रेयर अर्थ की लड़ाई में भारत का मास्टरस्ट्रोक, 2 कंपनियों को मिलेगा सीधा फायदा; जानें पूरी प्लानिंग

भारत सरकार जल्द ही एक बड़ी औद्योगिक योजना को अमलीजामा पहनाने की तैयारी में है, जिससे देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता को नई दिशा मिल सकती है. चीन की हालिया पाबंदियों के बाद यह कदम और भी अहम हो गया है. जानिए इस योजना में क्या खास है और किसे मिलेगा फायदा...

रेयर अर्थ मैग्नेट्स Image Credit: @Tv9

दुनियाभर में रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी के बीच भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है. इलेक्ट्रिक वाहनों और आधुनिक तकनीक के लिए जरूरी इन मैग्नेट्स का अब भारत में ही निर्माण होगा. केंद्र सरकार 1,345 करोड़ रुपये की सब्सिडी योजना पर काम कर रही है, जिससे दो कंपनियों को प्रोडक्शन के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा.

दो कंपनियों को मिलेगा सीधे सपोर्ट

हेवी इंडस्ट्रीज मिनिस्टर एच. डी. कुमारस्वामी ने पीटीआई के हवाले से शुक्रवार यानी 11 जुलाई को बताया कि इस योजना के तहत दो चयनित कंपनियों को रेयर अर्थ ऑक्साइड से मैग्नेट बनाने के लिए सरकार की ओर से एंड-टू-एंड सपोर्ट मिलेगा. योजना को लेकर विभिन्न मंत्रालयों के बीच बातचीत चल रही है. बातचीत पूरी होते ही इसे कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है.

चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर रोक लगाने के बाद वैश्विक स्तर पर इसकी आपूर्ति प्रभावित हुई है. इसका असर भारत समेत कई देशों में इलेक्ट्रिक वाहन और सेमीकंडक्टर उद्योग पर पड़ा है. इस संकट को देखते हुए भारत सरकार अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रही है.

किसे मिलेगा फायदा?

इस योजना से उन कंपनियों को फायदा मिलेगा जो रेयर अर्थ ऑक्साइड को मैग्नेट में बदलने की प्रक्रिया में निवेश करेंगी. भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कमरान रिजवी ने बताया कि योजना का पहला मसौदा तैयार कर इंटर-मिनिस्ट्रियल कंसल्टेशन के लिए भेजा गया है. जो भी कंपनियां मैग्नेट बनाएंगी, उन्हें सरकार से सीधे प्रोत्साहन मिलेगा.

देश में रेयर अर्थ खनिजों का एकमात्र भंडार भारतीय रेयर अर्थ मैग्नेट्स लिमिटेड (Indian Rare Earth Magnets Ltd) के पास है, जो परमाणु ऊर्जा मंत्रालय के तहत एक PSU है.

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रेयर अर्थ मैग्नेट्स जैसे नेओडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों के ट्रैक्शन मोटर, पावर स्टीयरिंग मोटर और अन्य हाई-पर्फॉर्मेंस ऑटोमोटिव उपकरणों में होता है.