इस केमिकल में है अलादीन का चिराग, बिड़ला भी लगा रहे हैं पैसा, इन 3 स्टॉक पर रखें नजर

भारत का एक ऐसा सेक्टर जो कभी थमा हुआ सा लग रहा था, अब फिर से गर्माया है. बड़ी कंपनियों की एंट्री, नई टेक्नोलॉजी और बदलती ग्लोबल डिमांड ने इसमें नई जान फूंकी है. ऐसे में कुछ स्टॉक्स हैं जो चमक रहे हैं… जानिए क्यों सबकी नजरें अब इस पर टिकी हैं

स्पेशियलिटी केमिकल में लौट रही है जान Image Credit: FreePik

Chemical sector India July 2025: बीते कुछ सालों में अगर किसी नए सेक्टर ने निवेशकों के मन में उम्मीद जगाई है, तो वह है भारत का केमिकल सेक्टर. खासकर स्पेशियलिटी केमिकल्स में जो हलचल देखने को मिल रही है, वह सिर्फ शेयर बाजार के नजरिए से बेहद अहम है. जिस तरह से कंपनियां इनोवेशन, रिसर्च और एक्सपोर्ट्स की ओर शिफ्ट कर रही हैं, उससे यह सेक्टर अब commodity-driven नहीं बल्कि value-driven बनने की राह पर है.

ऐसे में सेक्टर की बड़ी कंपनिया जैसे बिड़ला और आरती इंडस्ट्रीज, खास तौर पर स्पेशियलिटी केमिकल्स के क्षेत्र में अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर कैपेक्स की घोषणाएं कर रही हैं. हांलाकि बिड़ला ग्रुप की आदित्य बिड़ला कंपनी अभी लिस्टेड नहीं है.

आइए समझते हैं कि यह सेक्टर क्यों खास है, इसमें क्या बदलाव आ रहे हैं और किन कंपनियों पर बाजार की नजर टिकी हुई है.

1 ट्रिलियन डॉलर की तरफ बढ़ता केमिकल बाजार

भारत का केमिकल सेक्टर इस समय लगभग 220 अरब डॉलर का है, लेकिन 2040 तक इसके 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. यह 8.36 फीसदी की कंपाउंड ग्रोथ रेट को दिखाता है, जो न सिर्फ तेजी से बढ़ते उपभोग की ओर इशारा करता है बल्कि भारत की वैश्विक सप्लाई चेन में बढ़ती भूमिका को भी दिखाता है.

यह सेक्टर दो प्रमुख हिस्सों में बंटा है- Bulk Chemicals और Specialty Chemicals. Bulk में वॉल्यूम ज्यादा होता है लेकिन मुनाफा कम (10-15%), वहीं Specialty Chemicals कम मात्रा में होते हैं लेकिन मार्जिन अधिक (20-25%) होता है. यही वजह है कि कंपनियां अब तेजी से Specialty Chemicals की ओर शिफ्ट कर रही हैं.

स्पेशियालिटी केमिकल्स खास तरह के रसायन होते हैं जो किसी एक खास काम के लिए बनाए जाते हैं. जैसे कोई दवा बनाने के लिए, फसल बचाने के लिए कीटनाशक, या फिर कोई खास रंग या खुशबू वाला प्रोडक्ट बनाने के लिए. ये आम केमिकल्स जैसे साबुन या यूरिया की तरह नहीं होते, जिनका इस्तेमाल हर जगह होता है. इन्हें कम मात्रा में बनाया जाता है लेकिन इनसे कंपनियों को अच्छा मुनाफा होता है क्योंकि ये बहुत उपयोगी और कीमती होते हैं.

चीन की सुस्ती और भारत की नई उम्मीद

चीन की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ने से दुनिया भर में स्पेशियलिटी केमिकल्स की कीमतों पर दबाव आया है. लेकिन यही भारत के लिए मौका भी है. दुनिया की बड़ी कंपनियां अब चीन पर निर्भर रहने से बचना चाहती हैं और नए देशों से केमिकल्स खरीदना चाहती हैं. ऐसे में भारत एक भरोसेमंद और सस्ते विकल्प के तौर पर सामने आया है.

दूसरी तरफ, भारत के अंदर भी मांग फिर से बढ़ रही है- जैसे दवाओं के लिए केमिकल्स की जरूरत (फार्मा सेक्टर) बढ़ रही है, किसानों की फसल अच्छी हुई है (अच्छा रबी सीजन), और खेती में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स (एग्रो-केमिकल फॉर्म्युलेशन) की बिक्री भी सुधर रही है. यानि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर भारत के स्पेशियलिटी केमिकल सेक्टर के लिए बेहतर समय शुरू हो रहा है.

कंपनियां जो उबर रहीं हैं और अब रफ्तार पकड़ रहीं हैं

Sumitomo Chemical India

एग्रोकेमिकल स्पेस की बड़ी खिलाड़ी सुमितोमो केमिकल इंडिया ने FY25 में दमदार वापसी की है. FY24 में चुनौतियों के बाद FY25 में कंपनी की आय 11 फीसदी बढ़ी, भले ही प्राइसिंग में 10 फीसदी की गिरावट आई हो. यह ग्रोथ वॉल्यूम और बेहतर एसेट यूटिलाइजेशन की वजह से आई.

कंपनी का EBITDA मार्जिन 20.1 फीसदी तक पहुंचा, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. खास बात यह रही कि घरेलू कारोबार ने अच्छा प्रदर्शन किया, और एक्सपोर्ट्स भी स्थिर रहे.

अब कंपनी पेटेंटेड प्रोडक्ट की लॉन्चिंग की दिशा में आगे बढ़ रही है, जैसे- Excalia Max (फंगीसाइड) और Lentigo (धान के लिए हर्बीसाइड). इसके लिए बैकवर्ड इंटीग्रेशन और टारापुर व भावनगर में निर्माण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

कंपनी के स्टॉक ने बीते पांच साल में निवेशकों को 142 फीसदी का रिटर्न दिया है. गुरुवार को इसके शेयर 648 रुपये पर बंद हुए.

Balaji Amines

अलिफैटिक अमाइन्स और उनके डेरिवेटिव्स की प्रमुख निर्माता बालाजी अमाइन्स अब खुद को सिर्फ बल्क केमिकल कंपनी से एक डाइवर्सिफाइड स्पेशियलिटी प्लेयर में बदलने की ओर है. कंपनी के शेयरों ने बीते पांच साल में निवेशकों को 214 फीसदी का मुनाफा दिया है. मौजूदा वक्त में इसके शेयर 1768 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं.

हालांकि FY25 थोड़ा मिला-जुला रहा, रेवेन्यू में 5 फीसदी और EBITDA में 7 फीसदी की गिरावट आई. फार्मा से मांग स्थिर रही, लेकिन एग्रो-केमिकल सेगमेंट में उतार-चढ़ाव जारी रहा. फिर भी साल के अंत तक वॉल्यूम और यूटिलाइजेशन में सुधार के संकेत मिले.

कंपनी अब N-Methyl Morpholine, Iso Propyl Amines और NBPT जैसे नए प्रोडक्ट्स के लिए प्लांट लगा रही है. डाइमेथिल ईथर प्लांट को भी रैम्प अप किया जा रहा है. बालाजी स्पेशियलिटी केमिकल्स (सब्सिडियरी) 750 करोड़ रुपये की लागत से Hydrogen Cyanide और Sodium Cyanide का निर्माण करेगी. EDA बेस्ड प्रोडक्ट्स के लिए ब्राउनफील्ड विस्तार भी चल रहा है.

PI Industries

पीआई इंडस्ट्रीज अब सिर्फ एक एग्रोकेमिकल कंपनी नहीं रही. इसने खुद को एक रिसर्च-ड्रिवन लाइफ साइंसेज कंपनी के रूप में स्थापित किया है. इसका कारोबार अब कस्टम सिंथेसिस, डोमेस्टिक एग्री ब्रांड्स, फार्मा और बायोलॉजिकल्स तक फैला हुआ है. कंपनी के शेयरों ने निवेशकों को पांच साल में 140 फीसदी का ग्रोथ दिया है और अब वह 4250 रुपये पर ट्रेड कर रही है.

FY25 में कंपनी की आय 4% बढ़ी, EBITDA 8% और शुद्ध लाभ स्थिर रहा. Biologicals सेगमेंट में 20% की ग्रोथ रही और डोमेस्टिक ब्रांड्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया. कंपनी ने 27 फीसदी का EBITDA मार्जिन बनाए रखा.

क्यों नजर बनाए रखना जरूरी है इस सेक्टर पर?

  • वैल्यू शिफ्ट: कंपनियां अब क्वालिटी और इनोवेशन पर फोकस कर रही हैं, जिससे मार्जिन सुधर रहे हैं.
  • ग्लोबल डिमांड: चीन के डाउनसाइकल के चलते भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में अहम स्थान ले सकता है.
  • इम्पोर्ट डिपेंडेंसी से आत्मनिर्भरता: बैकवर्ड इंटीग्रेशन और निवेश से कंपनियां इनहाउस प्रोडक्शन बढ़ा रही हैं.
  • R&D पर फोकस: नई दवाएं, बायोलॉजिकल और इनोवेटिव फार्मूलेशन्स के जरिए इंडस्ट्री में वैल्यू चेन अपग्रेड हो रही है.

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लागत का बड़ा हिस्सा कच्चे माल पर

इस सेक्टर की एक प्रमुख चुनौती है – कच्चे माल पर निर्भरता. लागत का करीब 50-60 फीसदी हिस्सा raw materials में चला जाता है और इनका बड़ा हिस्सा आयात से आता है. इससे कीमतों में अस्थिरता बनी रहती है. लेकिन अब कंपनियां बैकवर्ड इंटीग्रेशन और लॉन्ग टर्म सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए इस जोखिम को घटाने की कोशिश कर रही हैं.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.