Rupee vs USD: रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, 89.73 रुपये प्रति डॉलर तक फिसली कीमत, क्यों आ रही कमजोरी?
इंटरनेशनल करेंसी एक्सचेंज मार्केट में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में भारी कमजोरी देखने को मिली है. डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड लो लेवल पर आ गया है. इंट्रा डे कारोबार में शुक्रवार को रुपया इतिहास में पहली बार 89 रुपये प्रति डॉलर के अहम स्तर से नीचे गिर गया है.
भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 89.73 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसल गया है. डॉलर की घरेलू मांग बढ़ने और बाजार में डॉलर सप्लाई घटने की वजह से भारतीय मुद्रा पर अचानक दबाव बढ़ रहा है. आमतौर पर रुपये की ऐसी तेज गिरावट शेयर बाजार में शॉर्ट-टर्म रिस्क-ऑफ सेंटीमेंट पैदा करती है, क्योंकि आयात महंगा होता है, कॉरपोरेट्स की लागत बढ़ती है और मार्जिन पर दबाव बनता है. शुक्रवार को 89.49 की रिकॉर्ड लो क्लोजिंग के बाद रुपया सोमवार को फ्यूचर में इंट्रा डे कारोबार में 89.73 के स्तर तक गिर गया है.

क्यों टूटा रुपया?
ग्लोबल संकेत लगभग स्थिर हैं. Dollar Index में कोई खास हलचल नहीं है, क्रूड प्राइस भी शांत है. उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं में कमजोरी नहीं दिख रही. लेकिन, इसके बाद भी रुपये में गिरावट देखने को मिली है. इसे लेकर मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट में बातया गया है कि RBI हाल में 88.80 के स्तर पर रुपये को डिफेंट किया, लेकिन अचानक पीछे हटने से स्टॉप-लॉस ट्रिगर हुए और गिरावट तेज हो गई. सोमवार को खबर लिखे जाते समय तक इंट्रा बैंक करेंसी एक्सचेंज पर रुपये डॉलर के मुकाबले 89.19 के स्तर पर ट्रेड करते दिखा.

इक्विटी मार्केट पर दबाव
रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स का दावा है कि रुपये में आई कमजोरी का असर इंपोर्ट डिपेंडेंसी वाले सेक्टर्स के लिए दबाव बढ़ाने वाला है. इसकी वजह से तमाम मिडकैप-स्मॉलकैप शेयरों पर भी दबाव बढ़ा है. FIIs आमतौर पर करंसी गिरावट के वक्त डिफेंसिव एप्रोच अपनाते हैं, क्योंकि डॉलर के टर्म में एडजस्टेड रिटर्न घटते हैं और वोलैटिलिटी बढ़ती है. रुपये की कमजोरी को एक्सपर्ट्स ने शॉर्ट-टर्म इक्विटी सेंटीमेंट को ठंडा करने वाला बताया है. खासकर हाई-वैल्यूएशन और रेट-सेंसिटिव स्टॉक्स पर इसके दबाव की बात की है.
क्या FII जल्द लौटेंगे?
Geojit Investments के वीके विजयकुमार का कहना है कि इस समय रुपये की गिरावट का बाजार पर बड़ा असर नहीं दिखेगा, क्योंकि वैल्यूएशन पहले से कूल्ड-ऑफ हैं. AI थीम की कमजोरी के बाद वे उम्मीद करते हैं कि FIIs फिर से भारतीय बाजारों के खरीदार बनेंगे, जिससे करंसी पर भी दबाव घटेगा.
रुपया कब स्थिर होगा?
ज्यादातर एनालिस्ट मानते हैं कि गिरावट सीमित हो सकती है अगर कुछ प्रमुख ट्रिगर साथ आएं, जैसे- क्रूड सॉफ्ट हो, डॉलर इंडेक्स कूल हो, और RBI वोलैटिलिटी को कंट्रोल में रखे. इसके अलावा संभावित India-US ट्रेड डील भी ट्रेड डेफिसिट कम करके रुपये को सपोर्ट दे सकती है. वहीं, अगले तीन–चार क्वार्टर्स में रुपये के स्थिर दायरे में लौटने की उम्मीद जताई जा रही है.
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