Explained: क्या होते हैं ग्रीन पटाखे? सामान्‍य पटाखों से कैसे होते हैं अलग

भारत त्योहारों का देश है. यह त्योहार उत्साह और उमंग से भरा होता है. आज के इस दौर में त्योहारों को पटाखों की नजर लग गई है. दीपावली, क्रिसमस और नया साल लगभग हर त्योहार को मनाने के लिए हम पटाखों का इस्तेमाल करते है. हम इन त्योहारों को मनाने के साथ अपने पीछे कुछ छोड़ देते है तो वह है वायु और ध्वनि प्रदूषण का डर.

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे? Image Credit: Money 9

भारत त्योहारों का देश है. यह त्योहार उत्साह और उमंग से भरा होता है. आज के इस दौर में त्योहारों को पटाखों की नजर लग गई है. दीपावली, क्रिसमस और नया साल लगभग हर त्योहार को मनाने के लिए हम पटाखों का इस्तेमाल करते है. यहीं नहीं शादी-विवाह में भी हम जश्न मनाने के लिए पटाखों का इस्तेमाल करते है.

हम इन त्योहारों को मनाने के साथ अपने पीछे कुछ छोड़ देते है तो वह है वायु और ध्वनि प्रदूषण का डर. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि त्योहारों की कीमत पर्यावरण को न चुकानी पड़े. ऐसे में हमे “ग्रीन पटाखों” के इस्तेमाल पर जोर देना होगा. इसके लिए कई अभियान भी चलाया जा रहा है.

इतने करोड़ रुपये का है मार्केट

SWAS, SAFAL और STAR नाम के ये कम प्रदूषण वाले पटाखे न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि ट्रेडिशनल पटाखों की तुलना में 15-20% सस्ते हैं. Indian fireworks industry का सालाना कारोबार 6,000 करोड़ रुपये से अधिक है. इससे 5 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार के अवसर प्रदान होता है.

कर्नाटक सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसमें साफ-साफ कहा गया है कि राज्य में केवल कम प्रदूषण वाले ग्रीन पटाखे ही बेचे जा सकते हैं. इसके अलावा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले पटाखों को पूर्ण रूप से बैन कर दिया जाएगा. साल 2018 में Council of Scientific and Industrial Research-National Environmental Engineering Research Institute (CSIR-NEERI) ने ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल पर जोर देने को कहा था.

ऐसी होती है बनावट

ग्रीन पटाखों का खोल का आकार छोटा होता है. इसमें राख का भी उपयोग नहीं होता है. साथ ही कच्चे माल का कम इस्तेमाल होता है. ग्रीन पटाखों में उत्सर्जन को कम करने के लिए एडिटिव्स का उपयोग किया जाता है. इन पटाखों में बेरियम यौगिक नहीं होते हैं. बेरियम, एक मेटैलिक ऑक्साइड है, जो वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में योगदान करने के लिए जाना जाता है. जब ग्रीन पटाखे जलाए जाते हैं, तो वे जल वाष्प पैदा करते हैं, जिससे धूल उत्सर्जन कम होता है. ग्रीन पटाखे 110 से 125 डेसिबल तक शोर करते हैं. ग्रीन पटाखे लगभग 30% कम शोर मचाते है.

पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम होता है शोर

SWAS (सेफ वाटर रिलीजर) ये पटाखे धूल उत्सर्जन को कम करने के लिए वातावरण में जलवाष्प छोड़ते हैं. वे 30% कम कण उत्सर्जित करते हैं और उनमें सल्फर या पोटेशियम नाइट्रेट नहीं होता है. स्टार (सेफ थर्माइट क्रैकर) ये स्टार पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर नहीं होता, जिससे पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन कम होता है और ध्वनि का स्तर भी कम होता है. सफल (सेफ मिनिमल एल्युमिनियम) ये सफल पटाखों में एल्युमिनियम कम और मैग्नीशियम अधिक होता है, जिससे पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम शोर होता है.

लोगों में जागरूकता

पर्यावरण के प्रति जागरूक कई बंगलुरुवासियों ने कर्नाटक सरकार से गैर-हरित पटाखों की बिक्री पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है. हालांकि कर्नाटक में गैर-हरित पटाखों पर प्रतिबंध है, लेकिन कई विक्रेता हैं जो होसुर और राज्य के बाहर के अन्य शहरों से पटाखे खरीदकर बेचते हैं.