सस्ता तेल, बड़ा खेल! रूस से क्यों नहीं हट रहा भारत, लगातार बढ़ रही डील; ट्रंप की चेतावनी भी बेअसर?
भारत की तेल नीति एक बार फिर चर्चा में है. सस्ती कीमतों और पुराने साझेदार के बीच फंसी रणनीति ने अमेरिका को नाराज कर दिया है. ट्रंप ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी, लेकिन भारत का रुख अब भी अडिग दिख रहा है. आखिर ऐसा क्या है जो भारत को पीछे नहीं हटने दे रहा?
Why India Still Buys Russian Oil: पिछले तीन साल में रूस से तेल खरीद के मामले में भारत दुनिया के सबसे बड़े खरीदारों में शामिल हो गया है. रूस से मिलने वाले सस्ते तेल का फायदा भारत ने खुलकर उठाया और आज भी हर दिन औसतन 17 से 21 लाख बैरल तेल रूस से मंगवाया जा रहा है. हालांकि इस खरीद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से नाराजगी जताते रहे हैं. भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर भी 25 फीसदी ट्रैरिफ के अलावा ट्रंप ने भारत को खुली चेतावनी दी है कि अगर उसने रूस से तेल खरीदना जारी रखा तो उस पर अतिरिक्त जुर्माना भी देना होगा.
लेकिन इसके बावजूद भारत ने अपनी तेल खरीद की रफ्तार धीमी नहीं की. निजी कंपनियों के लंबे समझौते और रूस की ओर से मिलने वाली छूट की वजह से यह कारोबार लगातार आगे बढ़ रहा है.
रूस से भारत की खरीद कैसे बढ़ी?
फरवरी 2022 में जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुई, तो यूरोप और अमेरिका जैसे EU देश रूस से तेल खरीदना बंद करने लगे. इससे रूस को नया खरीदार ढूंढना पड़ा. भारत के लिए यह एक बड़ा मौका बन गया क्योंकि रूस ने तेल बहुत सस्ती दरों पर देना शुरू कर दिया.
जहां फरवरी 2022 से पहले भारत केवल 0.2 फीसदी तेल रूस से मंगवाता था, वहीं 2023 तक यह आंकड़ा बढ़कर 45 फीसदी तक पहुंच गया. मई 2023 में तो रूस ने हर दिन 20 लाख बैरल से ज्यादा तेल भारत को बेचा. यह आंकड़ा चीन के बाद सबसे ज्यादा था.
रिलायंस और नयारा ने बनाए रास्ते
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2024 में रूस और भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच एक बड़ा करार हुआ. इसमें तय किया गया कि रूस अगले 10 साल तक हर दिन रिलायंस को 5 लाख बैरल कच्चा तेल देगा. इस करार की सालाना कीमत लगभग 13 अरब डॉलर बताई गई है.
इसके अलावा रूस की कंपनी रोसनेफ्ट के मालिकाना हक वाली नयारा एनर्जी भी पहले से रूस से तेल मंगवा रही थी. इन दोनों कंपनियों की खरीद 2025 के पहले छह महीनों में रूस से आने वाले कुल तेल का करीब 50 फीसदी रही.
देश की सरकारी तेल कंपनियां जैसे IOC, BPCL और HPCL आमतौर पर बाजार से मौके पर ही खरीद करती हैं.
ट्रंप क्यों हुए नाराज?
डोनाल्ड ट्रंप की दोबारा सत्ता में वापसी के बाद से उन्होंने भारत पर रूस से तेल खरीद बंद करने का दबाव बनाना शुरू किया. जुलाई में उन्होंने साफ कहा कि अगर भारत यूक्रेन जंग के खत्म होने तक रूस से तेल खरीदता रहा, तो वह भारत पर 100 फीसदी तक का टैक्स लगा सकते हैं.
1 अगस्त से अमेरिका ने भारत के निर्यात पर 25 फीसदी का टैक्स लगा दिया और रूस से तेल खरीदने पर भी “अलग से पेनाल्टी” देने की बात कही.
ट्रंप का कहना है कि भारत को अमेरिका और उसके दोस्तों से तेल खरीदना चाहिए, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार का संतुलन ठीक हो सके. लेकिन भारत और रूस के बढ़ते तेल व्यापार से ये सरकार ने यह साफ कर दिया है कि तेल कहां से मंगाना है, यह फैसला वह अपनी जरूरत और कीमत देखकर करेगी.
रूस और भारत के बीच तेल का लेन-देन डॉलर की जगह अब रुपये और रूबल में किया जा रहा है. इससे भारत को डॉलर खर्च नहीं करना पड़ता और व्यापार में आसानी होती है. लेकिन यही बात अमेरिका को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है.
डॉलर अब तक दुनिया में तेल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला भुगतान का तरीका रहा है. लेकिन भारत और रूस के बीच सीधा लेन-देन होने से अमेरिका को यह डर है कि डॉलर की अहमियत कम हो सकती है.
बीते 6 महीने में क्या हुआ?
जनवरी 2025 से जून 2025 के बीच रूस से भारत का तेल आयात हर महीने 35 से 43 फीसदी के बीच रहा. जून में तो यह आंकड़ा 20.8 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया, जो साल का सबसे ऊंचा आंकड़ा था. जुलाई में कुछ कमी जरूर आई लेकिन रिलायंस और नयारा जैसी निजी कंपनियों ने खरीद जारी रखी.
इस साल अमेरिका से भारत का तेल आयात 51 फीसदी बढ़ा है और अब यह हर दिन करीब 2.7 लाख बैरल तक पहुंच चुका है, लेकिन रूस अब भी भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है.
देशभर में कैसे तेल खरीद रहा भारत
भारत क्यों नहीं छोड़ रहा रूस का साथ?
रूस भारत को आज भी बाकी देशों के मुकाबले सस्ता तेल दे रहा है. पहले यह छूट 8 से 10 डॉलर प्रति बैरल तक थी, अब घटकर 3 से 6 डॉलर रह गई है. फिर भी भारत के लिए यह सौदा अभी भी फायदे का है. 2023 और 2024 में इसी सस्ते तेल की वजह से भारत को 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई थी.
17 जुलाई को ऊर्जा मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि भारत अब 40 से ज्यादा देशों से तेल खरीदने की कोशिश कर रहा है, जिससे किसी एक देश पर निर्भरता कम हो. भारत अमेरिका, गयाना, ब्राजील जैसे नए विकल्पों की तरफ भी देख रहा है.
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ट्रंप भले ही नाराज हों, लेकिन भारत और रूस के बीच तेल का कारोबार आज भी मजबूती से चल रहा है. निजी कंपनियों के करार और सस्ती कीमतों ने भारत को यह भरोसा दिया है कि वह अमेरिका के दबाव के बिना भी अपनी जरूरतें पूरी कर सकता है. आने वाले वक्त में भारत नई जगहों से तेल लाने की कोशिश जरूर करेगा, लेकिन रूस से उसका रिश्ता फिलहाल कमजोर होता नहीं दिख रहा.