अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर, अब नहीं कर पाएंगे ये काम; होंगी ऐसी सख्तियां
अनिल अंबानी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 3,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड मामले में लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है. यह LOC क्या होता है, कैसे काम करता है, और इससे किसी व्यक्ति की यात्रा और कानूनी स्थिति पर क्या असर पड़ता है. यह सब आसानी से समझें इस रिपोर्ट में.
Look-Out Circular Anil Ambani: कभी भारत के सबसे चर्चित उद्योगपतियों में शामिल रहे अनिल अंबानी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ने लगी हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 3000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड मामले में अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है. यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि वह देश छोड़कर भाग न सके. अब सवाल उठता है कि आखिर ये लुकआउट सर्कुलर होता क्या है और इसका असर किसी व्यक्ति की आजादी पर कैसे पड़ता है? आइए, पूरे मामले को विस्तार से समझाने की कोशिश करते हैं.
क्या होता है Look-Out Circular (LOC)?
लुकआउट सर्कुलर एक तरह का सरकारी अलर्ट होता है, जिसे तब जारी किया जाता है जब किसी व्यक्ति पर गंभीर आपराधिक जांच चल रही हो और उसके देश छोड़ने का खतरा हो. इसे जारी करने का मकसद यही होता है कि व्यक्ति भारत से बाहर न भाग सके. LOC के लागू होने के बाद, अगर वह व्यक्ति एयरपोर्ट या किसी भी बॉर्डर से बाहर जाने की कोशिश करता है, तो उसे वहीं रोका जाएगा और जांच एजेंसी की कस्टडी में भेजा जाएगा.
यानी अनिल अंबानी देश से बाहर नहीं जा सकते हैं, अगर वह एयरपोर्ट या किसी भी बॉर्डर से बाहर जाने की कोशिश करते तब उन्हें रोक कर जांच एजेंसियों के हवाले भेज दियाी जाएगा. यह आदेश गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के तहत ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन द्वारा लागू किया जाता है. इस सर्कुलर की जानकारी सभी एयरपोर्ट्स और इंटरनेशनल चेकपॉइंट्स पर भेजी जाती है.
कौन-कौन LOC जारी करवा सकता है?
अब सवाल है कि LOC को आखिर जारी कौन कर सकता है. LOC खुद कोर्ट जारी नहीं करता, बल्कि इसे सरकारी जांच एजेंसियों की मांग पर गृह मंत्रालय के अधीन ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन जारी करता है. इन एजेंसियों में ED यानी प्रवर्तन निदेशालय, CBI, DRI (राजस्व खुफिया निदेशालय, आयकर विभाग, कस्टम विभाग, EOW (इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग) शामिल हैं. यानी ईडी की मांग पर ही अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने 2017 से 2019 के बीच यस बैंक (Yes Bank) से भारी मात्रा में लोन लिया, लेकिन उस पैसे का इस्तेमाल गलत तरीकों से किया गया. ईडी का शक है कि इस लोन का कुछ हिस्सा गैरकानूनी तरीके से इधर-उधर किया गया यानी मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. ईडी ने 24 जुलाई को मुंबई और दिल्ली में अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी. इसके बाद अब अनिल अंबानी को समन भेजकर 5 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया गया है.
क्या LOC को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
हां, अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि उसके खिलाफ LOC गलत तरीके से जारी हुआ है, तो वह हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकता है. कोर्ट यह देखता है कि क्या वाकई व्यक्ति जांच में सहयोग नहीं कर रहा था या उसने गिरफ्तारी से बचने की कोशिश की थी. हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के खिलाफ LOC रद्द कर दिया था क्योंकि उसमें उचित आधार नहीं था. कोर्ट ने कहा था कि LOC एक जबरन कार्रवाई का जरिया है, इसलिए इसे सिर्फ गंभीर और ठोस कारणों पर ही जारी किया जाना चाहिए.
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