अरावली हिल्स 100 मीटर परिभाषा पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, नई समिति करेगी सर्वे, अपना फैसला पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स की 100 मीटर ऊंचाई वाली परिभाषा पर अपना नवंबर फैसला अस्थायी रूप से रोका. नई समिति गठित कर अरावली की पहचान और सर्वे करेगी. कोर्ट ने 21 जनवरी को सुनवाई तय की है. CJI ने कहा कि यह देखा जाएगा कि नई परिभाषा खनन गतिविधियों में अनियंत्रित वृद्धि को रोक सके या नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स की फैसला अस्थायी रूप से रोका. Image Credit: money9live

Aravalli Hills: अरावली हिल्स की परिभाषा को लेकर विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 29 दिसंबर को अपने नवंबर के फैसले को अस्थायी रूप से रोक दिया. CJI ने कहा कि अरावली हिल्स पर सर्वे और अध्ययन करने के लिए एक नई समिति का गठन किया जाएगा. कोर्ट ने अगले सुनवाई के लिए 21 जनवरी की तारीख तय की. CJI ने यह भी कहा कि यह देखा जाएगा कि क्या 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली भूमि को ही अरावली मानने से खनन गतिविधियों में अनियंत्रित बढ़ोतरी हो सकती है.

नई समिति करेगी सर्वे और रिसर्च

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि नई समिति अरावली हिल्स की पहचान और उनके विस्तार का सर्वे और अध्ययन करेगी. इसके लिए एक्सपर्ट को शामिल किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि उन क्षेत्रों की पहचान करनी होगी जो अब ‘नॉन-अरावली’ कैटेगरी में आते हैं. इससे यह सुनिश्चित होगा कि खनन गतिविधियों पर नियंत्रण रहे और पर्यावरण संरक्षण हो.

नवंबर के फैसले में क्या था

20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स और रेंज के लिए एक समान परिभाषा को स्वीकार किया था. कोर्ट ने एक्सपर्ट रिपोर्ट आने तक नई खनन लीज देने पर रोक लगा दी थी. समिति ने सुझाव दिया कि किसी भी अरावली जिले में 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली भूमि को ही “अरावली हिल” माना जाएगा. दो या अधिक ऐसी हिल्स जो 500 मीटर के भीतर हों, उन्हें “अरावली रेंज” के रूप में परिभाषित किया गया.

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भविष्य की सुनवाई और पर्यावरण संरक्षण

सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले को फिर से देखेगा. यह देखना होगा कि नई परिभाषा पर्यावरण सुरक्षा और खनन गतिविधियों के संतुलन में कितनी कारगर है. 21 जनवरी को सुनवाई में इस पर विस्तृत चर्चा होगी. कोर्ट का उद्देश्य है कि अरावली हिल्स को सुरक्षित रखा जाए और खनन गतिविधियों पर नियंत्रण बना रहे.