प्रीति जिंटा पहुंचीं कोर्ट, पूर्व बॉयफ्रेंड और मोहित बर्मन के खिलाफ ठोका केस; जानें क्या है पूरा मामला
पंजाब किंग्स की स्वामित्व वाली कंपनी केपीएच ड्रीम क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड में नए डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर विवाद छिड़ गया है. PBKS की सह-मालकिन प्रीति जिंटा ने नियुक्ति को चुनौती देते हुए चंडीगढ़ की अदालत का रुख किया है. ऐसे में चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

Preity Zinta legal case Punjab Kings controversy: अगर आप आईपीएल में पंजाब किंग्स (PBKS) टीम के प्रदर्शन के साथ-साथ उसकी अंदरूनी गतिविधियों पर भी नजर रखते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. दरअसल, पंजाब किंग्स की सह-मालिक और बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने चंडीगढ़ की एक अदालत में अपने सह-निदेशकों मोहित बर्मन (Mohit Burman) और नेस वाडिया (Ness Wadia) के खिलाफ केस दर्ज करवाया है. तीनों KPH ड्रीम क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं, जो इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम पंजाब किंग्स की मालिकाना कंपनी है. जिंटा ने चंडीगढ़ की जिला अदालत में एक सिविल केस दायर करते हुए कंपनी द्वारा 21 अप्रैल 2025 को बुलाई गई एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) को गैरकानूनी और अमान्य घोषित करने की मांग की है.
क्या है मामला?
दरअसल पूरा मामला पंजाब किंग्स की स्वामित्व वाली कंपनी केपीएच ड्रीम क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड में नए डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर है. प्रीति जिंटा KPH ड्रीम क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड की डॉयरेक्टर हैं और कंपनी में 23 फीसदी हिस्सेदारी रखती हैं. उन्होंने अपने वकील संग्राम सिंह सरों के माध्यम से अदालत में यह दलील दी है कि उक्त EGM को Companies Act, 2013 और Secretarial Standards के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए बुलाया गया और आयोजित किया गया. अदालत ने इस मामले में कंपनी और सह-निदेशकों मोहित बर्मन और नेस वाडिया को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इस याचिका पर अगली सुनवाई 27 मई 2025 को होगी, जिसमें इंटरिम इंजंक्शन को लेकर दोनों पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी.
प्रिति जिंटा का क्या है आरोप?
प्रीति जिंटा का दावा है कि उन्होंने 10 अप्रैल को ईमेल के माध्यम से इस बैठक पर आपत्ति जताई थी, लेकिन इसके बावजूद मोहित बर्मन और नेस वाडिया ने बैठक आयोजित की. उनकी याचिका के मुताबिक, बैठक शुरू होते ही जिंटा और निदेशक करण पॉल ने चेयरपर्सन के रूप में नेस वाडिया की नियुक्ति पर आपत्ति जताई. उन्होंने Secretarial Standards के Principle 5.1 का हवाला देते हुए कहा कि अगर चेयरपर्सन पहले से तय नहीं है, तो निदेशकों को आपसी सहमति से चेयरपर्सन चुनना चाहिए.
जिंटा और पॉल ने चेयरपर्सन पद के लिए खुद को नामित किया, जिससे चार निदेशकों के बीच मत विभाजन (2-2) की स्थिति बनी. इसके बावजूद बर्मन और वाडिया ने बैठक को आगे बढ़ाया और मुनीश खन्ना को अतिरिक्त गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में नियुक्त कर दिया.
कंपनी के नियमों का उल्लंघन?
जिंटा का कहना है कि खन्ना की नियुक्ति न सिर्फ कंपनी के Articles of Association के खिलाफ है, बल्कि यह कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मूल सिद्धांतों का भी उल्लंघन है. उन्होंने अदालत से आग्रह किया है, इनमें शामिल हैं, कंपनी और दूसरे निदेशक EGM में लिए गए किसी भी निर्णय को लागू न करें और मुनीश खन्ना को निदेशक के रूप में कार्य करने से रोका जाए. साथ ही जब तक मामला अदालत में लंबित है, कोई भी बोर्ड मीटिंग या जनरल मीटिंग उनके और करण पॉल की सहभागिता के बिना न हो.
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