नितिन कामथ ने बताया कैसे 10 लाख में खड़ी की 30 हजार करोड़ की जेरोधा, नहीं लिया 1 रुपये का भी कर्ज
1.6 करोड़ कस्टमर के साथ जेरोधा देश के शीर्ष स्टाॅक ब्रोकर्स में शामिल है. 2020 के बाद से कंपनी ने रॉकेट की रफ्तार से ग्रोथ की है. हालांकि, जिस दौर में तमाम फिनटेक प्लेटफॉर्म और ब्रोकरेज ऐप्स को बड़े-बड़े इन्वेस्टमेंट राउंड्स से गुजरना पड़ा है. जबकि, कई ने IPO का रुख किया है. वहीं, जेरोधा ने एक भी रुपये का कर्ज लिए बिना 30 हजार करोड़ से ज्यादा का बिजनेस खड़ा किया है.
स्टॉक ब्रोकरेज को एक कैपिटल इंटेंसिव बिजनेस माना जाता है. इसके अलावा यह भी आम धारणा है कि बिना बड़े इन्वेस्टर्स, लोन और IPO के एक सफल स्टॉक ब्रोकरेज बिजनेस खड़ा कर पाना संभव नहीं है. लेकिन जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामथ ने इस धारणा को ध्वस्त किया है.
कामथ का कहना है कि उन्होंने महज 10 लाख रुपये में जेरोधा को एक छोटे से स्टार्टअप से सफल स्टॉक ब्रोकरेज बिजनेस में बदला है. कामथ ने खुद इस राज को उजागर करते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने बिना कर्ज, बिना वेंचर कैपिटल इन्वेस्टमेंट और बिना IPO के इस तरह का सफल बिजनेस खड़ा किया.
कामथ ने क्या कहा?
एक्स पर एक पोस्ट में कामथ ने लिखा, किसी ने Reddit पर उनसे पूछा कि जेरोधा ऐसा क्या अलग किया कि यह बिना IPO और वेंचर फंड्स के प्रॉफिटेबल बन गया. पोस्ट में आगे कामथ ने इस सवाल का जवाब देते हुए उस राज को उजागर किया, जिसे हर कोई जानना चाहता है.
25 साल बाजार में बिताए
कामथ कहते हैं कि अक्सर लोग भूल जाते हैं कि उन्होंने जेरोधा के साथ बाजार में 15 साल बिताए हैं और इससे पहले 10 साल और निकले हैं. इस तरह 25 साल में यह सब हुआ है. बिजनेस में अक्सर चीजें वक्त के साथ कंपाउंड होती हैं. खासतौर पर अगर आप जो कर रहे हो, उससे प्यार करते हो और किस्मत से सही समय पर सही जगह मौजूद रहो.
कैसे बनाई जेरोधा?
कामथ ने बताया कि जब उन्होंने जेरोधा की शुरुआत की उस समय एक्सचेंज डिपॉजिट 90 लाख रुपये था. अब यह करीब 1.5 करोड़ रुपये है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि शुरुआत में सबसे अहम योगदान ‘NSE Now’ ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का है, जो NSE ब्रोकर्स के लिए फ्री में मिलता है. वहीं, बैक ऑफिस ऑपरेशन के लिए वेंडर से इस कॉन्ट्रैक्ट किया, जिसने बिना किसी लागत के कॉन्ट्रैक्ट नोट्स और लेजर मेंटेनेंस जैसे काम किए. असल में हम उसके प्लेटफॉर्म को टेस्ट कर रहे थे.
जेरोधा शुरू करने में कितना खर्च हुआ?
कामथ ने बताया कि जेरोधा की शुरुआत मोटे तौर पर 10 लाख रुपये में हो गई. तकरीबन यही कुल खर्च जेरोधा को बनाने में हुआ है. इसमें 2.5 लाख रुपये वेबसाइट बनाने पर खर्च हुए. 5 लाख रुपये ऑफिस का इंटीरियर बनाने में और 2.5 लाख रुपये अलग-अलग चीजों पर खर्च हुए.
परवरिश में मिली किफायत
उन्होंने बताया कि वे एक आम मिडल क्लास परिवार से आते हैं. उनके पिता बैंक में मैनेजर थे और मां वीणा सिखाती थीं. निवेश करने के लिए कोई अमीर रिश्तेदार भी नहीं था. इस तरह उन्होंने इशारों में बताया कि उन्हें परवरिश में किफायत सीखने को मिली, जिसका नतीजा यह निकला कि बेहद कम खर्च में जेरोधा को बना पाए.
इंडिया की ग्रोथ से बड़े हुए हम
कामथ ने बताया कि संयोग से जेरोधा की ग्रोथ भारत की ग्रोथ से जुड़ी है. उनकी कंपनी सही समय पर सही जगह पर सही प्रोडक्ट के साथ मौजूद थी. वैसे भी किसी भी फाउंडर की तरफ से दिया गया कोई भी ज्ञान आखिर में सही टाइमिंग पर आकर खत्म होता है. जाहिर है कि यह पूरी तरह से किस्मत पर निर्भर करता है.
एनवीडिया की दी मिसाल
अपनी कामयाबी में टाइमिंग की अहमियत को बताने के अलावा कामथ ने एनवीडिया के जेन्सेन हुआंग की मिसाल देते हुए कहा कि उन्होंने जैसे-तैसे 30 साल बिताए. लेकिन, जब सही जगह, सही समय और सही प्रोडक्ट का संयोग बना, तो एनवीडिया आज कहां है सब जानते हैं.
सबसे बड़ा फायदा क्या हुआ?
वेंचर कैपिटल इन्वेस्टमेंट और IPO के बिना बिजनेस चलाने के फायदे पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अब उनके ऊपर किसी इन्वेस्टर के एग्जिट का दबाव नहीं है. वे निवेशकों के लिए सही कदम उठाने के लिए आजाद हैं, भले ही ये कदम बिजनेस के नजरिये से फायदेमंद नहीं हों. मिसाल के तौर पर जेरोधा की नो स्पैम और नो ट्रैकिंग पॉलिसी इसका ही नतीजा हैं.