पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए RBI ने जारी किए नए गाइडलाइन, अब 3 कैटेगरी में करेंगे काम; सेफ और ट्रांसपेरेंट होगी ट्रांजेक्शन

भारतीय रिजर्व बैंक ने पेमेंट एग्रीगेटर्स को रेगुलेट करने के लिए नए गाइडलाइन जारी किए हैं. ये नियम तुरंत लागू हो गए हैं. पेमेंट एग्रीगेटर्स को उनके काम के अनुसार तीन कैटेगरी में बांटा गया है. नॉन-बैंकों के लिए नेट-वर्थ और कैपिटल की शर्तें तय की गई हैं.

नए नियमों के अनुसार पेमेंट एग्रीगेटर्स को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. Image Credit: CANVA

Payment Aggregator RBI Guidelines: भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को पेमेंट एग्रीगेटर्स को रेगुलेट करने के लिए नए गाइडलाइन जारी किए हैं. ये नियम तुरंत लागू हो गए हैं. नए गाइडलाइन के तहत पेमेंट एग्रीगेटर्स को उनके काम के अनुसार तीन कैटेगरी में बांटा गया है. इन कैटेगरी में PA-P, PA-CB और PA-O शामिल हैं. PA-P का संबंध फिजिकल पेमेंट एग्रीगेटर्स से है, PA-CB क्रॉस बॉर्डर और PA-O ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर्स से है.

पेमेंट एग्रीगेटर्स की कैटेगरी

नए नियमों के अनुसार पेमेंट एग्रीगेटर्स को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. PA-P वे हैं जो फिजिकल ट्रांजेक्शन करते हैं. PA-CB वे हैं जो अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन से जुड़े हैं. PA-O वे हैं जो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा देते हैं. प्रत्येक कैटेगरी के लिए अलग-अलग नियम और निगरानी व्यवस्था बनाई गई है

बैंक और नॉन-बैंक के लिए नियम

बैंकों को पेमेंट एग्रीगेटर का बिजनेस करने के लिए कोई विशेष अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. वहीं नॉन-बैंकों के लिए रिजर्व बैंक ने मिनिमम कैपिटल और नेट-वर्थ की शर्तें निर्धारित की हैं. नए नियमों के अनुसार नॉन-बैंक एंटिटी को आवेदन के समय न्यूनतम 15 करोड़ रुपये नेट-वर्थ होना आवश्यक है. तीसरे वित्तीय वर्ष के अंत तक यह नेट-वर्थ 25 करोड़ रुपये तक बढ़ाना होगा

फंड मैनेजमेंट और एस्क्रो अकाउंट

गाइडलाइनों में एस्क्रो अकाउंट और फंड मैनेजमेंट की अलग मैनेजमेंट की गई है. एग्रीगेटर्स को अपने ग्राहकों के फंड को सुरक्षित रखने के लिए एस्क्रो अकाउंट में रखना होगा. फंड का सही मैनेजमेंट और निगरानी भी जरूरी होगी. इस नियम का उद्देश्य ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा और ट्रांजेक्शन की ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित करना है

अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन के लिए लिमिट

PA-CB यानी क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए स्पेशल लिमिट निर्धारित की गई है. इन एग्रीगेटर्स को अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन के दौरान तय लिमिट के भीतर ही काम करना होगा. इससे वित्तीय जोखिम और धोखाधड़ी की संभावना कम होगी.

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प्रमोटर्स के लिए क्राइटेरिया

नए गाइडलाइन के अनुसार पेमेंट एग्रीगेटर्स के प्रमोटर्स को फिट और प्रोपर स्टैंडर्ड का पालन करना होगा. इसका मतलब है कि प्रमोटर्स को वित्तीय और मोरल रूप से योग्य होना चाहिए. इससे बिजनेस की विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

2024 में लाया गया था नियम

रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2024 में पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी किए थे. इसके बाद सभी स्टेकहोल्डर्स से राय ली गई. अब फाइनल गाइडलाइन जारी कर दिए गए हैं, जो कि पेमेंट एग्रीगेटर बिजनेस की ट्रांसपेरेंसी और सुरक्षा को बढ़ावा देंगे.