भारत में जल्द चलेगी हाइपरलूप! रेल मंत्री ने एक्स पर किया अपडेट

भारत का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक तैयार हो गया है. भारतीय रेलवे और IIT मद्रास ने मिलकर 410 मीटर लंबा परीक्षण ट्रैक तैयार किया है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसका वीडियो शेयर किया.

भारत का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक तैयार है. Image Credit:

भारत का पहला हाइपरलूप ट्रैक तैयार है. भारतीय रेलवे ने IIT मद्रास के साथ मिलकर भारत के पहले 410 मीटर हाइपरलूप ट्रैक का परीक्षण पूरा कर लिया है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को अपने एक्स अकाउंट पर ट्रैक का एक वीडियो शेयर करते हुए इसकी जानकारी दी.

मुंबई-पुणे के बीच चलेगा हाइपरलूप

मुंबई-पुणे कॉरिडोर पर भारत का पहला हाइपरलूप चलाया जाएगा. इस पर काम तेजी से काम चल रहा है. एक बार यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा, तो मुंबई और पुणे के बीच यात्रा का समय घटाकर केवल 25 मिनट हो सकता है, जो हवाई जहाज से भी तेज होगा.

जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की डेडलाइन 2027-28 तक तय की गई है. भारतीय सरकार की योजना है कि इसे मुंबई और पुणे, चेन्नई और बेंगलुरु, तथा दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे प्रमुख भारतीय शहरों के बीच भी चलाया जाए.

किराया भी सस्ता होगा

हाइपरलूप से कई तरह के फायदे हैं. मुंबई और पुणे के बीच यात्रा में 25 मिनट से भी कम समय लगेगा और इसके किराए भी फ्लाइट से कम होंगे. जानकारी के अनुसार, एकतरफा यात्रा के लिए टिकट की कीमत 1,000 रुपये से 1,500 रुपये के बीच हो सकती है, जो सीधी उड़ान की लागत का लगभग आधा है.

हाइपरलूप तकनीक क्या है?

हाइपरलूप को पहली बार 2012 में एलन मस्क ने पेश किया था. इसके बाद इस मॉडल की दुनिया भर में सराहना की गई थी. हाइपरलूप एक हाई स्पीड वाली परिवहन प्रणाली है, जिसमें पॉड्स, जो दबाव वाले वाहन होते हैं, कम दबाव वाली नलियों के माध्यम से असाधारण गति से यात्रा करते हैं. प्रत्येक पॉड में 24 से 28 यात्री बैठ सकते हैं, जिससे सीधे और बिना रुके पॉइंट-टू-पॉइंट यात्रा संभव हो जाती है.

1,100 किमी की स्पीड

हाइपरलूप तकनीक एक बहुत तेज परिवहन प्रणाली है. इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह 1,100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है, जिसमें लगभग 360 किमी प्रति घंटे की परिचालन क्रूजिंग स्पीड होती है. ये ट्रेनें वैक्यूम-सील ट्यूबों के अंदर चलती हैं, जिससे प्रिक्शन में काफी कमी आती है और तेज गति के साथ यात्रा की ऊर्जा दक्षता भी बढ़ती है.