यूनियन कैबिनेट ने दी रेयर अर्थ मैग्नेट के लिए इंसेंटिव स्कीम की मंजूरी, 7280 करोड़ खर्च करेगी सरकार
Rare Earth Incentive Scheme: यह रेयर अर्थ स्कीम चीन से एक्सपोर्ट पर रोक की धमकियों के बीच आई है, जो दुनिया भर में 60-70 फीसदी रॉ रेयर अर्थ का प्रोडक्शन करता है और दुनियाभर में 90 फीसदी रेयर अर्थ प्रोसेसिंग को कंट्रोल करता है. इस स्कीम से लगभग 6,000 टन रेयर अर्थ मैग्नेट की प्रोडक्शन कैपेसिटी बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है.
Rare Earth Incentive Scheme: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को रेयर अर्थ मैग्नेट की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के मकसद से 7,280 करोड़ रुपये की इंसेंटिव स्कीम को मंजूरी दे दी. सात साल की वैलिडिटी के साथ डिजाइन किए गए इस प्रस्ताव का मकसद जरूरी मिनरल्स पर भारत की इम्पोर्ट डिपेंडेंस को कम करना और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स के लिए सप्लाई चेन को मजबूत करना है. यह रेयर अर्थ स्कीम चीन से एक्सपोर्ट पर रोक की धमकियों के बीच आई है, जो दुनिया भर में 60-70 फीसदी रॉ रेयर अर्थ का प्रोडक्शन करता है और दुनियाभर में 90 फीसदी रेयर अर्थ प्रोसेसिंग को कंट्रोल करता है.
इस स्कीम से लगभग 6,000 टन रेयर अर्थ मैग्नेट की प्रोडक्शन कैपेसिटी बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है. ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक गाड़ियों, इलेक्ट्रॉनिक्स, विंड टर्बाइन, डिफेंस प्लेटफॉर्म और दूसरे हाई-टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन में जरूरी पार्ट्स हैं.
फ्रेमवर्क पर चल रहा काम
फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इस स्कीम को पहले ही मंजूरी दे दी है, जिससे आज दोपहर 12:30 बजे शुरू हुई कैबिनेट मीटिंग में इस प्रपोजल पर विचार करने का रास्ता साफ हो गया है. माइन्स मिनिस्ट्री इस स्कीम के फ्रेमवर्क पर काम कर रही है, जिसका फोकस ग्लोबल और डोमेस्टिक फर्मों को अट्रैक्ट करने, भारत में वैल्यू एडिशन को बढ़ावा देने और स्ट्रेटेजिक मटीरियल की लंबे समय तक उपलब्धता पक्का करने पर है.
स्कीम का कुल समय अवार्ड की तारीख से 7 साल होगा, जिसमें एक इंटीग्रेटेड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी सेट अप करने के लिए 2 साल का जेस्टेशन पीरियड और इसकी बिक्री पर इंसेंटिव देने के लिए 5 साल शामिल हैं.
इंपोर्ट पर बहुत ज्यादा निर्भर है भारत
भारत अभी रेयर-अर्थ परमानेंट मैग्नेट के इंपोर्ट पर बहुत ज्यादा निर्भर है. प्रस्तावित इंसेंटिव सिस्टम से प्रोसेसिंग, रिफाइनिंग और मैग्नेट बनाने की क्षमताओं में इन्वेस्टमेंट को सपोर्ट मिलने की उम्मीद है, जो देश में अभी भी विकासशील हैं. यह स्कीम सरकार के बड़े एजेंडे से मेल खाती है, जिसमें जरूरी मिनरल सप्लाई चेन को सुरक्षित करना और उभरते हुए सेक्टर में टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता बढ़ाना शामिल है.
कुल बजट में से 6,450 करोड़ रुपये पांच साल में सेल्स-लिंक्ड इंसेंटिव के तौर पर दिए जाएंगे और 750 करोड़ रुपये फैसिलिटी लगाने के लिए कैपिटल सब्सिडी के तौर पर दिए जाएंगे. सरकार ग्लोबल बिडिंग प्रोसेस के ज़रिए पांच मैन्युफैक्चरर्स को कैपेसिटी देने का प्लान बना रही है, जिसमें हर एक को 1,200 MTPA तक की इजाजत होगी.