटेन की मशहूर बैंक HSBC का कहना है कि आने वाले वर्षों में सोना नई ऊंचाई छू सकता है. बैंक ने अनुमान लगाया है कि 2026 की पहली छमाही तक सोने की कीमत 5,000 डॉलर (लगभग ₹1.47 लाख प्रति 10 ग्राम) तक पहुंच सकती है. इतनी तेज बढ़त अब तक के रिकॉर्ड स्तरों में से एक होगी.
क्यों बढ़ेगी सोने की कीमत?
रॉयटर्स ने HSBC के हवाले से रिपोर्ट किया है कि भूराजनैतिक तनाव, आर्थिक अनिश्चितता और नए निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी सोने को लगातार सहारा दे रही है. बैंक का मानना है कि इस बार जो नए निवेशक बाजार में आए हैं, वे केवल मुनाफे के लिए नहीं बल्कि सुरक्षित निवेश (safe haven) के रूप में लंबे समय तक सोने में टिके रह सकते हैं.
बैंक ने कहा कि केंद्रीय बैंकों की मजबूत खरीदारी, ETF में बढ़ते निवेश, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और वैश्विक व्यापार में टैरिफ को लेकर असमंजस जैसी वजहों ने सोने की रैली को और तेज किया है.
2025 और 2026 के लिए नया अनुमान
HSBC ने 2025 के लिए औसत सोने की कीमत का अनुमान 3,355 डॉलर से बढ़ाकर 3,455 डॉलर प्रति औंस किया है (करीब ₹107,322 प्रति 10 ग्राम). जबकि 2026 के लिए औसत अनुमान 3,950 डॉलर से बढ़ाकर 4,600 डॉलर (करीब ₹1.42 लाख प्रति 10 ग्राम) कर दिया गया है.
हाल ही में स्पॉट गोल्ड की कीमत 4,300 डॉलर (करीब ₹1.33 लाख प्रति 10 ग्राम) को पार कर गई, जो दिसंबर 2008 के बाद सबसे मजबूत साप्ताहिक बढ़त रही है. बैंक का कहना है कि 2026 की शुरुआत तक कीमतें ऊंची रह सकती हैं, हालांकि साल के दूसरे हिस्से में कुछ उतार-चढ़ाव संभव हैं.
अन्य बैंकों का भी सकारात्मक रुख
HSBC के अलावा Bank of America और Société Générale ने भी सोने के 5,000 डॉलर प्रति औंस(करीब ₹1.47 लाख प्रति 10 ग्राम) तक पहुंचने की संभावना जताई है. वहीं ANZ Bank का अनुमान है कि जून 2026 तक सोना 4,600 डॉलर (करीब ₹1.42 लाख प्रति 10 ग्राम) के स्तर को छू सकता है.
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विश्लेषकों का मानना है कि डॉलर की कमजोरी, वैश्विक राजनीतिक तनाव और आर्थिक नीतियों की अनिश्चितता के चलते सोने की मांग बनी रहेगी. केंद्रीय बैंकों, संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों की तरफ से लंबे समय तक सुरक्षित निवेश के रूप में सोना खरीदा जाता रहेगा.
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