इंश्योरेंस का मास्टर हैक: 150 साल पुराना कानून, जिससे हर्षद मेहता की बर्बादी के बाद भी मालामाल हुई फैमिली

इंश्योरेंस की प्रक्रिया बेहद पेचीदा होती है. बहुत से लोग कई ऐसे नियमों के बारे में नहीं जानते, तो मुश्किल दौर में इंश्योरेंस के जरिये उनके परिवारों को सुरक्षित रख सकते हैं. ऐसा ही एक ब्रिटिश काल का 150 साल पुराना नियम है, जिसका इस्तेमाल हर्षद मेहता ने भी किया था और खुद की बर्बादी के बाद भी अपने परिवार के लिए बीमा की रकम को सुरक्षित रखा.

टर्म इंश्योरेंस Image Credit: Freepik

Bullet Proof Insurance Plan: इंश्योरेंस का सबसे बड़ा मकसद होता है, इंश्योर्ड व्यक्ति की गैर-मौजूदगी में परिवार को आर्थिक सुरक्षा देना. लेकिन, अक्सर जब कोई व्यक्ति बैंकों का कर्जदार होता है, तो उसके इंश्योरेंस की रकम से भी बैंक कर्ज की वसूली करते हैं. अगर आप कोई ऐसी तरीका खोज रहे हैं, जिससे आपकी गैर-मौजूदगी मे आपकी इंश्योरेंस की पूरी रकम आपकी पत्नी और बच्चों को मिले, तो यहां हम ऐसी ही एक तरीके के बारे में बता रहे हैं. यहां तक कि हर्षद मेहता ने भी इस तरीके से अपने परिवार के लिए अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी सुरक्षित रखी थी.

यह तरीका असल में मैरिड वूमैन प्रॉपर्टी एक्ट (MWPA) है. हर्षद मेहता ने 1992 स्कैम के बाद इसी कानून के चलते अपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी परिवार के लिए सुरक्षित रखी. ब्रिटिश काल का 1874 का यह कानून इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा में है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर खुद को फाइनेंशियल एक्सपर्ट बताने वाले प्रेम सोनी ने अपने एक पोस्ट में इस कानून को लेकर जानकारी दी है.

हर्षद मेहता केस का उदाहरण

30,000 करोड़ रुपये के स्कैम के बाद जब बैंकों, सीबीआई और अदालतों ने हर्षद मेहता की गाड़ियां, प्रॉपर्टी और बैंक खाते सीज कर दिए, तब भी एक 10 करोड़ रुपये की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी बैंकों के हाथ नहीं लगी. क्योंकि, हर्षद मेहता ने इस पॉलिसी को MWPA के तहत रजिस्टर्ड कराया था.

MWPA कैसे काम करता है?

MWPA के तहत अगर कोई विवाहित पुरुष पॉलिसी खरीदते समय यह विकल्प चुनता है, तो पॉलिसी एक ट्रस्ट बन जाती है और उस ट्रस्ट में उसकी पत्नी और बच्चे ही कानूनी लाभार्थी होते हैं. इस तरह की पॉलिसी की रकम को न कोई बैंक परिवार से छीन सकता है, न कोई कर्जदाता हक जता सकता है और न ही कोई अदालत इस रकम को अटैच कर सकती है. सोनी के मुताबिक, “यह भारत के लीगल सिस्टम में सबसे बुलेटप्रूफ असेट है.”

जागरूकता की कमी

बीमा कंपनियां अपनी तरफ से इस विकल्प को प्रमोट नहीं करती हैं, क्योंकि इसका फायदा पॉलिसीधारक और उसके परिवार को मिलता है, कंपनी को नहीं. वहीं, ज्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं है. वहीं, सोनी के पोस्ट पर जब कई यूजर्स ने पूछा कि क्या पुरानी पॉलिसियों में इसे जोड़ा जा सकता है, तो इसका जवाब देते हुए सोनी ने बताया कि MWPA केवल खरीद के समय चुना जा सकता है, बाद में नहीं.

फाइनेंशियल प्लानिंग में नया मोड़

महज एक “टिक-बॉक्स” विकल्प से बीमा राशि पूरी तरह सुरक्षित हो सकती है. अब इस थ्रेड ने लोगों को अपनी इंश्योरेंस स्ट्रेटेजी पर फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है. माना जा सकता है कि कानूनी सलाह लेकर MWPA का इस्तेमाल भारतीय परिवारों की सुरक्षा को नई परिभाषा दे सकता है.

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