सितंबर में सुस्त पड़ी देश के कोर सेक्टर की विकास गति, ग्रोथ रेट घटकर हुई 3%, रिफाइनरी-गैस प्रोडक्शन में गिरावट जारी
सितंबर 2025 में भारत के कोर सेक्टर की ग्रोथ 3% पर आ गई. स्टील और सीमेंट सेक्टर बढ़े लेकिन रिफाइनरी, नेचुरल गैस और क्रूड ऑयल कमजोर रहे. औद्योगिक गतिविधियां बढ़ रही हैं लेकिन विकास की रफ्तार धीमी है. आइए जानते हैं कि किस सेक्टर ने कैसा प्रदर्शन किया.
भारत के आठ प्रमुख उद्योगों यानी कोर सेक्टर की ग्रोथ रेट सितंबर 2025 में घटकर 3 प्रतिशत आ गई जबकि अगस्त में यह 6.5 प्रतिशत थी. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, रिफाइनरी उत्पाद, प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के कमजोर प्रदर्शन किया जिसने स्टील और सीमेंट जैसे क्षेत्रों की मजबूती का असर कम कर दिया. यानी एक महीने में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार में करीब आधी गिरावट दर्ज की गई है.
स्टील और सीमेंट सेक्टर मजबूत
स्टील उत्पादन ने सितंबर 2025 में एक बार फिर मजबूत प्रदर्शन किया। इस सेक्टर में 14.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई जो अगस्त के 13.6 प्रतिशत के मुकाबले अधिक है. निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की बढ़ती मांग ने स्टील सेक्टर को सहारा दिया है. वहीं, सीमेंट उत्पादन में 5.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जिससे यह संकेत मिलता है कि हाउसिंग और रियल एस्टेट सेक्टर में गतिविधियां लगातार बनी हुई हैं.
इन सेक्टर में आई गिरावट
सितंबर 2025 में ऊर्जा से जुड़े सेक्टर्स में गिरावट देखी गई. रिफाइनरी प्रोडक्शन 3.7 प्रतिशत घटा जबकि प्राकृतिक गैस उत्पादन में 3.8 प्रतिशत और कच्चे तेल में 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई. इसी तरह, कोयला उत्पादन, जो अगस्त में 11.4 प्रतिशत बढ़ा था वह सितंबर में 1.2 प्रतिशत घट गया. इसके पीछे ऊंचे बेस इफेक्ट और मानसूनी व्यवधानों को मुख्य कारण माना जा रहा है.
खाद और बिजली उत्पादन में मामूली सुधार
सितंबर 2025 में खाद उत्पादन 1.6 प्रतिशत बढ़ा जिसका कारण रबी के सीजन से पहले का स्टॉकिंग बताया गया है. वहीं, बिजली उत्पादन भी 2.1 प्रतिशत बढ़ा. हालांकि यह अगस्त के 4.1 प्रतिशत की तुलना में धीमी वृद्धि रही.
औद्योगिक रफ्तार धीमी पड़ी
FY2025-26 की पहली छमाही में कोर सेक्टर की औसत वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत रही जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 4.3 प्रतिशत थी. इससे यह संकेत मिलता है कि उद्योगों की गति सकारात्मक बनी हुई है लेकिन वैश्विक मांग में अनिश्चितता और विभिन्न क्षेत्रों में असमान रिकवरी के कारण विस्तार की रफ्तार धीमी पड़ गई है.