GST 2.0: ग्राहकों और दुकानदारों के लिए क्या है GST सुधार का मतलब? अबकी बार सबसे बड़े ग्रोथ फैक्टर्स पर फोकस

GST 2.0: जीएसटी 2.0 का भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्या अर्थ है, व्यवसायों को इन बदलावों से कैसे निपटना चाहिए, और उपभोक्ता कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि उन्हें टैक्स कटौती का फायदा मिले. इसपर एक नजर डालते हैं.

जीएसटी सुधार के क्या हैं मायने? Image Credit: Getty image

GST 2.0: साल 2017 में गाजे-बाजे के साथ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लागू करके सरकार ने घरेलू बाजार के अलग-अलग प्रोडक्ट्स पर लगने वाले टैक्स को चार स्लैब में समेट दिया था. आठ साल बाद, इस टैक्स व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है, जो सोमवार 22 सितंबर से लागू हो रहा है. इससे भारत के सबसे बड़े ग्रोथ फैक्टर्स – प्राइवेट कंजम्पशन या घरेलू खर्च को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. आधिकारिक अनुमान बताते हैं कि इससे 2 ट्रिलियन की अतिरिक्त कंजम्पशन डिमांड पैदा हो सकती है. जीएसटी 2.0 का भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्या अर्थ है, व्यवसायों को इन बदलावों से कैसे निपटना चाहिए, और उपभोक्ता कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि उन्हें टैक्स कटौती का फायदा मिले. इसपर एक नजर डालते हैं.

जीएसटी 2.0 क्या है?

जीएसटी उपभोक्ताओं को किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस पर उनके द्वारा चुकाए जाने वाले टैक्स के बारे में ट्रांसपेरेंसी प्रदान करना है. जबकि पिछली सेंट्रल एक्साइज-वैट सिस्टम केवल सप्लाई चेन के अंतिम चरण -रिटेल-पर चुकाए गए टैक्स को ही दिखाता थी.

जीएसटी लागू होने से कुल मिलाकर टैक्स में कमी आई, लेकिन इसके खुलेपन ने कंजम्पशन पर वास्तविक टैक्स प्रभाव को उजागर किया, जो पहले आंशिक रूप से ही दिखाई देता था. इस प्रकार, उपभोक्ता अक्सर इन-डायरेक्ट टैक्स के बारे में शिकायत करते थे, जबकि इकोनॉमिस्ट दरों में और कटौती का सुझाव देते थे.

आर्थिक ग्रोथ को गति देने की कोशिश

पिछले कई वर्षों में, केंद्र सरकार ने भारत की आर्थिक ग्रोथ को गति देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि कॉरपोरेशन पर इनकम टैक्स की दर कम करना, छोटे व्यवसायों के लिए कर्ज की बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना और निजी निवेश को बढ़ावा देने की उम्मीद में अपने कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ाना.

कंजम्पशन पर फोकस

इस वर्ष, कंजम्पशन पर फोकस किया गया है. वित्तीय वर्ष की शुरुआत बजट में इंडिविजुअल्स के लिए इनकम टैक्स में राहत के साथ हुई. अब, जीएसटी पर टैक्स में कटौती के जरिए एक बड़ा कंजम्पशन इंसेंटिव लागू किया जा रहा है. नीति निर्माताओं को उम्मीद है कि इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग में बढ़ोतरी होगी और व्यवसायों को निवेश और नियुक्तियां बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करके आर्थिक विकास में तेजी आएगी.

इस सुधार के प्रमुख एलिमेंट्स क्या हैं?

यह सुधार टैक्स सिस्टम को 5 फीसदी और 18 फीसदी के दो मुख्य स्लैब में आसान बनाता है, जबकि तंबाकू और महंगी कारों जैसी कुछ वस्तुओं को 40 फीसदी के एक नए, अलग स्लैब में रखा गया है. वर्तमान में चार मुख्य स्लैब हैं और 28 फीसदी स्लैब में आने वाली वस्तुओं पर एक अतिरिक्त सेस लगाया गया है. 22 सितंबर से लागू होने वाले सुधार में 12 फीसदी और 28 फीसदी के स्लैब हटा दिए गए हैं, साथ ही सेस (तंबाकू को छोड़कर) भी हटा दिया गया है.

इंडिविजुअल लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की प्रीमियम पर जीरो टैक्स लगेगा, पहले इसपर 18 फीसदी जीएसटी लगता था. अब इसे टैक्स फ्री कर दिया गया है.

घरेलू सामान होगा सस्ता

हेयर ऑयल, टॉयलेट सोप बार, शैंपू, टूथब्रश, टूथपेस्ट, साइकिल, टेबलवेयर, किचनवेयर और अन्य घरेलू सामान जैसी कई आम इस्तेमाल की वस्तुओं पर टैक्स की दर 18 फीसदी या 12 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो जाएगी. इसी तरह, पैकेज्ड स्नैक्स, पास्ता, इंस्टेंट नूडल्स, चॉकलेट, कॉफी, प्रिजर्व्ड मीट, बटर आदि पर भी टैक्स की दर 12 फीसदी या 18 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो जाएगी.

एयर कंडीशनर, टीवी, बर्तन धोने की मशीन, कार, कृषि उत्पाद जैसे ट्रैक्टर, कटाई या थ्रेसिंग मशीनरी, सीमेंट, दवाइयां, होटल में ठहरने और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी जीएसटी की दरें कम कर दी गई हैं

जीएसटी रजिस्ट्रेशन और व्यवसायों के लिए टैक्स रिफंड को भी आसान बनाया जा रहा है. चमड़ा, कपड़ा और उर्वरक जैसे क्षेत्रों में टैक्स विसंगतियों में सुधार से इन सेक्टर्स के नए निवेश के लिए अधिक आकर्षक बनने की उम्मीद है.

व्यवसायों के ऊपर क्या है दारोमदार?

इस जीएसटी सुधार से व्यवसायों से उम्मीद है कि वे अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों को ग्राहकों के लिए कम करेंगे. वे अपनी इच्छा से अपनी इन्वेंट्री में 22 सितंबर से पहले उत्पादित वस्तुओं पर बेस प्राइस को बदले बिना नई कीमतों के स्टिकर लगा सकते हैं. व्यवसायों को अपने डीलरों और रिटेलर्स को प्राइस सर्कुलर जारी करना और अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है.

मैन्युफैक्चरर और इंपोर्टर्स को सभी संभावित सभी कॉम्युनिकेशन मीडियम के जरिए अपने खुदरा विक्रेताओं को टैक्स बदलाव और कीमतों पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूक करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.

जिन वस्तुओं का प्रोडक्शन और पैकेजिंग पहले हुआ है, उन्हें उपयोग के लिए मार्च 2026 के अंत तक जारी रखा जा सकता है. हालांकि, इसमें टैक्स दर में हुए बदलाव के अनुसार, रिटेल प्राइस में बदलाव करना होगा.

दवाई कंपनियों के लिए निर्देश

भारतीय ड्रग प्राइस रेगुलेटर, नेशनल फर्मासुटिक्ल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने सभी दवा निर्माताओं और मार्केटिंग कंपनियों से सोमवार से टैक्स कटौती वाली दवाओं और मेडिकल उपकरणों के मैक्सिमम रिटेल प्राइस को बदलने के लिए कहा है. बदली हुई प्राइस लिस्ट रिटेलर्स, सेंट्रल और स्टेट ड्रग अथॉरिटी के साथ साझा की जानी चाहिए.

उपभोक्ताओं को कैसे मिलेगा लाभ?

उपभोक्ताओं के लिए यह जानना जरूरी है कि सोमवार से किन प्रोडक्टस और सर्विसेज पर जीएसटी की दर कम होगी. अपने स्थानीय रिटेल स्टोर पर पूछताछ करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि आपको दरों में कटौती का लाभ मिले.

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