Gensol Fraud केस से हिली रिन्यूएबल इंडस्ट्री, PFC-IREDA की रिकवरी पर बड़ा संकट; वापस होंगे ₹978 करोड़?
Gensol धोखाधड़ी ने रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में भारी चिंता पैदा कर दी है. लगातार डिफॉल्ट, फंड डायवर्जन और शेयर मूल्य में तेज गिरावट के बाद PFC और IREDA के सैकड़ों करोड़ फंस गए हैं, जिससे उनकी वसूली क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. जानें पूरी कहानी.
Gensol Fraud PFC IREDA Case: रिन्यूएबल एनर्जी इंडस्ट्री में हाल के सालों में जिस तरह प्रोजेक्ट में देरी, लागत बढ़ोतरी और वित्तीय संकट देखने को मिला है, उसने सरकारी लोन देने वाली संस्थाओं जिनमें PFC और IREDA आती हैं, की वसूली कैपेसिटी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. कई कंपनियां समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पा रहीं, जबकि ब्याज और किस्तों के भुगतान में भी लगातार चूक हो रही है. ऐसे माहौल में दोनों संस्थाओं की रिकवरी प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि नियामक संस्थाएं कितनी स्पष्टता लाती हैं और वे अपनी रिस्क मैनेजमेंट रणनीतियों को कितना सख्ती से लागू करती हैं. इस आधार पर Gensol Engineering का मामला सबसे गंभीर उदाहरण बनकर उभरा है, जिसने निवेशकों और कर्ज देने वाली सरकारी एजेंसियों दोनों को भारी नुकसान की स्थिति में पहुंचा दिया है.
कितना गिरा जेनसोल का बाजार?
Gensol के पतन की कहानी बेहद तेज और चौंकाने वाली रही. मार्च 2025 में कंपनी का मार्केट कैप लगभग 1,960 करोड़ रुपये था, लेकिन लगातार आरोपों, जांचों और वित्तीय अनियमितताओं के चलते नवंबर 2025 तक यह घटकर केवल 121 करोड़ रुपये रह गया. यानी निवेशकों की संपत्ति का 94 फीसदी हिस्सा कुछ ही महीनों में मिट गया. पिछले एक साल में कंपनी के शेयर में 96 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जो बताती है कि कंपनी के भविष्य को लेकर बाजार का भरोसा पूरी तरह टूट चुका है. यह पतन केवल व्यापारिक विफलता नहीं था, बल्कि गहरे प्रबंधन संकट, गलत सूचनाओं और वित्तीय गलती के कारण हुआ, जिसने कंपनी की विश्वसनीयता को खत्म कर दिया.
कैसे शुरू हुई थी जेनसोल की कहानी?
Gensol से जुड़े विवादों की शुरुआत जून 2024 में हुई थी, जब SEBI को कंपनी के प्रमोटरों द्वारा शेयर की कीमतों के साथ छेड़छाड़ और फंड को निजी इस्तेमाल में लगाने की शिकायतें मिलीं. SEBI ने तुरंत जांच शुरू की और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, कंपनी पर लगे आरोप मजबूत होते गए. इसके बाद दिसंबर 2024 में कंपनी ने अपने लोन अकाउंट में डिफॉल्ट किया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि उसने रेटिंग एजेंसियों को गलत जानकारी देते हुए दावा किया कि कोई डिफॉल्ट नहीं हुआ है. यह सीधे-सीधे पारदर्शिता की कमी का मामला था और यहीं से कंपनी की साख तेजी से गिरने लगी.
मिले थे बड़े लोन
2025 की शुरुआत में जब कंपनी ने PFC और IREDA से 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के नाम पर कुल 978 करोड़ रुपये का लोन लिया, तो उम्मीद की जा रही थी कि कंपनी ईवी कारोबार में बड़ा विस्तार करेगी. लेकिन बाद में पता चला कि कंपनी ने केवल 4,704 वाहन खरीदे और लगभग 262 करोड़ रुपये की राशि को शेल कंपनियों के जरिये दूसरी जगह भेज दिया. यह राशि कथित तौर पर प्रमोटरों और उनके सहयोगियों के निजी फायदे के लिए इस्तेमाल की गई. मार्च 2025 तक स्थिति इतनी बिगड़ गई कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने Gensol की रेटिंग तुरंत गिराकर ‘D’ कर दी, जिसका सीधा मतलब है कि कंपनी भुगतान करने की स्थिति में नहीं है और जोखिम सबसे अधिक है.
सेबी ने की कड़ी कार्रवाई
2025 के बीच तक SEBI ने कठोर कार्रवाई करते हुए कंपनी के प्रमोटर- अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को शेयर बाजार में किसी भी तरह की गतिविधि करने से रोक दिया. उनके खिलाफ आरोपों में फंड को व्यक्तिगत शौक–शौकिया खर्चों में उड़ाना, रिश्तेदारों की कंपनियों को अवैध लाभ पहुंचाना और अहम वित्तीय सूचनाओं को छिपाना शामिल था. SEBI ने फॉरेंसिक ऑडिट के आदेश दिए, जबकि दूसरी ओर IREDA ने कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू की और उसकी संपत्तियों पर रोक लगा दी. इसके अलावा PFC और IREDA दोनों ने कानूनी रास्तों से वसूली शुरू की, जिसमें NCLT और DRT में केस दाखिल किए गए और संपत्तियों को जब्त करने की तैयारी भी की गई.
PFC को हुआ बड़ा नुकसान
जहां तक PFC के नुकसान की बात है, संस्था ने Gensol को कुल 352 करोड़ रुपये का लोन दिया था. इसमें से केवल 45 करोड़ रुपये ही अब तक वापस मिल पाए हैं. लगभग 44 करोड़ रुपये बैंक गारंटी के माध्यम से वसूल हुए, जबकि लगभग 307 करोड़ रुपये की राशि अभी भी बकाया है. PFC ने यह भी स्पष्ट किया है कि इसकी कुल फंसी हुई राशि में से करीब 263 करोड़ रुपये उस हिस्से से जुड़ी है जिसे कंपनी ने धोखाधड़ी कर SPV के माध्यम से इस्तेमाल किया था. PFC ने इस संपूर्ण राशि को ‘फ्रॉड एक्सपोजर’ मानकर पूरी तरह प्रोविजन कर दिया है, यानी अब इसकी रिकवरी की उम्मीद बेहद कम रह गई है.
IREDA ने भी झेला नुकसान
दूसरी ओर IREDA की स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण है. Gensol और उसकी ईवी यूनिट पर IREDA का कुल बकाया 700 करोड़ रुपये से ज्यादा है. IREDA अब तक केवल लगभग 100 करोड़ रुपये गारंटियों और फिक्स्ड डिपॉजिट के जरिए वसूल कर पाई है. बाकी राशि की वसूली के लिए वह NCLT, DRT और दूसरी कानूनी प्रक्रियाओं के जरिए संघर्ष कर रही है. संस्था ने इस एक्सपोजर को ‘डाउटफुल’ मानते हुए इसके लिए पर्याप्त प्रावधान बना दिया है. यह कदम उसकी बैलेंस शीट को भविष्य के जोखिमों से सुरक्षित रखने के लिए जरूरी था.
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