ORS का हर पैकेट नहीं है जिंदगी की घोल, इसके पीछे छिपा है अरबों का खेल; इसलिए FSSAI ने कसी नकेल

भारत में ORS का बाजार तेजी से मेडिकल से कंज्यूमर कैटेगरी में बदल रहा है, जिससे रिलायंस, HUL और डाबर जैसी बड़ी कंपनियों ने भी हाइड्रेशन सेगमेंट में एंट्री कर ली है. बढ़ती मांग के बीच कई ब्रांडों ने अपने फ्लेवर्ड ड्रिंक्स को “ORS” नाम से बेचना शुरू कर दिया, जिससे ग्राहकों में भ्रम फैला और विवाद खड़ा हुआ. लेकिन अब FSSAI ने सख्त निर्देश देते हुए सभी मेडिकल स्टोर्स को चेतावनी दी है.

ORS का भारतीय बाजार Image Credit: @Canva/Money9live

ORS Market in India and WHO FSSAI: भारत में ORS यानी ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन का बाजार पिछले कुछ समय से तेजी और विवाद दोनों में बना हुआ है. पहले ORS को सिर्फ एक मेडिकल प्रोडक्ट माना जाता था, जो खासतौर पर डिहाइड्रेशन या दस्त के इलाज में इस्तेमाल होता था, लेकिन अब देश में फिटनेस कल्चर, बढ़ती गर्मी, स्पोर्ट्स ड्रिंक्स की मांग और लाइफस्टाइल में आने वाले बदलाव के कारण यह पूरा सेगमेंट तेजी से फैल रहा है. इस तेजी को और धार भारत में मौजूद कई बड़ी FMCG कंपनियां ने दिया है. रिलायंस, HUL, डाबर और टाटा जैसे ब्रांड अपने प्रोडक्ट्स के साथ इस सेगमेंट में उतार लाए हैं.

इस विस्तार के दौरान कई कंपनियों ने इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक या फ्लेवर्ड हाइड्रेशन प्रोडक्ट्स को “ORS” नाम या उसके जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके बेचना शुरू किया, जिससे ग्राहकों के बीच भ्रम पैदा हो गया. यही भ्रम आगे चलकर बड़े विवाद में बदल गया. ORS नाम के साथ इस सेगमेंट में एंट्री की सबसे बड़ी वजह इसका बड़ा मार्केट है.

कितना बड़ा है भारत में ORS का बाजार?

एक्सपर्ट मार्केट रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ORS का मार्केट आज 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो चुका है. मार्केट साइज में ये तेजी सिर्फ बीमारियों की वजह से नहीं बल्कि तेजी से बदलती लाइफस्टाइल से भी बढ़ी है. भारत का हाइड्रेशन सप्लीमेंट मार्केट 2025-34 के बीच 8.40 फीसदी CAGR की दर से बढ़ने जा रहा है. इसी तेजी को देखते हुए भारत में कई दूसरी कंपनियों ने भी इस सेगमेंट में एंट्री करनी शुरू की. हालांकि, असल में WHO की ओर से निर्देशित ORS में कई जरूरी चीजों का शामिल होना अहम है लेकिन दूसरी कई कंपनियों ने इन बातों को दरकिनार कर अपने प्रोडक्ट्स को जोरों-शोर से लॉन्च किया है.

किन कंपनियों ने इस सेगमेंट में ली एंट्री?

पहले ORS सिर्फ मेडिकल ब्रांड जैसे, Cipla, Dr Reddy’s, INTL के बीच ही सीमित था. लेकिन अब यह तेजी से बढ़ता कंज्मूजर मार्केट बन चुका है. हालिया सालों में इसमें HUL, Reliance Consumer Products (RCPL), Fast&Up, Dabur जैसी तमाम कंपनियों ने अपने-अपने प्रोडक्ट के जरिये इस सेंगमेंट में एंट्री की है.

FSSAI ने लिया बड़ा एक्शन!

इन शिकायतों और बढ़ते भ्रम को देखते हुए FSSAI ने लगातार सलाह और चेतावनी जारी की थी, लेकिन कुछ कंपनियां फिर भी “ORS” शब्द का गलत इस्तेमाल जारी रखे हुए थीं. इसके बाद 19 नवंबर को FSSAI ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बेहद सख्त आदेश जारी किया. इस आदेश के तहत निर्देश दिया गया कि देशभर में दुकानों, मेडिकल स्टोर्स, सुपरमार्केट, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और सभी आधुनिक व्यापार चैनलों से ऐसे सभी प्रोडक्ट तुरंत हटाए जाएं, जो गलत तरीके से “ORS” नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं.

FSSAI ने यह भी कहा कि पहले 14 और 15 अक्टूबर को जारी निर्देशों के बावजूद कई ब्रांड नियमों का पालन नहीं कर रहे थे, इसलिए अब सख्त कार्रवाई जरूरी हो गई है. निर्देशों में स्पष्ट कहा गया कि राज्यों को तुरंत निरीक्षण अभियान चलाना होगा, गैर-अनुपालन वाले प्रोडक्ट्स की सूची तैयार करनी होगी और कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट जल्द से जल्द FSSAI को भेजनी होगी.

WHO बेस्ड मेडिकल ORS ही सही!

एक अहम मुद्दा यह भी सामने आया कि कई जगह निरीक्षण टीमों ने गलती से असली मेडिकल ORS पर भी रोक लगाने की कोशिश की, जो वास्तव में दवा की कैटेगरी में आता है और FSSAI के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इस भ्रम को दूर करते हुए FSSAI ने साफ कहा कि WHO-बेस्ड मेडिकल ORS “Drugs and Cosmetics Act, 1940” के तहत आता है और FSSAI की कोई भी टीम उन्हें न तो जब्त कर सकती है और न ही दुकानों से हटाने का आदेश दे सकती है.

असली ORS गंभीर रोग स्थितियों में जरूरी होता है, इसलिए उसकी बिक्री और उपलब्धता पर किसी भी तरह का हस्तक्षेप पूरी तरह गलत है. यह पूरे अभियान का सबसे महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण था, जिसे जारी कर FSSAI ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि असली ORS और नकली/गलत लेबल वाले प्रोडक्ट्स के बीच का फर्क बिल्कुल स्पष्ट रहे.

कहां से शुरू हुआ मामला?

इस पूरे मामले की शुरुआत 2017 में तब हुई जब हैदराबाद की एक बाल रोग विशेषज्ञ (पेडियाट्रिशन) डॉ. शिवरंजन‍नी सांतोष ने मेडिकल इंडस्ट्री में बदलाब लाने के लिए एक लंबी लड़ाई शुरू की. उन्होंने देखा कि कुछ शुगर ड्रिंक्स खुद को जीवन बचाने वाला ORS बताकर बेचे जा रहे थे, जबकि वे असल में WHO के मानकों वाले मेडिकल ORS नहीं थे. शुरुआत में यह सिर्फ जागरूकता फैलाने की मुहिम थी, लेकिन 2021 में डॉ. शिवरंजन‍नी ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाकर पहले CDSCO, फिर FSSAI और स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखित शिकायत भेजी.

अप्रैल 2022 में FSSAI ने ORS लेबल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी, लेकिन जुलाई 2022 में यह आदेश वापस ले लिया गया और कंपनियों को चेतावनी जोड़कर “ORS” शब्द इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी गई. लेकिन चूंकि ज्यादातर लोग पैकिंग पर लिखे छोटे-छोटे डिस्क्लेमर नहीं पढ़ते, इसलिए यह आम लोगों के लिए भ्रमित करने वाला और भ्रामक साबित हो रहा था.

ORS और हाइड्रेशन जरूरत अलग-अलग

इस पूरे मामले ने भारत के तेजी से बढ़ते हाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक बाजार को नए ढंग से डिफाइन कर दिया है. असली ORS हमेशा मेडिकल यूज के लिए रहेगा, जबकि फिटनेस, गर्मी, गेमिंग, स्पोर्ट्स और रोजमर्रा की हाइड्रेशन जरूरतों के लिए अलग-अलग फ्लेवर्ड और लो-शुगर प्रोडक्ट्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. 

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