अमेरिका ने बनाई सुपर सिलिकॉन टीम ‘Pax Silica’… UAE से जापान तक सब शामिल, भारत को क्यों नहीं मिली ‘टेक टेबल’ पर सीट?
Pax Silica एक हाई-टेक क्लब है, जिसमें अभी सिर्फ वे देश शामिल हुए हैं जिनके पास दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक, कंपनियां और खनिज संसाधन हैं. भारत इस दिशा में मेहनत कर रहा है, लेकिन अभी वह उस स्तर तक नहीं पहुंचा है जहां उसे ऐसी प्रीमियम टेक कोएलिशन में शामिल किया जाए. आगे चलकर, यदि भारत अपनी सेमीकंडक्टर क्षमता और क्रिटिकल मिनरल सप्लाई चेन मजबूत कर लेता है, तो भविष्य में तस्वीर बदल सकती है.
What is Pax Silica: अमेरिका ने हाल ही में Pax Silica नाम का एक नया अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाया है. इसका मकसद है दुनिया में सिलिकॉन और टेक सप्लाई चेन (जैसे खनिज, ऊर्जा, मैन्युफैक्चरिंग, सेमीकंडक्टर्स, AI इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स) को सुरक्षित और मजबूत बनाना. अमेरिका को डर है कि चीन महत्वपूर्ण खनिजों और तकनीकी सप्लाई चेन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है. इसलिए अमेरिका ऐसे देशों की टीम बनाना चाहता है जो इस क्षेत्र में बड़ी कंपनियों और हाई-टेक क्षमता रखते हों.
कौन-कौन शामिल है?
पहले Pax Silica शिखर सम्मेलन में जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, ब्रिटेन, इजराइल, यूएई और ऑस्ट्रेलिया को बुलाया गया. अमेरिका के अनुसार, ये देश उन कंपनियों और निवेशकों का घर हैं जो आज की ग्लोबल AI और सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को सबसे ज्यादा शक्ति देते हैं. यानी, यह गठबंधन हाई-टेक और भविष्य की तकनीक पर काम करने वाले देशों का एक प्रीमियम क्लब जैसा है. ध्यान देने वाली बात है कि भारत Quad का हिस्सा है, और उसका अमेरिका के साथ क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप भी है. फिर भी, भारत को Pax Silica में शामिल नहीं किया गया. इसके कुछ कारण एक्सपर्ट बताते हैं:
1. भारत के पास अभी “एज टेक्नोलॉजी” की कमी
एक्सपर्ट के अनुसार, Pax Silica उन देशों को जोड़ रहा है जिनके पास उन्नत, अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी (edge technology) पहले से मौजूद है. भारत अभी इस स्तर की तकनीक नहीं बनाता जैसे हाई-एंड सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग, उन्नत AI हार्डवेयर, या दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण चिप निर्माण उपकरण.
2. भारत के पास पर्याप्त क्रिटिकल मिनरल्स नहीं
क्रिटिकल मिनरल्स महत्वपूर्ण खनिज सेमीकंडक्टर और हाई-टेक इंडस्ट्री में लगते हैं जैसे लिथियम, कोबाल्ट, निकेल और दुर्लभ मृदा तत्व. भारत में उनकी मात्रा बहुत कम है. Pax Silica ऐसे देशों को प्राथमिकता दे रहा है जहां ये खनिज आसानी से उपलब्ध हों या जहां से ये खनिज सुरक्षित सप्लाई किए जा सकें.
3. पुरानी भारत-अमेरिका-कोरिया साझेदारी आगे नहीं बढ़ी
पहले भारत, अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने मिलकर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप बनाने का ऐलान किया था. लेकिन ट्रंप प्रशासन के दौरान यह पहल आगे नहीं बढ़ सकी. इससे भी India का techno-strategic केस कमजोर पड़ा.
भारत क्या कर रहा है?
भारत भी हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठा है. वह यूएई, सिंगापुर, जापान जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय (bilateral) क्रिटिकल टेक्नोलॉजी समझौते बना रहा है. भारत अपनी सेमीकंडक्टर और मिनरल सप्लाई चेन को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन यह प्रक्रिया समय लेगी क्योंकि भारत को तकनीक, खनिज संसाधन और बड़े निवेश तीनों की जरूरत है.
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