गोल्ड रिजर्व में ऐतिहासिक इजाफा, RBI ने एक साल में खरीदा 57 टन सोना, 879 टन पहुंचा भंडार
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2025 में 57 टन से अधिक सोना अपने रिजर्व में जोड़ा, जिससे कुल गोल्ड रिजर्व बढ़कर 879.59 टन हो गया है. इस दौरान सोने की कीमतों में 30 फीसदी की वार्षिक बढ़ोतरी दर्ज की गई.

RBI Add Gold in reserve: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2025 (FY 25) की दूसरी छमाही में अपने गोल्ड रिजर्व में करीब 25 टन सोना खरीदा है. इस दौरान सोने की कीमतों में तेजी देखी गई. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक आरबीआई के पास अब कुल 879.59 टन सोना है. वहीं इससे पहले, यानी सितंबर 2024 के अंत में यह 854.73 टन था.
57 टन से अधिक सोना जुड़ा
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरा वित्तीय वर्ष देखें तो FY25 में आरबीआई ने 57 टन से ज्यादा सोना अपने भंडार में जोड़ा. इस दौरान सोने की कीमतों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. यह पिछले 7 सालों में सबसे बड़ी वार्षिक बढ़ोतरी है. RBI की ‘हाफ ईयरली रिपोर्ट ऑन मैनेजमेंट ऑफ फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स’ के अनुसार देश में रखे गए सोने की मात्रा में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है जिसके बाद वह 511.99 टन हो गई.
देश में रखे गए सोने के अलावा, 348.62 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) की सिक्योर वॉल्ट में है. वहीं, 18.98 टन गोल्ड डिपॉजिट के रूप में रखा गया है. FY25 की पहली छमाही में आरबीआई ने ज्यादा मात्रा में सोना देश के भंडार में लाया था. 30 सितंबर 2024 तक देश में 510.46 टन सोना था, जो 31 मार्च 2024 के 408 टन से ज्यादा था.
फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व भी बढ़ा
वैश्विक स्तर पर बढ़ते जियोपॉलिटिकल टेंशन के बीच सोने की यह हेरफेर भारत के लिए 1991 के बाद सबसे बड़ी रिजर्व में से एक है. 1991 में भारत ने फॉरेन एक्सचेंज क्राइसेस संकट से निपटने के लिए अपने सोने का बड़ा हिस्सा गिरवी रखा था. रिपोर्ट में बताया गया कि कुल फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व में सोने की हिस्सेदारी मार्च 2025 के अंत तक बढ़कर 11.70 फीसदी हो गई जो छह महीने पहले 9.32 फीसदी थी.
हालांकि, कुल फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व सितंबर 2024 के 705.78 अरब डॉलर से घटकर मार्च 2025 में 668.33 अरब डॉलर रह गया. यह रिजर्व अब 10.5 महीने के आयात को कवर करने के लिए काफी है. सितंबर 2024 में 11.8 महीने था. विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की बढ़ती कीमत और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आरबीआई का यह कदम भारत की आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में अहम है.
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