क्यों घट रहे हैं सोने के दाम, क्या है करेक्शन की वजह, निवेशकों को अब क्या करना चाहिए

अक्टूबर में रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद सोने की कीमतों में 10% से अधिक की गिरावट आई है. मुनाफावसूली, डॉलर की मजबूती और जियो-पॉलिटिकल तनाव में कमी इसके प्रमुख कारण हैं. हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि केंद्रीय बैंकों की खरीद और मुद्रास्फीति चिंताओं से लंबी अवधि में सोना मजबूत रहेगा.

सोने की कीमत Image Credit: canva

सोने की चमक फिलहाल कुछ फीकी पड़ती दिख रही है. बीते कुछ हफ्तों में सोने के दामों में करीब 10 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है. अक्टूबर 2025 में जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 4,381 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया था, वहीं अब इसमें तेज मुनाफावसूली का दौर शुरू हो गया है. घरेलू बाजार में भी एमसीएक्स पर सोने के दाम 1,31,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के शिखर से फिसल चुके हैं. आइये जानते हैं कि सोने में यह गिरावट क्यों आ रही है और करेक्शन की वजह क्या है और निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?

क्या है करेक्शन की वजह

रिकॉर्ड ऊंचाई के बाद मुनाफावसूली का दौर

अक्टूबर 2025 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 4,381 डॉलर प्रति औंस के शिखर पर पहुंच गई थी. इसके बाद निवेशकों ने बड़े पैमाने पर मुनाफा बुक किया जिससे इसके दाम में गिरावट आई. घरेलू बाजार में भी एमसीएक्स गोल्ड 1,31,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे फिसल गया.

जियो-पॉलिटिकल तनाव में नरमी से घटी सेफ हेवन डिमांड

इजरायल-हमास युद्ध में संघर्षविराम के बाद सोने की सुरक्षित निवेश के रूप में मांग कमजोर हुई. जब भी शांति वार्ता या संघर्षविराम होता है तो सोने की कीमतों में अस्थायी गिरावट देखी जाती है. यह शॉर्ट टर्म में देखने को मिलता है.

फेडरल रिजर्व की ‘हॉकिश कट’ और डॉलर की मजबूती

अमेरिकी फेड ने 25 बेसिस पॉइंट की रेट कटौती की है लेकिन फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के सख्त रुख ने डॉलर और ट्रेजरी यील्ड को मजबूत कर दिया है. इसका असर सोने पर नकारात्मक पड़ा क्योंकि ऊंचे यील्ड वाले निवेश सोने से ज्यादा आकर्षक लगने लगे.

केंद्रीय बैंक अब भी सोना खरीद रहे हैं

तीसरी तिमाही में वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने 220 टन सोना खरीदा जो पिछली तिमाही से 28% ज्यादा है. इनमें भारत, पोलैंड और उज्बेकिस्तान शीर्ष खरीदार रहे. यह बताता है कि डॉलर पर निर्भरता घटाने और मुद्रा जोखिमों से बचने के लिए सोना अब भी अहम है.

घरेलू बाजार में निवेश रुझान में बदलाव

भारत में दिवाली के बाद ज्वेलरी की मांग कुछ घटी है, लेकिन निवेशकों की दिलचस्पी गोल्ड ईटीएफ, कॉइन और बार में बढ़ी है. लोग अब सोने को फैशन नहीं, बल्कि निवेश के रूप में देख रहे हैं.

आगे क्या करें निवेशक?

विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा गिरावट लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अवसर है. अगर डॉलर कमजोर होता है या जियो-पॉलिटिकल तनाव बढ़ते हैं तो सोने में फिर तेजी लौट सकती है. मौजूदा करेक्शन को एक “हेल्दी पॉज” मानकर नए निवेशक एसआईपी या गोल्ड बॉन्ड के जरिए धीरे-धीरे एंट्री कर सकते हैं.