बांग्लादेश में चीन कर रहा पाकिस्तान जैसा खेल: पैसा, बिजनेस, हथियार का फेंक रहा है चारा- क्या करेगा भारत?
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है, जिससे चीन अपना प्रभाव बढ़ाने का अवसर देख रहा है. वह चाहता है कि भारत का प्रभाव दक्षिण एशिया में कम से कम हो और इसके लिए वह दूसरे देशों खासकर बांग्लादेश में अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है.
India Bangladesh Trade War: दक्षिण एशिया में भारत और बांग्लादेश दोनों सबसे अच्छे ट्रेड पार्टनर रहे हैं. लेकिन अब दोनों एक ट्रेड वॉर उलझते हुए दिख रहे हैं. बांग्लादेश ने भारत पर और भारत ने भी बांग्लादेश के कुछ इंपोर्ट पर रोक लगाई है. दोनों की इस लड़ाई में तीसरा देश यानी चीन अपना फायदा उठाने में लगा है. वह बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को और गहरा कर रहा है जिसके रिश्ते कभी भारत के साथ बेहतर रहे हैं.
बांग्लादेश की होगी प्रतिस्पर्धा में एंट्री
अब तक बांग्लादेश को कम विकसित देश यानी LDC माना जाता है. लेकिन अब बांग्लादेश नवंबर 2026 में संयुक्त राष्ट्र की फ़्म श्रेणी से बाहर हो जाएगा. इस लिस्ट से बाहर होने पर उसे यूरोपीय यूनियन जैसे एक्सपोर्ट बाजारों में बिना शुल्क के एक्सपोर्ट करने को मिलता था वो अब बंद हो जाएगा और कई नई चुनौतियां भी सामने आएंगी. इसलिए बांग्लादेश ने नई दिल्ली से दूरी बनाते हुए बीजिंग की ओर तेजी से झुकाव करना शुरू कर दिया है, जिससे भारत के साथ व्यापारिक संबंधों में तनाव पैदा हो गया है.
चीन का मकसद: भारत का प्रभाव कम करना
यह चीन की उस रणनीति का हिस्सा है जिसका मकसद भारत के प्रभाव को सीमित करना है क्योंकि भारत ने चीन के नेतृत्व वाले रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनर्शिप (RCEP) समझौते में शामिल होने से इनकार कर दिया था.
चीन का बढ़ता प्रभाव
- चीन ने दक्षिण एशिया के देशों में अपना प्रभाव तेजी से बढ़ा रहा है, वह ऐसा आर्थिक आधार पर करता है. चीन ने जून 2020 से बांग्लादेश के 97 प्रतिशत सामान के इंपोर्ट को ड्यूटी-फ्री कर दिया है. इसके अलावा चीन बांग्लादेश को अपने एक्सपोर्ट बढ़ाने में भी मदद कर रहा है.
- Carnegie Endowment for International Peace के मुताबिक, दक्षिण एशिया में चीन की मदद से सबसे ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स बांग्लादेश में चल रहे हैं. बांग्लादेश दुनिया में चीन से सबसे ज्यादा सैन्य साजो-सामान खरीदने वाला दूसरा देश है.
- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की सैन्य खरीद का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा चीन से आता है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, GTRI प्रमुख अजय श्रीवास्तव ने कहा, “2024 के मध्य में शेख हसीना की भारत समर्थक सरकार के हटने और मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के आने के बाद से चीन के साथ मेल-जोल की भावना बढ़ गई है. यूनुस के मार्च 2025 के चीन दौरे में 2.1 अरब डॉलर के नए निवेश और सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. चीन अब तीस्ता नदी जैसे संवेदनशील इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भी शामिल हो रहा है. जिससे क्षेत्र में भारत के प्रभाव को सीधी चुनौती मिल रही है.”
कुल मिलाकर चीन बांग्लादेश की निवेश, बिजनेस और मिलट्री सपोर्ट के जरिए मदद कर रहा है और इसके बदले उसका भारत के खास पड़ोसी देश में प्रभाव पड़ रहा है.
अब क्या करेगा भारत?
भारत बांग्लादेश आर्थिक आधार पर हमला कर रहा है. भारत ने सड़क के जरिए बांग्लादेश से आने वाले रेडीमेड कपड़ों के इंपोर्ट को रोक दिया है. इससे बांग्लादेश को करीब 7000 करोड़ का झटका लगेगा तभी बांग्लादेश को भारत की इंपोर्टेंस समझ आएगी.
इसके अलावा भारत कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करने की तैयारी में है. इसके बाद भारत की बांग्लादेश पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. इस प्रोजेक्ट से कोलकाता और विशाखापट्टनम से उत्तर-पूर्व में सामान भेजने के लिए हम बांग्लादेश पर निर्भर नहीं रहेंगे.
रिपोर्ट के अनुसार, एक सरकारी अधिकारी ने कहा है कि, “बांग्लादेश केवल अपने फायदे के लिए द्विपक्षीय समझौतों की शर्तें को अपने हिसाब से नहीं चुन सकता और भारत के बाजार को हल्के में भी नहीं ले सकता. भारत बातचीत को तैयार है, लेकिन माहौल शांतिपूर्ण बनाए रखना बांग्लादेश की जिम्मेदारी है.”