सहारा ग्रुप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच में दो गिरफ्तार, करोड़ों की प्रॉपर्टी डील और कैश ट्रांजैक्शन का खुलासा
एक बड़ा कारोबारी समूह, हजारों निवेशकों की पूंजी और उन पैसों से जुड़े रहस्यमय सौदे... हाल ही में एक जांच एजेंसी की कार्रवाई ने इन सभी पर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या है इस पूरे मामले की असली कहानी और किन पर है कानून की नजरें? पढ़ें पूरी रिपोर्ट...
सहारा ग्रुप के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की मनी लॉन्ड्रिंग जांच में बड़ा एक्शन हुआ है. एजेंसी ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जो समूह की संपत्तियों की बिक्री और अवैध पैसों के लेन-देन में सक्रिय रूप से शामिल बताए जा रहे हैं. इनमें एक सहारा समूह के चेयरमैन की कोर टीम का कार्यकारी निदेशक है, जबकि दूसरा लंबे समय से समूह से जुड़ा प्रॉपर्टी ब्रोकर बताया गया है.
किन लोगों की हुई गिरफ्तारी
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के नाम वेलापरंपिल अब्राहम और जितेंद्र प्रसाद वर्मा हैं. अब्राहम सहारा समूह की प्रॉपर्टी बिक्री में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे और एजेंसी का दावा है कि इन सौदों में बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी का लेन-देन हुआ, जिसे बाद में इधर-उधर कर दिया गया. वहीं, वर्मा ने इन सौदों को जमीन पर उतारने में अहम भूमिका निभाई और नकद रकम को छिपाने और खपाने में सहायता की.
ED के मुताबिक हाल ही में की गई तलाशी के दौरान ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो यह संकेत देते हैं कि सहारा समूह की संपत्तियों को एक-एक करके गुप्त तरीके से बेचा जा रहा था. इन सौदों में अब्राहम और वर्मा ने समूह के प्रमोटरों की मदद की, जो इस दौरान देश के बाहर रह रहे थे.
500 से ज्यादा FIR और पोंजी स्कीम का आरोप
ED की यह कार्रवाई उन 500 से अधिक FIR पर आधारित है जो अलग-अलग राज्यों की पुलिस ने सहारा समूह और उसकी सहयोगी संस्थाओं के खिलाफ दर्ज की थीं. खासतौर पर ‘हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी’, ‘सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव’, ‘सहारा यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी’ जैसे संस्थानों के खिलाफ ओडिशा, बिहार और राजस्थान में शिकायतें दर्ज हैं.
यह भी पढ़ें: ना ही प्राइवेट, ना PSU! इस दिग्गज बैंक में फिर क्यों दिखी 6 महीने में 44% की तेजी, सरकार का क्या है बूस्टर प्लान
एजेंसी का कहना है कि सहारा समूह ने इन संस्थाओं के जरिए पोंजी स्कीम चलाई, जहां बिना किसी रेगुलेटरी निगरानी के जमा ली गई राशि को बार-बार घुमाया गया और मेच्योरिटी पर पैसे लौटाने की बजाय जबरदस्ती फिर से निवेश कराया गया.
करोड़ों की संपत्तियों की कुर्की
इस साल की शुरुआत में ED ने महाराष्ट्र के ऐंबी वैली में 707 एकड़ जमीन और सहारा प्राइम सिटी की 1,023 एकड़ जमीन को कुर्क किया था, जिनकी कुल कीमत करीब 3,000 करोड़ रुपये थी. एजेंसी के मुताबिक ये सारी संपत्तियां बेहिसाब निवेश और नकद लेन-देन का हिस्सा थीं, जो अब मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में आ चुकी हैं.