बसवराजू का खात्मा, नक्सली आंदोलन पर आखिरी चोट! जानें इंजीनियर कैसे बना रेड कॉरिडोर का खूंखार चेहरा
नक्सलियों की बीते दशक में सफलता की एक बड़ी वजह बसवराजू की गोरिल्ला युद्ध रणनीति भी थी. जिसकी वजह से नक्सलियों के कई ऑपरेशन सफल हुए. इसी कड़ी में साल 2013 में छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में कांग्रेस की पूरी नेतृत्व लाइन को ही खत्म कर देने वाला नरसंहार बेहद चर्चा में रहा था.

Chhattisgarh Basavaraju Encounter: जिस अबूझमाड़ को नक्सली अपनी सबसे सुरक्षित मांद समझते थे. उसी अभेद्य मांद में नक्सलियों का टॉप कमांडर और एक करोड़ का इनामी नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को मार गिराया गया है. नंबाला केशव राव जो बसवराजू के नाम से जाना जाता था. एक ऐसा खूंखार नक्सली था, जिसकी कमान में भारत में नक्सलियों ने नेक्स् लेवल की आक्रमकता देखी. वह नक्सली संगठन के टॉप रणनीतिकारों में शामिल था. लेकिन उसकी एक खासियत जो उसे सभी कमांडरों से अलग करती थी. वह थी उसकी विस्फोट करने की विशेषज्ञता. जिससे वह बेहद घातक बन जाता था.
गोरिल्ला युद्ध रणनीति
नक्सलियों की बीते दशक में सफलता की एक बड़ी वजह बसवराजू की गोरिल्ला युद्ध रणनीति भी थी. जिसकी वजह से नक्सलियों के कई ऑपरेशन सफल हुए. इसी कड़ी में साल 2013 में छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में कांग्रेस की पूरी नेतृत्व लाइन को ही खत्म कर देने वाला नरसंहार बेहद चर्चा में रहा था. बसवराजू माओवादी संगठन CPI (माओवादी) का महासचिव था और वह देश में नक्सल आंदोलन को खत्म करने की राह में सबसे बड़ी दीवार था. उसकी मौत निश्चित तौर पर मोदी सरकार को उस दहलीज पर पहुंचा चुकी है, जहां से वह 2026 तक देश में नक्सलवाद का पूरी तरह से खात्मा करने का दावा बड़े भरोसे के साथ कर रही है.
कैसे इंजीनियर बना नक्सली
बसवराजू आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले का रहने वाला था और उसने वारंगल स्थित रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज (अब NIT) से बीटेक की डिग्री हासिल की थी. यानी राजू एक इंजीनियर था. तो सीधा सवाल उठता है कि एक इंजीनियर नक्सली कैसे बन गया. तो इस सवाल का जवाब समझने के लिए हमें उस दौर को समझना होगा. जब एक इंजीनियर और कबड्डी खिलाड़ी नक्सलवाद से प्रभावित हो गया. 70 के दशक का यह वह दौर था जब नक्सलबाड़ी आंदोलन की चिंगारी पूरे देश में फैल रही थी. जहां नक्सली युवाओं को मार्क्सवाद के नाम पर एक ऐसी दुनिया का सपना दिखाते थे, जहां पूरे समाज में सशस्त्र क्रांति लाना ही बदलाव का एक जरिया था. बसवराजू भी इसी वैचारिक आकर्षण में पीपुल्स वॉर ग्रुप (PWG) में शामिल हो गया, जो बाद में सीपीआई (माओवादी) का एक प्रमुख घटक बना.
इन हमलों का मास्टरमाइंड
बसवराजू को साल 2010 में छत्तीसगढ़ के चिंतलनार में हुए हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है, जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे. इसके अलावा 2013 के झीरम घाटी नरसंहार, जिसमें कई कांग्रेस नेता मारे गए थे और राज्य में कांग्रेस की पूरी लीडरशिप ही खत्म हो गई थी. इसमें कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल सहित 33 लोग मारे गए थे. इसके अलावा नक्सलियों की भर्ती से लेकर उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत के नक्सलियों के बीच कोऑर्डिनेशन की जिम्मेदारी भी बसवा राजू के पास थी.
खत्म होने के कगार पर नक्सली आंदोलन
बसवराजू का खात्मा कितना मायने रखता है इसे इस तरह से समझा जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने खुद X पर पोस्ट कर इस उपलब्धि के बारे में बताया है. उन्होंने लिखा है कि छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में हमारे सुरक्षा बलों ने एक बड़े ऑपरेशन के तहत 27 कुख्यात माओवादियों को ढेर किया है, जिनमें सीपीआई (माओवादी) के महासचिव और नक्सल आंदोलन की रीढ़ माने जाने वाले नंबाला केशव राव उर्फ बसवाराजू भी शामिल हैं. यह पहली बार है जब भारत के तीन दशकों से चल रहे नक्सलवाद विरोधी अभियान में महासचिव स्तर के शीर्ष माओवादी नेता को हमारे सुरक्षाबलों ने ढेर किया है.उन्होंने यह भी लिखा है कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट की समाप्ति के बाद छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में अब तक 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. मोदी सरकार का संकल्प है कि 31 मार्च 2026 से पहले भारत से नक्सलवाद का पूरी तरह अंत किया जाएगा.
2026 में सरकार का नक्सलवाद खत्म करने का दावा
गृह मंत्रालय के आकड़ों के अनुसार देश में नक्सली हिंसा की घटनाएं 2010 में अपने उच्चतम स्तर (1936 मामले) पर पहुंच गई थीं. जो 2024 में घटकर 374 मामले रह गया. इसी तरह बुद्ध पहाड़ और चकरबंधा जैसे क्षेत्र नक्सलवाद की पकड़ से पूरी तरह मुक्त करा दिया गया है. छत्तीसगढ़ में 85 प्रतिशत कैडर समाप्त हो चुके हैं. जनवरी 2024 से अब तक (10 अप्रैल को दिए गए आंकड़ों के अनुसार) छत्तीसगढ़ में कुल 237 नक्सली मारे गए हैं, 812 गिरफ्तार हुए हैं और 723 ने आत्मसमर्पण किया है.साफ है कि बसवराजू का सफाया बचे-कुचे नक्सलियों के लिए बड़ा झटका है. और जिस तरह नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सरकार को सफलता मिल रही है. उससे लगता है कि 2026 का टारगेट पूरा हो जाएगा.
राज्य | 2022 | 2023 | 2024 |
---|---|---|---|
आंध्र प्रदेश | 3 | 3 | 1 |
बिहार | 11 | 4 | 2 |
छत्तीसगढ़ | 246 | 305 | 267 |
झारखंड | 96 | 129 | 69 |
केरल | 0 | 4 | 0 |
मध्य प्रदेश | 16 | 7 | 11 |
महाराष्ट्र | 16 | 19 | 10 |
ओडिशा | 16 | 12 | 6 |
तेलंगाना | 9 | 3 | 8 |
पश्चिम बंगाल | 0 | 0 | 0 |
कुल | 413 | 485 | 374 |
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