नए GST से Swiggy-Zomato परेशान, ऑनलाइन खाना ऑर्डर करना हो जाएगा महंगा! बढ़ सकती है डिलीवरी फीस

नए जीएसटी नियम स्विगी और जोमैटो के लिए चुनौती लेकर आए हैं. डिलीवरी शुल्क पर टैक्स का बोझ बढ़ने से कंपनियां इसे ग्राहकों पर डाल सकती हैं, जिससे खाना ऑर्डर करना महंगा हो सकता है. हालांकि, सरकार का मकसद टैक्स सिस्टम को बेहतर करना है, लेकिन कंपनियों को इसे लागू करने में सावधानी बरतनी होगी ताकि ग्राहकों और उनके कारोबार पर ज्यादा असर न पड़े.

जोमैटो और स्विगी Image Credit: @Money9live

GST rules brought challenges for Swiggy and Zomato: GST रिफॉर्म से लोगों को काफी राहत मिली है. नए GST से लोगों का मासिक बजट काफी कम हो जाएगा. लेकिन, इन सब के इतर भारत के दो बड़े फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी और जोमैटो नए GST नियमों को लेकर टेंशन में है. दरअसल, इन नए GST के तहत, इन कंपनियों को अपनी डिलीवरी सेवाओं पर टैक्स देना होगा. इससे उनकी लागत बढ़ सकती है, और वे इस अतिरिक्त खर्च को ग्राहकों पर डाल सकते हैं. इसका मतलब है कि खाना ऑर्डर करने की कीमत बढ़ सकती है. ऐसे में इसका सीधा असर उनके ग्राहकों पर पड़ सकता है और इसकी वजह से लोग खाना कम आर्डर कर सकते है.

क्या है GST 2.0?

हाल ही में GST काउंसिल की 56वीं बैठक में फैसला लिया गया कि स्विगी और जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म को अपनी डिलीवरी सेवाओं पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा. पहले, ये कंपनियां कहती थीं कि उनके डिलीवरी पार्टनर जीएसटी के दायरे में नहीं आते. लेकिन अब नए नियम (सीजीएसटी एक्ट की धारा 9(5)) के तहत, इन प्लेटफॉर्म को डिलीवरी शुल्क पर टैक्स देना होगा. इसका मतलब है कि कंपनियों को अब ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा. जबकि लोकल डिलीवरी पार्टर्नर पहले से ही 18 फीसदी जीएसटी के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट के दायरे में आते हैं.

ग्राहकों पर क्या असर होगा?

कंपनियों का कहना है कि अगर टैक्स की लागत ज्यादा हुई, तो वे इसे ग्राहकों से वसूल सकती हैं. इससे डिलीवरी शुल्क बढ़ सकता है, जिससे खाना ऑर्डर करना महंगा हो सकता है. FE के हवालें से एक फूड डिलीवरी कंपनी के अधिकारी ने कहा, “हम अभी इस नियम को समझ रहे हैं. अगर टैक्स का बोझ ज्यादा हुआ, तो हमें डिलीवरी शुल्क बढ़ाना पड़ सकता है. ग्राहक अपनी जेब के हिसाब से ऑर्डर करते हैं, इसलिए हमें सावधानी से फैसला लेना होगा.”

स्विगी वन और जोमैटो गोल्ड के ग्राहक

अच्छी खबर यह है कि स्विगी वन और जोमैटो गोल्ड जैसे सब्सक्रिप्शन प्लान वाले ग्राहकों पर इस नियम का सीधा असर नहीं पड़ेगा. ये सब्सक्रिप्शन प्लान वैल्यू-एडेड सर्विस माने जाते हैं, इसलिए इनके लिए अलग नियम हैं. लेकिन सामान्य ग्राहकों को डिलीवरी शुल्क में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है. नए नियमों से स्विगी और जोमैटो की लागत बढ़ेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि फूड डिलीवरी कंपनियों पर इसका असर ज्यादा होगा, क्योंकि डिलीवरी उनकी मुख्य सेवा है. दूसरी ओर, ई-कॉमर्स (जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट) या क्विक कॉमर्स (जैसे ब्लिंकिट) में डिलीवरी को सामान की सप्लाई का हिस्सा माना जाता है, इसलिए उन पर असर कम होगा.

पुराने टैक्स विवाद

स्विगी और जोमैटो पहले भी टैक्स को लेकर विवादों में रहे हैं. दिसंबर 2024 में, जोमैटो को जीएसटी अथॉरिटी से 803 करोड़ रुपये का नोटिस मिला, जिसमें 2019-2022 के लिए टैक्स, ब्याज और जुर्माना शामिल था. वहीं, स्विगी को 327 करोड़ रुपये का नोटिस मिला था. ये विवाद दिखाते हैं कि टैक्स नियमों को लेकर पहले भी असमंजस था. इस नियम से कंपनियों का मुनाफा कम हो सकता है. एक अनुमान के मुताबिक, स्विगी और जोमैटो को हर साल 180-200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है. अगर वे इस टैक्स को ग्राहकों से नहीं वसूल पाए, तो उन्हें अपनी कीमतें, डिलीवरी शुल्क या डिलीवरी पार्टनर को दी जाने वाली राशि में बदलाव करना पड़ सकता है.

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