अमेरिका में बसे दिग्गजों को वतन की याद दिलाएगी मोदी सरकार, ला रही है वैज्ञानिक-इंजीनियरों के लिए खास स्कीम

भारत सरकार एक नई योजना पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य विदेश में बसे भारतीय “स्टार फैकल्टी” और रिसर्च स्कॉलर को भारत वापस बुलाना है. इन्हें IITs, DST और DBT के प्रमुख संस्थानों में नियुक्ति और अपने लैब स्थापित करने के लिए “सेट-अप ग्रांट” दिया जाएगा. योजना विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के प्राथमिक क्षेत्रों पर केंद्रित होगी.

भारत सरकार एक नई योजना पर काम कर रही है Image Credit: CANVA

STEM Talent: भारत सरकार एक नई योजना पर काम कर रही है ताकि विदेश में काम कर रहे भारतीय “स्टार फैकल्टी” और रिसर्च स्कॉलर को वापस बुलाकर भारतीय संस्थानों में काम करने के लिए प्रेरित किया जा सके. यह कदम अमेरिका में उच्च शिक्षा पर ट्रंप प्रशासन की नीतियों के बाद उठाया गया है. योजना को लागू करने के लिए प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के कार्यालय ने हाई एजुकेशन डिपॉर्टमेंट, साइंस और टेक्नोलॉजी डिपॉर्टमेंट और बायो टेक्नोलॉजी डिपॉर्टमेंट के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं.

STEM सेक्टर में ग्लोबल टैलेंट पर फोकस

योजना का मकसद अनुभवी भारतीय वैज्ञानिक और रिसर्च स्कॉलर को भारत में कुछ समय के लिए काम करने का मौका देना है. इन्हें IITs, DST और DBT के प्रमुख रिसर्च लैब्स और ऑटोनॉमस संस्थानों में नियुक्त किया जाएगा. सरकार इन रिसर्चर्स को अपने लैब और टीम स्थापित करने के लिए पर्याप्त “सेट-अप ग्रांट” देने पर विचार कर रही है. योजना के पहले चरण में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के 12–14 महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा.

रिसर्चर्स के लिए आसान और स्वागत योग्य माहौल

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्चर्स को भारत लाने के लिए उनके आवास, सुविधाओं और रोजमर्रा की जरूरतों को आसान बनाना जरूरी है. भले ही भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर के वेतन नहीं दे सकता, लेकिन भावनात्मक और देशभक्ति से जोड़ कर के उन्हें वापस लाने में मदद कर सकता है. रिसर्चर्स को स्वतंत्रता के साथ काम करने का मौका मिले.

ग्लोबल लेवल की कंपटीशन की तैयारी

दुनिया के कई देश अपनी वैश्विक अकादमिक टैलेंट को आकर्षित करने के लिए सक्रिय हैं. अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने उच्च शिक्षा पर सख्त नियम लागू किए हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या पर कंट्रोल और जाति या लिंग आधारित लिबरल नीतियों पर रोक लगाने का फैसला. इसके जवाब में यूरोप और पूर्वी एशियाई देश अपनी अकादमिक स्वतंत्रता और शोध के लिए अवसर बढ़ा रहे हैं.

भारत के सामने चुनौतियां

भारत लंबे समय से “ब्रेन ड्रेन” यानी प्रतिभाओं के देश से बाहर जाने की समस्या से जूझ रहा है. पहले से चल रही VAJRA फैकल्टी प्रोग्राम जैसी योजनाओं में विदेशी रिसर्चर्स को शॉर्ट टर्म सहयोग के लिए बुलाया जाता है, लेकिन इसमें भागीदारी कम रही है. भारत में वेतन कम, सरकारी जटिल प्रक्रियाएं, रिसर्च फंडिंग सीमित और प्रक्रिया लंबी होने के कारण विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करना चुनौतीपूर्ण रहा है.

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नई योजना से उम्मीद

सरकारी अधिकारी कहते हैं कि नई योजना पूर्व प्रयासों की कमियों को दूर करेगी. इसमें तेज प्रक्रियाएं, सुनिश्चित फंडिंग और बेहतर संस्थागत सपोर्ट शामिल होगा. रिसर्चर्स को न्यूनतम प्रशासनिक बाधाओं के साथ काम करने का अवसर मिलेगा. सरकार उम्मीद करती है कि इससे भारत अपनी वैज्ञानिक टैलेंट को फिर से सक्रिय करेगा, इनोवेशन नेटवर्क मजबूत करेगा और ग्लोबल लेवल पर कंपटीटर बनेगा.