Duologue NXT: शफीना यूसुफ अली के ‘कॉमर्स से करुणा’ के सफर में कला बनी सबको जोड़ने का जरिया

Duologue NXT के इस एपिसोड में शफीना यूसुफ अली ने TV9 नेटवर्क के MD और CEO बरुण दास के साथ बातचीत में बताया कि कैसे उन्होंने Rizq Art Initiative के जरिए कला को एक वैश्विक संवाद में बदला. Oxford से Abu Dhabi तक का उनका सफर करुणा, संस्कृति और रचनात्मकता का संगम है.

बरुण दास के साथ शफीना यूसुफ अली Image Credit: Money9live

Duologue NXT के इस एपिसोड में Rizq Art Initiative की फाउंडर और कारोबारी दिग्गज यूसुफ अली एमए की बेटी शफीना यूसुफ अली ने TV9 नेटवर्क के MD और CEO बरुण दास की मेहमान बनीं. इस बातचीत में उनका बौद्धिक चातुर्य और भावनाओं का अनोखा संगम देखने को मिला. दोनों ने मिलकर कला, संस्कृति और नेतृत्व के उस मिलन बिंदु की खोज की जहां सृजनशीलता समाज पर असर डालती है.

ऑक्सफोर्ड से अबू धाबी की गलियों तक

Radico Khaitan की प्रस्तुति Duologue NXT के इस प्री-फिनाले एपिसोड में शफीना ने अपने सफर को साझा किया, जिसमें वे ऑक्सफर्ड और कैम्ब्रिज जैसे मशहूर संस्थानों से निकलकर अबू धाबी की आर्ट गैलरीज तक पहुंची. बरुण दास ने गहरे मायने वाले सवालों से उनके इस सफर को इस तरह उकेरा कि शफीना को यह अपने ट्रांजिशन से ज्यादा खुद से दोबारा जुड़ने की कहानी है नजर आई. बरुण दास ने Duologue NXT को आधुनिक नेतृत्व और बौद्धिक संवाद की मास्टरक्लास बना दिया है, इस एपिसोड में कला और सोच के गहरे संबंध को नए नजरिए से सामने लाते हैं.

हर बातचीत जिंदगी में कुछ जोड़ती है

अपने अनुभव को साझा करते हुए शफीना ने कहा, “हर बातचीत आपके जीवन में कुछ नया जोड़ती है. बरुण इतने दिलचस्प होस्ट रहे कि उन्होंने कई नजरिये पेश किए और मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि एक पुरुष मस्तिष्क इस दुनिया और कॉर्पोरेट में महिला होने को कैसे देखता है.”

कला को फलने के लिए चाहिए पोषण

बरुण दास ने बातचीत में कहा, “मैं हमेशा मानता हूं कि रचनात्मकता तभी पनपती है, जब वह खुद को सतत बना पाए. कला एक अभिव्यक्ति है, लेकिन इसे एक आर्थिक ढांचे की भी जरूरत होती है. जब क्रिएटिविटी खुद को फंड करती है, तभी वह जीवित रहती है. शफीना ने ‘Rizq’ के साथ सिर्फ एक आर्ट फाउंडेशन नहीं बनाया, बल्कि ‘इकोनॉमी ऑफ एक्सप्रेशन’ गढ़ी है.”

कला पेशा भी है और जुनून भी

जब शफीना से उनके लिए कला के मायनों के बारे में पूछा गया, तो वे कहती हैं, “अगर आप कला को लेकर पैशनेट नहीं हैं, तो उसमें प्रोफेशनल नहीं बन सकते. कला मेरे लिए पेशा भी है और पैशन भी और मुझे लगता है यही काम का सबसे खूबसूरत रूप है.”

रिज्क आर्ट एक आंदोलन

शफीना बताती हैं कि रिज्क आर्ट की शुरुआत अबू धाबी में 1,700 वर्ग मीटर के एक कल्चरल स्पेस के विजन से हुई थी. अब यह एक आंदोलन बन चुकी है. यह एक सोशल एंटरप्राइज है, जिससे कलाकारों को पोषण मिलता है. इसके साथ ही यह कई संस्कृतियों के बीच संवाद रचती है और क्रिएटिव सस्टेनेबिलिटी का नया इकोसिस्टम बनाती है. शफीना कहती हैं, “एक इंडोनेशियन कलाकार को भारतीय और इराकी कलाकार के साथ रखिए. उनकी कलाएं आपस में संवाद करती हैं. उसी संवाद से असली संस्कृति जन्म लेती है.”

‘ग्लास और पेपर थ्योरी’ से जिंदगी के सबक

बातचीत कला के बिजनेस से आगे बढ़कर उस संतुलन पर पहुंचती है, जो पैशन और प्रैक्टिकलिटी, मातृत्व और महत्वाकांक्षा, विरासत और व्यक्तिगतता के बीच होता है. इसी दौरान शफीना ने ‘Glass and Paper Theory’ की चर्चा करते हुए कहा, “हर दिन हम तीन गेंदें उछालते हैं, काम, परिवार और खुद. कुछ कांच की होती हैं, गिरें तो हमेशा के लिए टूट जाती हैं. कुछ कागज की होती हैं, गिरें तो बाद में उठा सकते हैं. असली बात यह जानना है कि कौन सी गेंद कौन सी है?”

कला जोड़ती है, मुकाबला नहीं करती

जब बरुण दास ने शफीना से उनके दीर्घकालिक विजन के बारे में पूछा, तो शफीना का जवाब व्यापक और जमीन से जुड़ा हुआ था. उन्होंने कहा, “मेरा सपना है एक ऐसा ग्लोबल कल्चरल हब बनाना जो, भारत और यूएई के कलाकारों को दुनिया तक पहुंचाए और दुनिया के कलाकारों को हमारे पास लाए. यह कनेक्शन का सफर है, कॉम्पिटिशन का नहीं.”

यहां देखें पूरा एपिसोड

Duologue NXT का पूरा एपिसोड शफीना यूसुफ अली के साथ देखें — सिर्फ News9 पर, रात 10:30 बजे, 8 अक्टूबर 2025 को. इसे Duologue YouTube चैनल (@Duologuewithbarundas) और News9 Plus ऐप पर भी स्ट्रीम किया जाएगा.

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