लगातार गिरावट के बाद रुपया पकड सकता है रफ्तार, Jefferies ने कहा अब नीचे जाने की गुंजाइश कम
लगातार गिरावट के बाद भारतीय रुपया अब स्थिरता के संकेत दे रहा है. जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार रुपया अपने बॉटम के करीब पहुंच चुका है और आने वाले महीनों में रिकवरी की संभावना बढ सकती है. एएनआई के मुताबिक, रुपया 2025 में इमर्जिंग मार्केट करंसीज में सबसे कमजोर रहा है, लेकिन मैक्रोइकनॉमिक रेजिलियंस, मजबूत बैलेंस ऑफ पेमेंट्स, फॉरेक्स रिजर्व और घरेलू इक्विटी इन्फ्लो ने दबाव को कम किया है.
Rupee Outlook: भारतीय रुपये की लगातार कमजोरी के बाद अब स्थिरता के संकेत दिखने लगे हैं. ग्लोबल ब्रोकरिज जेफरीज ने संकेत दिया है कि रुपया संभवतः अपने बॉटम पर पहुंच चुका है और आने वाले महीनों में स्थिरता या सुधार की संभावना बढ गई है. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया इस वर्ष उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले सबसे कमजोर परफारमेंस देने वाला रहा है, लेकिन मैक्रोइकनॉमिक रेजिलियंस, मजबूत बैलेंस ऑफ पेमेंट्स और घरेलू इनवेस्टमेंट इन्फ्लो ने इसमें संतुलन बनाने में मदद की है. जेफरीज का कहना है कि फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स की भारी बिकवाली के बावजूद घरेलू इक्विटी इन्फ्लो बजार को स्थिर बनाए हुए हैं, जबकि क्रेडिट ग्रोथ और एफडीआई ट्रेंड भी मजबूत बने हुए हैं.
रुपये ने छुआ संभावित बॉटम
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, जेफरीज का कहना है कि रुपया कई महीनों की गिरावट के बाद अब एक मजबूत फ्लोर बनाने के संकेत दे रहा है. ब्रोकरिज का कहना है कि रुपया इस वर्ष अब तक इमर्जिंग मार्केट करेंसी में सबसे कमजोर रहा है और 2025 में 3.4 फीसदी फिसलकर 88.7 प्रति यूएस डॉलर के करीब ट्रेड कर रहा है. जेफरीज के ग्रीड एंड फियर नोट में कहा गया कि “रुपये का बॉटम 89 के आसपास बनने की संभावना हमने पहले भी जताई थी और अब तक यह सही साबित हो रही है.”
करंट अकाउंट डेफिसिट दो दशक के निचले स्तर पर
जेफरीज ने रुपये की स्थिरता के पीछे दो प्रमुख मैक्रो फैक्टर्स बताए-
- पहला: करंट अकाउंट डेफिसिट 0.5 फीसेदी, जो दो दशक में सबसे कम है.
- दूसरा: फॉरेक्स रिजर्व 690 बिलियन डॉलर, जिसमें लगभग 11 महीने का इम्पोर्ट कवर शामिल है.
इन फैक्टर्स ने भारतीय मुद्रा को बाहरी झटकों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
FPI भारी बिकवाली, घरेलू इन्फ्लो बने सहारा
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में अब तक एफपीआई ने 16.2 बिलियन डॉलर की बिकवाली की है, जिससे भारत की बजार परफारमेंस इमर्जिंग मार्केट्स के मुकाबले 27 पॉइंट कमजोर रही. लेकिन घरेलू म्युचुअल फंड इन्फ्लो ने इसे स्थिर रखा-
- अक्टूबर में 321 बिलियन रुपये
- जनवरी–अक्टूबर में कुल 3.7 ट्रिलियन रुपये
- जनवरी–सितंबर के बीच औसत घरेलू इक्विटी इन्फ्लो 7.4 बिलियन डॉलर प्रति माह, जो मासिक सप्लाई 5.7 बिलियन डॉलर से अधिक है
इन मजबूत डोमेस्टिक लिक्विडिटी फ्लो ने रुपये की गिरावट को सीमित किया है.
यह भी पढ़ें: Market Outlook 17 Nov: पांच दिन की रैली के बाद बुल्स के कंट्रोल में बाजार, निफ्टी का टारगेट 26200
Latest Stories
Infosys ने सितंबर तिमाही का बोनस किया जारी, कई कर्मचारियों को मिला 75% से 83% तक का पेआउट
India–EAEU FTA ने पकड़ी रफ्तार, रूस में कई मुद्दों पर हुई बातचीत; सप्लाई-चेन मजबूत करने और सेक्टर-वाइज सहयोग पर बड़ा फोकस
भारत पर नरम हुए ट्रंप! मसालों और चाय प्रोडक्ट्स के लिए टैरिफ किया कम, एक्सपोर्टर्स को मिली बड़ी राहत
