SEBI ने दो ठगों पर कसी नकेल, निवेशकों के पैसों से भर रहे थे अपनी जेबें; अब 3 साल का बैन
SEBI ने दो ऑपरेटर्स को तीन साल तक शेयर बाजार में काम करने से रोक दिया है. इनके नाम शिवप्रसाद पाटिया और अलकेश नरवर हैं. सेबी ने इन्हें निवेशकों को ठगने की सजा दी है. साथ ही गलत तरीके से कमाए गए 4.83 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया है.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने दो ऑपरेटर्स को तीन साल तक शेयर बाजार में काम करने से रोक दिया है. इनके नाम शिवप्रसाद पाटिया और अलकेश नरवर हैं. सेबी ने इन्हें निवेशकों को ठगने की सजा दी है. साथ ही गलत तरीके से कमाए गए 4.83 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया है. इसके अलावा दोनों पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. यह कार्रवाई 27 जनवरी 2021 से 1 फरवरी 2022 के बीच उनके गलत कामों के लिए हुई है. ऐसे में आइए पूरे मामले को विस्तार से जानते हैं.
क्या है पूरा मामला?
पाटिया और नरवर ने मिलकर निवेशकों को धोखा दिया. उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर निवेशकों को फोन या मैसेज किए. वे वादा करते थे कि अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाएंगे तो बड़ा मुनाफा होगा. वे निवेशकों को ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर या एल्गो ट्रेडिंग का इस्तेमाल करने के लिए कहते थे. इससे बहुत कमाई होने का दावा था. जब निवेशक भरोसा कर लेते तो वे उनके ट्रेडिंग खातों का लॉगिन डिटेल ले लेते. इसके बाद वे नकली खेल शुरू करते.
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वे ऐसे स्टॉक ऑप्शंस में ट्रेडिंग करते, जिनमें बहुत कम खरीद-बिक्री होती थी. ये स्टॉक ऑप्शंस आउट ऑफ द मनी थे, यानी बहुत जोखिम भरे और अक्सर बेकार हो जाते. वे अपने कंट्रोल वाले खातों से इन ऑप्शंस को बहुत ऊंचे दाम पर बेचने का ऑर्डर डालते. फिर कुछ सेकंड या मिनट बाद, निवेशकों के खातों से उसी दाम और मात्रा में खरीद का ऑर्डर डालते. इससे ट्रेडिंग पूरी हो जाती लेकिन निवेशकों का सारा पैसा, जो प्रीमियम के रूप में दिया गया था वो डूब जाता. वहीं, धोखेबाज अपने खातों में पैसा जमा कर लेते.
सेबी को इसकी जानकारी कब मिली?
सेबी को इसकी जानकारी तब मिली, जब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को निवेशकों की शिकायतें मिलीं. कई निवेशकों ने बताया कि वे व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल हुए, जहां उन्हें बड़ा मुनाफा का लालच दिया गया. उन्होंने अपने ट्रेडिंग खाते की जानकारी ग्रुप वालों को दी, और फिर उनके खातों में ऐसी ट्रेडिंग हुई. इससे लाखों का नुकसान हुआ.
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सेबी ने देखा कि इन “आउट ऑफ द मनी” ऑप्शंस में अजीब दामों पर ट्रेडिंग हो रही थी. इससे शक हुआ. सेबी की जांच में पता चला कि यह एक सोचा-समझा धोखा था. पाटिया और नरवर ने जानबूझकर ऐसे स्टॉक ऑप्शंस चुने जो जल्दी खत्म होने वाले और बेकार होने वाले थे. उनकी ट्रेडिंग का तरीका साफ दिखाता था कि वे निवेशकों को ठगना चाहते थे. सेबी ने इसे बड़ा धोखाधड़ी का मामला बताया.
निवेशकों को सावधान रहना चाहिए
अब सेबी ने पाटिया और नरवर को 4.83 करोड़ रुपये 12% ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया है. यह मामला दूसरों के लिए चेतावनी है कि सेबी बाजार पर नजर रखता है और धोखेबाजों के खिलाफ कार्रवाई करता है. यह धोखा बताता है कि निवेशकों को सावधान रहना चाहिए. कभी भी अपने ट्रेडिंग खाते की जानकारी न दें. गारंटी वाले मुनाफे के वादों पर भरोसा न करें.
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