हंगामेदार मीटिंग से लेकर मेहली मिस्त्री को निकालने तक, विजय सिंह ने खोले सारे राज, TATA ट्रस्ट में ऐसे हुआ घमासान
Tata Trusts: फिलहाल यह टकराव शांत हो गया है, चेयरमैन नोएल टाटा ने कंट्रोल मजबूत कर लिया है. लेकिन मेहली मिस्त्री को हटा दिया गया, जिन्हें ट्रस्टी के तौर पर रिन्यू नहीं किया गया. उन्हें सिंह को हटाने की चाल का आर्किटेक्ट माना जा रहा था.
Tata Trusts: टाटा ट्रस्ट्स के भीतर चले विवाद और मेहली मिस्त्री के बाहर निकलने के बाद क्या बोर्ड में एक बार फिर से सबकुछ पहले की तरह सामान्य हो जाएगा? इसपर टाटा ट्रस्ट्स के वाइस चेयरमैन विजय सिंह ने कहा है कि ट्रस्ट्स की प्रकृति (कैरेक्टर) पहले जैसा हो जाएगा, जिसमें ग्रुप के सीनियर और अनुभवी लोगों को शामिल किया जाएगा, जिन्होंने ग्रुप की शानदार सेवा की है. साथ ही टाटा परिवार के युवा सदस्य भी इसमें शामिल होंगे.
शांत हो गया टकराव
पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी विजय सिंह ने सितंबर में टाटा संस (ग्रुप की होल्डिंग कंपनी, जिसमें ज्यादातर ट्रस्ट्स का मालिकाना हक है) के बोर्ड में ट्रस्ट्स के नॉमिनी डायरेक्टर के तौर पर पद छोड़ दिया था, जब चार ट्रस्टियों के एक ग्रुप ने उनकी दोबारा नियुक्ति के खिलाफ वोट दिया था. उनके हटाए जाने से ट्रस्टियों के बीच मतभेद सामने आ गए, जिससे महीनों तक खींचतान चली, जिसमें केंद्रीय कैबिनेट मंत्रियों को तनाव शांत करने के लिए आगे आना पड़ा.
फिलहाल यह टकराव शांत हो गया है, चेयरमैन नोएल टाटा ने कंट्रोल मजबूत कर लिया है. लेकिन मेहली मिस्त्री को हटा दिया गया, जिन्हें ट्रस्टी के तौर पर रिन्यू नहीं किया गया. उन्हें सिंह को हटाने की चाल का आर्किटेक्ट माना जा रहा था.
पहली सार्वजनिक टिप्पणी
इस घटना के बाद विजय सिंह ने ईटी को दिए इंटरव्यू में कई खुलासे किए हैं. विजय सिंह ने कहा कि उन्हें निकालना ‘पहले से प्लान किया गया था.’ उन्होंने इस तर्क को खारिज कर दिया कि यह कवायद टाटा संस को लिस्ट करने के रेगुलेटरी आदेश को जोरदार तरीके से चुनौती देने के लिए था. सिंह ने बताया कि मैं डेरियस खंबाटा के इरादे पर कुछ नहीं कह सकता, लेकिन सच तो यह है कि लिस्टिंग के सवाल पर पहले ही पूरी तरह से बात हो चुकी थी.
टाटा संस की लिस्टिंग और विवाद
हाल ही में साथी ट्रस्टियों को भेजे एक इंटरनल नोट में खंबाटा ने कहा था कि टाटा संस बोर्ड में मेहली मिस्त्री को नॉमिनी के तौर पर नॉमिनेट करने के प्रस्ताव का समर्थन करने का उनका फैसला, टाटा संस की प्रस्तावित लिस्टिंग का विरोध करने में ट्रस्टों की सामूहिक आवाज को मजबूत करना था.
सिंह ने कहा, ‘तीन ट्रस्टियों ने पहले दशकों से चले आ रहे गवर्नेंस बैलेंस को खत्म करने की कोशिश की थी, जबकि उन्हीं लोगों ने रतन टाटा के जीवन के आखिरी दो साल में टाटा संस से जुड़ा एक भी मुद्दा नहीं उठाया था.’ उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि मेहली मिस्त्री और उनके साथी टाटा संस को कंट्रोल करना चाहते थे या नहीं, लेकिन उन्होंने निश्चित रूप से ऐसी जानकारी मांगी थी जो पहले कभी ट्रस्टियों के साथ शेयर नहीं की गई थी.’
बदल गए सुर
सिंह ने आगे कहा कि टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा के प्रति सुर में तेजी से बदलाव आया. एक ट्रस्टी की यह टिप्पणी कि ‘मैंने आपको चेयरमैन बनाया’ या ‘मैं AGM में आपके खिलाफ वोट करूंगा’, पिछले व्यवहार से साफ तौर पर अलग था. इस गलत व्यवहार के बावजूद नोएल ने बहुत सहनशीलता और गरिमा दिखाई.’ इस बीच ‘लिस्टिंग के खिलाफ सामूहिक आवाज को मजबूत करने का आइडिया बाद में सोचा गया लगता है. किसी भी मामले में किसी नॉमिनी डायरेक्टर को हटाने का कोई आधार नहीं है.
उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने अपना रुख बताते हुए औपचारिक प्रस्ताव पास किए थे. 8 जुलाई 2025 को सभी ट्रस्टी टाटा संस के चेयरमैन से लंबी बातचीत के लिए मिले, जिसमें लिस्टिंग मुख्य मुद्दा था. टाटा संस बोर्ड ने खुद कई मीटिंग में इस मुद्दे पर बहस की थी और चेयरमैन को लिस्टिंग से बचने के लिए कंपनी को कर्ज-मुक्त करने के लिए अधिकृत किया था.
सिंह ने कहा कि उन्हें हटाने की वजह ट्रस्टियों का एक ग्रुप था, जो टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस के बीच लंबे समय से चले आ रहे रिश्ते को बदलना चाहता था.
हंगामेदार मीटिंग
11 सितंबर की हंगामेदार मीटिंग के बाद से ट्रस्ट्स में गवर्नेंस का माहौल बदल गया है. 28 अक्टूबर की मीटिंग में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) और सर रतन टाटा ट्रस्ट में मेहली मिस्त्री की दोबारा नियुक्ति को बहुमत से खारिज कर दिया गया था. SDTT बोर्ड ने तब से टाटा के लंबे समय से काम कर रहे एग्जीक्यूटिव भास्कर भट और नेविल टाटा (नोएल टाटा के बेटे) को शामिल किया है, साथ ही नए स्टेट नियमों के अनुसार वेणु श्रीनिवासन के पहले के लाइफ टर्म को भी तीन साल तक सीमित कर दिया है.
सिंह ने कहा कि मुझे हटाए जाने की अजीब बात पर ध्यान देना चाहिए. मुझे 2013 में रतन टाटा ने टाटा संस के बोर्ड में नियुक्त किया था और 2022 में फिर से अपॉइंट किया. उन्होंने उम्र की लिमिट हटाने के लिए आर्टिकल्स में भी बदलाव किया ताकि मैं पूरा टर्म काम कर सकूं. फिर भी उनके गुजरने के एक साल से भी कम समय में मुझे हटा दिया गया.
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