53 साल पुरानी कंपनी मार्केट में साबित हुई ‘बाजीगर’, दिवालिया होने से बचते हुए दे दिया 2343% रिटर्न; ₹75 से कम है कीमत

जायसवाल नेको इंडस्ट्रीज ने लगभग दिवालिया होने की स्थिति से बाहर निकलकर शानदार रिकवरी की है और निवेशकों को 2343 फीसदी रिटर्न दिया है. लगभग 50 साल पुरानी यह स्मॉलकैप स्टील–माइनिंग कंपनी मजबूत फाइनेंशियल्स, बेहतर कैश फ्लो, लगातार ग्रोथ और बेहतर रिजल्ट के कारण फिर से मार्केट में मजबूत खिलाड़ी बनी है.

जायसवाल नेको इंडस्ट्रीज Image Credit: money9live.com

Jayaswal Neco Industries: 50 वर्ष पुरानी स्मॉलकैप कंपनी जायसवाल नेको इंडस्ट्रीज ( स्थापना 1972) ने सबको चौंका दिया है. कभी दिवालिया होने की कगार पर खड़ी यह कंपनी आज मजबूत फाइनेंशियल, तेज ग्रोथ और लगातार बेहतर रिजल्ट्स के दम पर सौ फीसदी से अधिक रिटर्न देने वाली स्टील–माइनिंग प्लेयर बन चुकी है. 2010 के दशक की स्टील मंदी, ज्यादा कर्ज और कमजोर मांग ने कंपनी को दिवालियापन संहिता (IBC) के करीब पहुंचा दिया था, लेकिन तेज सुधार, सेक्टर रिकवरी और ऑपरेशनल बदलावों ने इसे फिर से मजबूती से खड़ा किया. आज कंपनी के नतीजे, कैश फ्लो और एक्सपैंशन इसे नए चरण में ले जाने के लिए तैयार हैं.

कंपनी का बिजनेस मॉडल

जायसवाल नेको एक इंटीग्रेटेड स्टील प्रोड्यूसर है, जो पिग आयरन, स्पंज आयरन, बिलेट्स और रोल्ड प्रोडक्ट्स बनाती है. कंपनी के पास कैप्टिव आयरन ओअर माइन्स और कोल ब्लॉक्स हैं, जिनसे रॉ–मटीरियल कॉस्ट कम रहती है और मार्जिन स्थिर बने रहते हैं. संचालन मुख्यत: छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में स्थित ब्लास्ट फर्नेस, स्टील मेल्टिंग शॉप्स, रोलिंग मिल्स और कोक ओवन्स के जरिए होता है. इंटीग्रेटेड स्ट्रक्चर की वजह से कंपनी कमोडिटी साइकिल में भी प्रतिस्पर्धी बनी रहती है.

दिवालिया संकट से बचने की यात्रा

2010 के दशक की स्टील मंदी में कीमतें गिरने, कर्ज बढ़ने और कैश फ्लो कमजोर होने से कंपनी की हालत बिगड़ती गई. रेग्युलेटरी अप्रूवल्स में देरी ने स्थिति और खराब कर दी. 2017–18 तक मामला IBC तक पहुंच गया था, लेकिन कंपनी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से Insolvency में एडमिट नहीं हुई. इसके बाद लेंडर्स की निगरानी में डेट रिस्ट्रक्चरिंग, इंट्रेस्ट बोझ कम करना और पुनर्गठित पेमेंट शेड्यूल ने कंपनी को राहत दी.

मजबूत रिकवरी

2019 के बाद स्टील की मांग बढ़ने और घरेलू इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च बढ़ने से कंपनी को बड़ा लाभ मिला. मार्च 2020 में 5759 करोड़ रुपये का कर्ज घटकर मार्च 2025 में 2721 करोड़ रुपये रह गया. FY26 की पहली छमाही में नेट सेल्स 3430 करोड़ रुपये, EBITDA 650 करोड़ रुपये और मार्जिन 18.95 फीसदी तक पहुंच गए. कैश प्रॉफिट 418 करोड़ रुपये तक गया, जो ऑपरेशनल स्थिरता का मजबूत संकेत है.

कैसा है शेयर का हाल

शुक्रवार को कंपनी का शेयर 2.26 फीसदी गिरकर 74.52 रुपये पर पहुंच गया. हालांकि कंपनी ने बीते एक सप्ताह में निवेशकों को 1.12 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं पिछले एक महीने में इसका शेयर 5.28 फीसदी उछला है. बीते 5 वर्षों में कंपनी ने 2343.28 फीसदी रिटर्न दिया है.

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