ताज महल-रेड लेबल की चाय और विम-रिन जैसे प्रोडक्ट्स हुए सस्ते, स्किन प्रोडक्ट्स हुए महंगे; HUL ने कीमतों में किया बदलाव

HUL ने ब्रुक बॉन्ड, विम, रिन जैसे प्रोडक्ट्स की कीमतें घटाईं, जबकि डव, वैसलीन, पॉन्ड्स जैसे स्किन केयर प्रोडक्ट्स महंगे किए हैं. कंपनी का कहना है कि यह बदलाव कच्चे माल की लागत और बाजार कंपटीशन को देखते हुए किए गए हैं. अगर लागत घटती है, तो कीमतें फिर से कम की जाएंगी.

हिंदुस्तान यूनिलिवर Image Credit: TV9 Bharatvarsh

Hindustan Unilever Limited: अगर आप हिंदुस्तान यूनिलीवर के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं, तो इनकी कीमतों में बदलाव के लिए तैयार हो जाइए. दरअसल, देश की जानी-मानी FMCG कंपनी HUL ने अपने कुछ प्रोडक्ट्स की प्राइसिंग स्ट्रैटेजी में बदलाव किया है. जहां कंपनी ने चाय जैसे ब्रुक बॉन्ड ब्रांड और होमकेयर जैसे प्रोडक्ट्स जिनमें विम, रिन, व्हील, डोमेक्स, सनलाइट शामिल हैं, की कीमतों में कटौती की है, वहीं स्किन केयर प्रोडक्ट्स जैसे पॉन्ड्स क्रीम, डव साबुन, वैसलीन, ग्लो एंड लवली को महंगा कर दिया गया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कंपनी का कहना है कि वह कच्चे माल की लागत में बदलाव और बाजार की प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखकर यह कदम उठा रही है.

चाय और होमकेयर प्रोडक्ट्स क्यों हुए सस्ते?

कंपनी के मुताबिक, चाय और होमकेयर कैटेगरी में कच्चे माल की कीमतों में कमी और कंपटीशन बढ़ने के कारण कंज्यूमर्स को राहत दी गई है. HUL की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक जैसे ही कच्चे माल की कीमतें कम हुईं, कंपनी ने इसका फायदा ग्राहकों को देना शुरू कर दिया.

स्किन केयर प्रोडक्ट्स क्यों हुए महंगे?

वहीं स्किन केयर प्रोडक्ट्स महंगे होने का कारण स्किन क्लीनजिंग प्रोडक्ट्स जैसे कि साबुन और फेसवॉश में इस्तेमाल होने वाले पाम ऑयल और उससे जुड़ी चीजों की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में इजाफा हुआ है, जो इसकी कीमतों के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है. हालांकि कंपनी की तरफ से बताया गया है कि इन प्रोडक्ट्स के कच्चे माल की कीमतों में जैसे ही थोड़ी नरमी आई तो इन प्रोडक्ट्स की कीमतों में उतार हो जाएगा.

रीप्लेनिशमेंट प्राइसिंग का सिद्धांत रहेगा बरकरार

HUL ने साफ किया है कि वह रीप्लेनिशमेंट प्राइसिंग के सिद्धांत पर आगे भी कायम रहेगी. यानी अगर किसी प्रोडक्ट में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमत घटती है, तो उस प्रोडक्ट की कीमत भी कम की जाएगी, जैसे चाय के मामले में किया गया. जून तिमाही में ग्रामीण बाजार की बढ़ोतरी शहरी बाजार से तेज रही है. हालांकि शहरी क्षेत्रों में भी धीरे-धीरे सुधार देखने को मिला है.

ग्रॉस मार्जिन का बेहतर इस्तेमाल होगा

HUL ने कहा है कि कंपनी का ग्रॉस मार्जिन बेहतर रहेगा और उस एक्स्ट्रा बेनिफिट को व्यापार में ही दोबारा लगाया जाएगा. आने वाले कुछ तिमाहियों तक कंपनी 22 फीसदी मार्जिन बनाए रखने की योजना पर काम कर रही है.

अमेरिकी टैरिफ का असर न के बराबर

वहीं अमेरिका की तरफ से 25 फीसदी का टैरिफ लगाए जाने के मामले में HUL का कहना है कि इसका कंपनी पर सीधा असर न के बराबर होगा, क्योंकि कंपनी की अमेरिका को बहुत ही सीमित मात्रा में निर्यात होती है. साथ ही कंपनी ने अपनी ग्रोथ गाइडेंस को बरकरार रखते हुए कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही, पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से बेहतर रहेगी. यदि कमोडिटी कीमतें मौजूदा लेवल पर बनी रहती हैं, तो कीमतों में मामूली बढ़ोतरी हो सकती है.

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