TCS की छंटनी पर विवाद, लेबर कानून तोड़ने का आरोप; IT एसोसिएशन ने उठाए सवाल
TCS द्वारा 12,200 कर्मचारियों की छंटनी को लेकर IT यूनियन NITES ने इसे अवैध, अनैतिक और अमानवीय करार दिया है. यूनियन ने लेबर मिनिस्टर से हस्तक्षेप की मांग की है और कहा है कि कंपनी ने लेबर लॉ का पालन नहीं किया. NITES ने छंटनी रोकने और कर्मचारियों की बहाली की मांग की है.
TCS layoffs: देश की सबसे बड़ी IT कंपनी TCS द्वारा 12 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी के फैसले पर विवाद गहराता जा रहा है. IT सेक्टर की यूनियन NITES ने इसे “अमानवीय”, “अनैतिक” और “पूरी तरह से अवैध” करार दिया है. यूनियन ने इस मुद्दे पर सेंट्रल लेबर मिनिस्टर मनसुख मांडविया से हस्तक्षेप की मांग की है. यूनियन का आरोप है कि कंपनी ने लेबर लॉ के नियमों का पालन नहीं किया है और कर्मचारियों को जबरन बाहर निकाला जा रहा है. इस फैसले का असर खासतौर पर मिड और सीनियर लेवल कर्मचारियों पर पड़ेगा.
NITES ने की मंत्री से शिकायत
IT यूनियन NITES ने केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर TCS की छंटनी नीति पर आपत्ति जताई है. यूनियन ने मांग की है कि सभी छंटनी तत्काल रोकी जाए और जिन कर्मचारियों को निकाला गया है उन्हें वापस नियुक्त किया जाए. NITES का कहना है कि IT सेक्टर में कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सख्त नियमों की जरूरत है.
कानूनी नियमों का उल्लंघन का आरोप
NITES का आरोप है कि TCS ने लेबर लॉ के उस नियम का भी पालन नहीं किया है जिसमें एक साल से ज्यादा सेवा देने वाले कर्मचारी को निकाले जाने से पहले एक महीने की नोटिस या वेतन देना जरूरी होता है. साथ ही रिट्रेंचमेंट के लिए सरकार को सूचित करना भी अनिवार्य है. यूनियन का दावा है कि कंपनी ने इनमें से किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
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कर्मचारियों पर पड़ रहा असर
छंटनी का असर सीधे कर्मचारियों और उनके परिवारों पर पड़ रहा है. यूनियन के मुताबिक कई कर्मचारी ईएमआई, बच्चों की पढ़ाई और अन्य जिम्मेदारियों में फंसे हैं, ऐसे में अचानक नौकरी छिनना उनके लिए गंभीर संकट बन सकता है. यूनियन के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने इसे कर्मचारियों के अधिकारों पर हमला बताया है.
Jefferies रिपोर्ट में भी जताई चिंता
Jefferies की रिपोर्ट में भी चेतावनी दी गई है कि TCS के इस कदम से कर्मचारी संतुलन पर असर पड़ेगा और कर्मचारियों का मनोबल कमजोर होगा. रिपोर्ट के अनुसार इससे आने वाले समय में कंपनी को टैलेंट बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है. साथ ही इससे मौजूदा प्रोजेक्ट्स में भी देरी हो सकती है.