अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल सवालों के घेरे में, CBI जांच में कई चौंकाने वाली बातें-रिपोर्ट में दावा

देश के कॉरपोरेट जगत में एक और बड़ा खुलासा सामने आया है. जांच एजेंसी की रिपोर्ट में एक प्रमुख कारोबारी परिवार से जुड़े सदस्य की भूमिका पर सवाल उठे हैं. आरोप है कि सार्वजनिक धन को निजी कंपनियों के बीच घुमाने के लिए एक कॉमप्लेक्स फाइनेंशियल सिस्टम बनाया गया था.

अनमोल और अनिल अंबानी Image Credit: Anshuman Poyrekar/HT via Getty Images

देश के कॉरपोरेट जगत में एक बार फिर अनिल अंबानी के परिवार का नाम सुर्खियों में है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी ने न सिर्फ रिलायंस निपॉन म्यूचुअल फंड (RNMF) के निवेश फैसलों को प्रभावित किया, बल्कि यस बैंक और रिलायंस एडीए ग्रुप (ADA Group) के बीच हुए कथित “quid pro quo” सौदों में उनकी भूमिका अहम रही. एजेंसी के मुताबिक, इस योजना का मकसद सेबी (SEBI) के नियमों को दरकिनार कर पब्लिक कैपिटल को समूह कंपनियों में घुमाना था. ये जानकारी इकोनॉमिक टाइम्स ने चार्जशीट के हवाले से रिपोर्ट किया है हालांकि Money9 Live स्वतंत्र रूप से इस दावे की पुष्टी नहीं करता.

अनमोल अंबानी की भूमिका पर CBI की नजर

ईटी ने रिपोर्ट में बताया कि सीबीआई जांच में सामने आया है कि उस समय RNMF के पास खुदरा और संस्थागत निवेशकों का बड़े मात्रा में पैसा था, जिसका इस्तेमाल लॉन्ग टर्म के लोन उपकरणों में किया जाना था. लेकिन सेबी के नियमों के तहत म्यूचुअल फंड अपनी समूह या सहयोगी कंपनियों में सीधे निवेश नहीं कर सकते. एजेंसी का आरोप है कि अनिल अंबानी और यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर ने इस प्रतिबंध से बचने के लिए एक कॉमप्लेक्स फाइनेंशियल वेब तैयार किया, जिसमें RNMF के फंड्स को ADA Group की कंपनियों तक पहुंचाने के लिए लीगल इंवेस्टेमेंट के नाम पर एक रास्ता बनाया गया.

सीबीआई का कहना है कि इस रणनीति को तैयार करने और अमल में लाने में जय अनमोल अंबानी ने सीधा प्रभाव डाला. वे उस समय RNMF में महत्वपूर्ण निवेश निर्णयों में शामिल थे, जबकि कंपनी अपने शेयर बाजार में लिस्टिंग की तैयारी कर रही थी.

यस बैंक और ADA ग्रुप का “फेवर एक्सचेंज”

एजेंसी के मुताबिक, यस बैंक और एडीए ग्रुप के बीच आपसी लाभ (quid pro quo) की व्यवस्था थी. यस बैंक ने एडीए ग्रुप की कंपनियों को भारी फंडिंग दी, वहीं RNMF ने यस बैंक के कैपिटल बॉन्ड्स में बड़ा निवेश किया. इस तरह दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की वित्तीय हालत को आर्टिफिशियल तरीके से बेहतर दिखाने की कोशिश की.

चार्जशीट के मुताबिक, जुलाई 2017 में राणा कपूर के परिवार की प्रमोटर कंपनी मॉर्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड (MCPL) ने 550 करोड़ रुपये के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) जारी किए, जिन्हें RNMF ने खरीदा. उसी दौरान यस बैंक रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) के 250 करोड़ रुपये के जोखिमभरे NCD से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा था. अगस्त 2017 में RNMF की डेब्ट इन्वेस्टमेंट कमेटी ने RHFL के लगभग 250 करोड़ रुपये के एनसीडी खरीदने की मंजूरी दी. यह फैसला भी, एजेंसी के अनुसार, अनमोल अंबानी के प्रभाव में लिया गया.

अनिल और राणा कपूर की मुलाकात, जिसके बाद बढ़ा निवेश

CBI का कहना है कि 6 अक्टूबर 2017 को अनिल अंबानी और राणा कपूर के बीच एक बैठक हुई, जिसमें दोनों ने अपने निवेश संबंधी योजनाओं को अंतिम रूप दिया. इसके बाद यस बैंक ने एडीए ग्रुप की वित्तीय कंपनियों यानी रिलायंस कैपिटल, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस होम फाइनेंस के 2,900 करोड़ रुपये के एनसीडी खरीदने का प्रस्ताव दिया.

इसी दौरान RNMF ने निजी प्लेसमेंट के जरिए से यस बैंक के एटी-1 बॉन्ड में 1,750 करोड़ रुपये का निवेश किया और फिर अक्टूबर के अंत और दिसंबर 2017 में दो किश्तों में 500 करोड़ रुपये और लगाए, जिससे कुल निवेश 2,250 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

जांच जारी, जय अनमोल की भूमिका केंद्र में

CBI का आरोप है कि RNMF और यस बैंक के बीच हुए इन ट्रांजैक्शन का असली उद्देश्य सेबी के उन नियमों को दरकिनार करना था, जो म्यूचुअल फंड्स को अपनी ही समूह कंपनियों में निवेश करने से रोकते हैं. एजेंसी का मानना है कि जय अनमोल अंबानी ने RNMF के फंड्स को रिलायंस समूह की मुश्किल में फंसी कंपनियों की मदद के लिए निर्देशित किया.

सीबीआई ने अदालत को बताया है कि वह जय अनमोल अंबानी की भूमिका की अलग से जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्होंने RNMF की निवेश नीतियों पर किस हद तक प्रभाव डाला और क्या उन्होंने जानबूझकर यस बैंक और एडीए ग्रुप के बीच फंड्स के इस चक्र को सक्रिय रखा.

एजेंसी का कहना है कि इन निवेशों से दोनों पक्षों को अस्थायी वित्तीय राहत तो मिली, लेकिन इसका बोझ आखिरकार आम निवेशकों और पब्लिक फंड पर पड़ा.

डिस्क्लेमर: यह खबर ईटी द्वारा सीबीआई की चार्जशीट की समीक्षा के आधार पर तैयार की गई है. खबर में दी गई किसी भी जानकारी की पुष्टि Money9 Live नहीं करता.