भारत में बेरोजगारी दर नवंबर में घटकर 8 महीनों के निचले स्तर 4.7% पर आई, गांवों के साथ शहरों में भी बेहतर हुए हालात

नवंबर में भारत की बेरोजगारी दर घटकर 4.7% पर आ गई, जो आठ महीनों का निचला स्तर है. ग्रामीण रोजगार में सुधार और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से लेबर मार्केट मजबूत हुआ है. युवा बेरोजगारी में भी गिरावट दर्ज की गई है. रोजगार के मोर्चे पर सुधार केवल गांवों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शहरों में भी हालात कुछ बेहतर हुए हैं.

बेरोजगारी दर, Image Credit: canva

भारत में लेबर मार्केट से जुड़ी एक राहत भरी खबर सामने आई है. सरकार ने 15 दिसंबर को आधिकारिक आंकड़ें जारी कर बताया कि नवंबर 2025 में बेरोजगारी दर घटकर 4.7 फीसदी पर आ गई, जो बीते आठ महीनों का सबसे निचला स्तर है. अक्टूबर में यह दर 5.2 फीसदी थी. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के बेहतर अवसर और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने लेबर मार्केट की स्थिति को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है. आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी में गिरावट का असर देश के लगभग सभी क्षेत्रों में देखने को मिला. ग्रामीण बेरोजगारी दर घटकर 3.9 फीसदी रह गई, जो अप्रैल के बाद का सबसे निचला स्तर है. वहीं शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 6.5 फीसदी रही, जो इस साल पहले दर्ज किए गए न्यूनतम स्तर के बराबर है. इससे संकेत मिलता है कि रोजगार के मोर्चे पर सुधार केवल गांवों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शहरों में भी हालात कुछ बेहतर हुए हैं.

अप्रैल के बाद सबसे ऊंचा स्तर पर पहुंचा LFPR

रोजगार में सुधार के साथ लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए LFPR नवंबर में बढ़कर 55.8 फीसदी पहुंच गया, जो अप्रैल के बाद सबसे ऊंचा स्तर है. यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों से आई, जहां लोग बड़ी संख्या में काम की तलाश में श्रम बाजार से जुड़ रहे हैं. हालांकि, शहरी क्षेत्रों में LFPR घटकर 50.4 फीसदी पर आ गई, जो पांच महीनों का निचला स्तर है.

महिलाओं की भागीदारी बढ़ी

महिलाओं की भागीदारी इस सुधार की सबसे बड़ी वजह बनकर उभरी है. नवंबर 2025 में महिला श्रम बल भागीदारी दर बढ़कर 35.1 फीसदी हो गई, जो जून से लगातार बढ़ोतरी के रुझान को दर्शाती है. यह बढ़त खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिली जबकि शहरी महिलाओं की भागीदारी लगभग स्थिर बनी रही. इसके साथ ही पुरुष और महिला बेरोजगारी दर के बीच का अंतर भी कम हुआ है. पुरुषों की बेरोजगारी दर 4.6 फीसदी रही, जबकि महिलाओं की 4.8 फीसदी, जिससे दोनों के बीच का अंतर घटकर महज 0.2 प्रतिशत अंक रह गया.

युवा वर्ग की बेरोजगारी में गिरावट

युवा वर्ग के लिए भी हालात कुछ सुधरे हैं. नवंबर में युवा बेरोजगारी दर घटकर 14.1 फीसदी पर आ गई, जो अक्टूबर में 14.9 फीसदी थी. यह संकेत देता है कि धीरे-धीरे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं.

बेरोजगारी में यह गिरावट ऐसे समय आई है, जब भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार में नरमी की आशंका जताई है. ऐसे में लेबर मार्केट की मजबूती अर्थव्यवस्था को संभावित सुस्ती से उबरने में सहारा दे सकती है और उपभोग व मांग को समर्थन प्रदान कर सकती है.

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