75 से 120 डॉलर प्रति बैरल पहुंच जाएंगे कच्चे तेल के दाम, JP Morgan की चेतावनी; क्या फिर से भड़केगी मंहगाई?
मध्य पूर्व में एक अप्रत्याशित घटना ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है.दो देशों की सैन्य कार्रवाई और उसका असर सिर्फ सीमाओं तक नहीं रुका, अब असर दिख रहा है आपके पोर्टफोलियो पर भी. क्या आप तैयार हैं उस उथल-पुथल के लिए जो अब शुरू हो चुकी है?

Oil Price Hike: मध्य पूर्व की जमीनी हकीकत एक बार फिर वैश्विक बाजारों को हिला रही है. शुक्रवार को इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले के बाद न सिर्फ तेल की कीमतों में उबाल आया, बल्कि जियोपॉलिटिकल तनावों ने निवेशकों को भी सकते में डाल दिया. जेपी मॉर्गन की नई रिपोर्ट ने स्थिति की गंभीरता को उजागर करते हुए आगाह किया है कि अगर तनाव और बढ़ा, तो कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं.
भारत अपने तेल की 85 फीसदी आपूर्ति इंपोर्टेड तेल से करता है, ऐसे में ग्लोबल मार्केट में तेल की बढ़ती कीमतें सभी के पॉकेट पर भारी पड़ सकती हैं.
बाजार में हलचल, कच्चा तेल 9% उछला
इजरायली हमले की खबर फैलते ही शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत लगभग 9 फीसदी उछलकर 75.36 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई, जबकि WTI क्रूड 6.16 डॉलर बढ़कर 74.20 डॉलर पर बंद हुआ. इस अचानक आई तेजी का कारण ईरान के न्यूक्लियर साइट पर हुए धमाके और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख हुसैन सलामी की मौत रही, जिसकी पुष्टी ईरान की मीडिया ने भी किया.
$120 प्रति बैरल और अमेरिका में महंगाई 5% तक!
जेपी मॉर्गन ने चेताया कि अगर हालात बदतर हुए, तो तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं. इससे अमेरिकी महंगाई (CPI) फिर से 5 फीसदी तक पहुंच सकती है, जो फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती की योजनाओं को बिगाड़ सकती है.
बावजूद इसके, जेपी मॉर्गन फिलहाल अपने बेस केस अनुमान को बदले बिना रख रहा है. बैंक का मानना है कि अगर तनाव सीमित रहा, तो 2025 में ब्रेंट ऑयल की कीमतें 60–65 डॉलर प्रति बैरल और 2026 में औसतन 60 डॉलर रह सकती हैं.
हॉर्मुज स्ट्रेट बंद होने की आशंका कम
बैंक ने यह भी कहा कि ईरान के लिए खुद की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना तर्कसंगत नहीं होगा, इसलिए स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज को बंद करने की संभावना बेहद कम है. यह जलमार्ग विश्व तेल सप्लाई का लगभग 20 फीसदी वहन करता है.
बैंक की रिपोर्ट कहती है कि सऊदी अरब और यूएई जैसे खाड़ी देशों के लिए क्षेत्रीय शांति जरूरी है, क्योंकि वे व्यापक आर्थिक सुधार और विविधीकरण के दौर में हैं. लंबे समय तक युद्ध उनके विजन को झटका दे सकता है.
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अंतरराष्ट्रीय संकट का दौर शुरू?
इजरायल ने देशभर में आपातकाल घोषित कर दिया है और ड्रोन तथा मिसाइल हमलों की आशंका जताई है. वहीं, ईरान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है. यह सब ऐसे समय हो रहा है जब ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु बातचीत ठप पड़ी है और 12 जून को IAEA की बैठक में ईरान पर संभावित प्रतिबंधों का फैसला होना है. स्थिति लगातार बदल रही है और बाजार, कूटनीति व रणनीति- तीनों पर इसके गहरे असर की संभावना है.
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