US सीनेटरों ने H-1B वीजा को लेकर TCS पर उठाए सवाल, अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी का आरोप
अमेरिकी सीनेटरों ने भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS से H-1B वीजा पर 9 कड़े सवाल पूछे हैं. आरोप है कि कंपनी ने अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी कर विदेशी वर्कर्स को भर्ती किया. EEOC पहले से जांच कर रही है. वहीं, ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा फीस को 100,000 डॉलर करने का फैसला किया है, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों पर बड़ा असर पड़ सकता है.
अमेरिका में भारतीय आईटी कंपनियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. अब सीनेट की ज्यूडिशियरी कमिटी के चेयरमैन चार्ल्स ग्रासली और रैंकिंग मेंबर रिचर्ड डर्बिन ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को एक चिट्ठी लिखकर 9 बड़े सवाल खड़े किए हैं. इनमें कंपनी की H-1B वीजा डिपेंडेंसी, अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी और सैलरी पैरिटी जैसे मुद्दे शामिल हैं.
छंटनी और वीजा भर्ती पर सवाल
सीनेटरों ने TCS पर आरोप लगाया कि कंपनी ने अमेरिकी स्टाफ को निकाला और उसी समय H-1B वीजा के जरिये हजारों कर्मचारियों की भर्ती की गई. चिट्ठी में लिखा गया है कि सिर्फ जैक्सनविल ऑफिस से ही लगभग 60 कर्मचारियों को हटाया गया, जबकि FY2025 में कंपनी को 5,505 H-1B कर्मचारियों की मंजूरी मिली. इससे TCS अमेरिका में दूसरे नंबर का सबसे बड़ा नया H-1B नियोक्ता बन गया.
EEOC की जांच भी जारी
यह मामला और गंभीर इसलिए है, क्योंकि इक्वल एम्प्लॉयमेंट अपॉच्युर्टी कमिशन (EEOC) पहले से ही TCS की जांच कर रहा है. आरोप है कि कंपनी ने उम्रदराज अमेरिकी कर्मचारियों को हटाकर दक्षिण एशियाई H-1B वर्कर्स को भर्ती किया. सीनेटरों का कहना है कि चल रही जांच के बीच इस तरह की प्रैक्टिस कंपनी की छवि को और नुकसान पहुंचा सकती है.
9 सवाल जिनका जवाब मांगा
सीनेटरों ने TCS से 10 अक्टूबर तक डाटा सहित जवाब मांगा है. इनमें पांच प्रमुख यहां दिए गए हैं.
- क्या कंपनी ने छंटनी करके H-1B वर्कर्स को जगह दी?
- क्या अमेरिकी टेक वर्कर्स को पहले मौका देने की ‘गुड फेथ’ कोशिश की जाती है?
- क्या H-1B भर्ती विज्ञापनों को सामान्य विज्ञापनों से अलग रखा जाता है?
- क्या H-1B कर्मचारियों को अमेरिकी वर्कर्स के बराबर सैलरी और लाभ दिए जाते हैं?
- कितने H-1B वर्कर्स सीधे TCS के पेरोल पर हैं और कितने कॉन्ट्रैक्टर्स से लाए गए हैं?
वीजा शुल्क झटका
इस विवाद के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में H-1B वीजा फीस को 2000–5000 से बढ़ाकर 1,00,000 करने का ऐलान किया है. यह शुल्क FY27 से लागू होगा. मौजूदा फाइलिंग (FY26) पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन उसके बाद भारतीय आईटी कंपनियों पर भारी अतिरिक्त लागत आएगी. इसे लेकर ब्रोकरेज Motilal Oswal का कहना है कि इस कदम से कंपनियां या तो अमेरिका में लोकल हायरिंग बढ़ाएंगी या फिर ऑफशोर डिलीवरी मॉडल को तेज करेंगी.