India–EAEU FTA ने पकड़ी रफ्तार, रूस में कई मुद्दों पर हुई बातचीत; सप्लाई-चेन मजबूत करने और सेक्टर-वाइज सहयोग पर बड़ा फोकस
भारत और रूस के बीच आर्थिक सहयोग को नई गति देने के लिए भारत ने मॉस्को में ईएईयू एफटीए की प्रगति की विस्तार से समीक्षा की है. कॉमर्स सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल और रूसी अधिकारियों के बीच हुई बैठकों में सप्लाई चेन रेजिलिएंस, ट्रेड विविधिकरण, क्रिटिकल मिनरल्स सहयोग और रेगुलेटरी समन्वय पर विशेष जोर रहा.
India Russia Trade: भारत और रूस के बीच आर्थिक संबंधों को नई गति देने के लिए कॉमर्स सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल की मॉस्को यात्रा बेहद अहम रही. वाणिज्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि राजेश अग्रवाल ने यूरैशियन इकनॉमिक यूनियन (EAEU) के साथ प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की प्रगति की विस्तार से समीक्षा की. दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत का फोकस व्यापार विविधीकरण, सप्लाई-चेन रेजिलिएंस, रेगुलेटरी प्रीडिक्टेबिलिटी और इंडस्ट्रियल कोलैबोरेशन को मजबूत करने पर रहा. इस पूरी कवायद का लक्ष्य बाइलेट्रल ट्रेड को 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना और भारतीय एक्सपोर्ट बास्केट को नए बाजारों में विस्तार देना है.
EAEU FTA की दिशा में तेजी
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, राजेश अग्रवाल की मुलाकात यूरैशियन इकनॉमिक कमीशन के ट्रेड मंत्री अंद्रेई स्लेपनेव के साथ हुई, जिसमें दोनों ने इंडिया–EAEU एफटीए के “गुड्स” ट्रैक पर अगली प्रक्रियाओं की समीक्षा की. 20 अगस्त 2025 को साइन किए गए टर्म्स ऑफ रेफरेंस में 18 महीने का वर्क प्लान तय किया गया है, जिसका उद्देश्य भारतीय एमएसएमई, किसानों और फिशरी सेक्टर को नए मार्केट एक्सेस दिलाना है.
मंत्रालय के मुताबिक, आगे चलकर सर्विसेज और इन्वेस्टमेंट ट्रैक पर भी बातचीत आगे बढ़ाई जाएगी. एफटीए को लेकर भारत की रणनीति दोहरे उद्देश्य पर आधारित है एक तरफ एक्सपोर्ट डाइवर्सिफिकेशन और दूसरी तरफ ट्रेड बैलेंस को अधिक स्थिर बनाना.
क्रिटिकल मिनरल्स पर बढ़ा फोकस
रूसी डिप्टी मिनिस्टर मिखाइल युरिन के साथ बातचीत में दोनों देशों ने सप्लाई-चेन रेजिलिएंस को मजबूत करने और क्रिटिकल मिनरल्स में सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया. इस बैठक में फार्मास्यूटिकल्स, टेलिकॉम इक्विपमेंट, मशीनरी, लेदर, ऑटोमोबाइल और केमिकल्स जैसे प्रमुख सेक्टरों के लिए सेक्टर-स्पेसिफिक रोडमैप तैयार करने पर सहमति बनी. दोनों देशों ने यह भी तय किया कि हर क्वार्टर में रेगुलेटर-टू-रेगुलेटर स्तर पर संवाद होगा, ताकि सर्टिफिकेशन, एग्रीकल्चर और मरीन लिस्टिंग, नॉन-टैरिफ बैरियर्स और मोनोपोलिस्टिक प्रैक्टिसेज जैसी बाधाओं का समाधान समय पर हो सके.
लॉजिस्टिक्स और पेमेंट्स चर्चा
मीटिंग्स में लॉजिस्टिक सुधार, पेमेंट मैकेनिज्म और स्टैंडर्ड हार्मोनाइजेशन जैसे मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा हुई. भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक नेटवर्क और क्वालिटी स्टैंडर्ड्स के अपने उभरते मॉडल को रूस के साथ साझेदारी के लिए उपयुक्त बताया. इन पहलों का उद्देश्य भारतीय कंपनियों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को तेज गति देना और द्विपक्षीय व्यापार में प्रेडिक्टेबिलिटी सुनिश्चित करना है.
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