बुलेट ट्रेन पर अब ज्यादा खर्च नहीं, रेलवे अपने कई ड्रीम प्रोजेक्ट पर घटाएगी निवेश, जानें क्यों
Indian Railways: वित्त वर्ष 26 के लिए रेलवे के लिए बजटीय सहायता 2,52,000 करोड़ पर स्थिर रही है, जबकि इंटरनल और अतिरिक्त बजटीय संसाधन-पीपीपी के लिए 13,000 करोड़ रुपये तय किए गए हैं. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना के लिए भी निवेश में कटौती की गई है.

Indian Railways: सरकार ने इस बार भारतीय रेलवे के प्रोजेक्ट में कम पैसा लगाने का फैसला किया है. हालांकि, इसके पीछे सरकार की अपनी दलील है, लेकिन असल में कई प्रोजेक्ट पर कम खर्च का असर पड़ने का अनुमान है. फंड की कटौती में कुछ शामिल हैं, जो सरकार के लिए पोस्टर प्रोजेक्ट हैं. यानी सरकार जोर-शोर से इसके बारे में बताती है. इसमें बुलेट ट्रेन प्रोजक्ट भी शामिल है. वित्त वर्ष 26 में सरकार कम निवेश करने का फैसला किया है.
कुल निवेश में कमी
भारतीय रेलवे अपने पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU), SVP और ज्वाइंट वेंचर में वित्त वर्ष 26 में निवेश कम कर रहा है. बजट दस्तावेजों के अनुसार, सरकार के इस फैसले के बाद कुल निवेश 22,445 करोड़ रुपये हो जाएगा. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में बड़ी कटौती देखी देखने को मिली है. जबकि बेंगलुरु उपनगरीय परिवहन (के राइड) प्रोजेक्ट, बुलेट ट्रेन प्रोजक्ट और कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन में निवेश में कमी आने की उम्मीद है.
32 फीसदी कम
वित्त वर्ष 2025 के लिए संशोधित अनुमान इस कैटेगरी में 27,571 करोड़ रुपये रहा. वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान की तुलना में यह कमी करीब 32 फीसदी है, जिसमें निवेश 32,761 करोड़ रुपये आंका गया था. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिजनेसलाइन से कहा कि कुछ प्रोजेक्ट निवेश सायकिल के अंत के करीब हैं या धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं, जिससे उन्हें सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है.
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बजटीय सहायता स्थिर
वित्त वर्ष 26 के लिए रेलवे के लिए बजटीय सहायता 2,52,000 करोड़ पर स्थिर रही है, जबकि इंटरनल और अतिरिक्त बजटीय संसाधन-पीपीपी के लिए 13,000 करोड़ रुपये तय किए गए हैं. हालांकि, इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन समेत मार्केट से कोई अतिरिक्त फंड जुटाने की प्लानिंग नहीं है. वित्त वर्ष 25 में राइट्स और कॉनकॉर के बोनस शेयर जारी करने के लिए क्रमश 317.20 करोड़ रुपये और 60 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया था.
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना के लिए निवेश में कटौती की गई, जो 90 फीसदी घटकर 500 करोड़ रह गई. वित्त वर्ष 25-संशोधित अनुमान में यह 5,500 करोड़ रुपये थी. वित्त वर्ष 24 में वास्तविक निवेश 12,241 करोड़ रुपये रहा.
पूरे हो रहे हैं प्रोजेक्ट
वैष्णव ने कहा कि प्रोजेक्ट का निवेश स्टेज समाप्ति के करीब है. यह लगभग पूरा हो चुका है और इसलिए, इसमें हमारे निवेश को अनुसार समायोजित किया गया है. प्रोजेक्ट का लगभग 96 फीसदी हिस्सा पूरा हो चुका है. प्रोजेक्ट में दो भाग हैं- पूर्वी और पश्चिमी, जिनमें से लगभग 100 किलोमीटर पश्चिमी छोर अगले कुछ वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है.
अश्विनी वैष्णव के अनुसार, नेटवर्क सुधार पर फोकस किया जा रहा है. इसमें यूनिट ट्रैक और कार्गो ऑपरेटर दोनों के रूप में कार्य करेगी, जो पटरियों के ऑपरेशन और मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार है. कॉरिडोर के नेटवर्क को मौजूदा रेल नेटवर्क के साथ एकीकृत किया जाएगा.
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट
‘के राइड’ के मामले में निवेश लगभग 350 करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 24 के वास्तविक आंकड़ों की तुलना में 22 फीसदी कम है, लेकिन वित्त वर्ष 25 के संशोधित अनुमान स्तर पर कोई बदलाव नहीं है. वैष्णव ने कहा कि इस परियोजना को लेकर कुछ मुद्दे हैं, जिन पर अभी काम चल रहा है. कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन और बुलेट ट्रेन परियोजनाओं (नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन) के लिए निवेश क्रमश 500 करोड़ रुपये और 19,000 करोड़ रुपये पर स्थिर (REFY25 से BEFY26 तक) है.
कैपिटल एक्सपेंडिचर आधा
कोलकाता मेट्रो के दो अन्य प्रोजेक्ट विपरीत तस्वीरें पेश करती हैं. उदाहरण के लिए, दम-दम एयरपोर्ट-न्यू गरिया खंड (उत्तरी इलाकों को दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों से जोड़ता है) में सॉवरेन ग्रीन फंड से कैपिटल एक्सपेंडिचर को आधा करके 720 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 25 के बजट अनुमान के अनुसार ₹1550 करोड़ से) कर दिया गया. लेकिन, जोका-बीबीडी बाग-माजेरहाट सेगमेंट (केंद्रीय व्यापारिक जिले के माध्यम से दक्षिणी छोर को जोड़ने वाला) के लिए आवंटन 8-10 फीसदी बढ़कर 915 करोड़ रुपये हो गया.
पैसेंजर रेवेन्यू के अनुमान में कटौती
राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर को कार्गो में लगातार दूसरे साल 4 फीसदी की स्थिर वृद्धि की उम्मीद है, जबकि यात्री यातायात में 16 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है. अगले वित्त वर्ष में कार्गो वॉल्यूम 1.6 अरब टन को पार करने की उम्मीद है. एक रिकॉर्ड, और रेवेन्यू 188,000 करोड़ (वित्त वर्ष 25 के संशोधित अनुमान ₹180,000 करोड़ से अधिक) होने का अनुमान है.
वैष्णव ने बताया कि हमने पिछले कुछ वर्षों में कार्गो में पर्याप्त वृद्धि देखी गई और हाई बेस इफेक्ट के कारण, ग्रोथ रेट में नरमी देखी जा रही है. पैसेंजर रेवेन्यू 92,800 करोड़ रुपये ( वित्त वर्ष 24-25 80,000 करोड़) रहने की उम्मीद है.
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