यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की एक तस्वीर ने खोल दी सारी पोल, इस नाम ने बढ़ा दी सुरक्षा एजेंसियों की चिंता

पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की एक तस्वीर ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है. तस्वीर में कश्मीर के संवेदनशील क्षेत्र का साइनबोर्ड दिख रहा है, जिसे देख खुफिया एजेंसियों को शक हुआ कि ट्रैवल व्लॉगिंग की आड़ में जानकारियां इकट्ठी की जा रही थीं.

यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की एक तस्वीर ने खोली पोल Image Credit: @Money9live

Youtuber Jyoti Malhotra and Photo that expose: ज्योति मल्होत्रा के बारे में अब तक सभी को मालूम चल गया है. हरियाणा की एक यूट्यूबर जिस पर पाकिस्तान के लिए भारत की जासूसी करने का आरोप लगा और हिसार से गिरफ्तार कर लिया गया. ज्योति के साथ-साथ उनके कुछ साथियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अब वह पुलिस रिमांड पर हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर पुलिस को इस बारे में मालूम कैसे चला. इसका जवाब सोशल मीडिया पर अपलोड एक फोटो में मिलता है. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया पर ज्योति ने एक तस्वीर डाली. चेहरे पर मुस्कान, बैकग्राउंड में बर्फ से लदे हुए पेड़ के पत्ते. उड़ती नजर से ये बिल्कुल फिल्मी सीन लग सकता है और आप लाइक कर स्क्रॉल कर सकते हैं. लेकिन अगर आप थोड़ा ठहरें तो काफी कुछ दिख सकता है.

एक तस्वीर ने बदल दी पूरी कहानी

ज्योति मल्होत्रा की इस तस्वीर ने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है. दरअसल उस तस्वीर के बैकग्राउंड में एक बोर्ड लगा हुआ है जहां पर जगह का नाम लिखा हुआ है, “काजीगुंड”. इसी नाम के साथ शक की शुरुआत हुई. जांच में सामने आया है कि वो बीते दो सालों में दो बार कश्मीर गईं और वहां पर ऐसी-ऐसी जगहों की फोटोग्राफी की जो आम टूरिस्ट या ट्रैवल व्लॉगर की पहुंच से परे हैं. अब सवाल कि काजीगुंड नाम के साथ ऐसा क्या है जिसने सुरक्षा एजेंसियों जासूसी के आरोप के लिए मजबूर कर दिया.

काजीगुंड में क्या है?

काजीगुंड को ‘कश्मीर की एंट्री गेट’ कहा जाता है. जम्मू और श्रीनगर को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-44 और रेलवे लाइन का अहम हिस्सा है. यहां से सेना के काफिले, हथियारों की सप्लाई और दूसरी गतिविधियां होती हैं. यही वजह है कि इस जगह की कोई भी तस्वीर खुफिया नजरों से देखी जाती है. ज्योति के बनाए वीडियो में टोल प्लाजा, रेलवे स्टेशन, पुल, सुरंग और संचार टावर जैसी संरचनाएं नजर आती हैं. सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि ये वीडियो केवल ट्रैवल ब्लॉगिंग के लिए नहीं बल्कि रणनीतिक जानकारियां जुटाने के मकसद से बनाए गए थे.

ड्रोन और मेटाडेटा पर जांच तेज

अब खुफिया एजेंसियां ज्योति के मोबाइल, कैमरा, GPS डेटा और तस्वीरों के मेटाडेटा की जांच कर रही हैं. यह देखा जा रहा है कि क्या उनके विजिट्स का ताल्लुक किसी खास सैन्य गतिविधि या निर्माण कार्य से तो नहीं था. जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि ज्योति की विदेशों से कोई फंडिंग हुई या नहीं. साथ ही उनके संपर्कों की भी गहन जांच की जा रही है, जिससे यह समझा जा सके कि क्या उन्हें निर्देश किसी विदेशी एजेंसी से मिले थे. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, यह मामला दिखाता है कि कैसे सोशल मीडिया के जरिए कोई भी व्यक्ति संवेदनशील क्षेत्रों की जानकारी हासिल कर सकता है और उसे गलत मकसद से इस्तेमाल कर सकता है.