हालिया कुछ आईपीओ ने डबल कर दिए पैसे, छोटे निवेशक भी कर सकते हैं निवेश; जानें प्रॉसेस

आईपीओ में रिटेल इन्वेस्टर किस तरह से निवेश करता है साथ ही जाने क्या होता है आईपीओ. जानिए

जल्द ही दस्तक देने वाले हैं ये आईपीओ Image Credit: Freepik

पिछले कुछ समय से इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) का बोल-बाला काफी ज्यादा बढ़ गया है. हालिया दिनों में कई ऐसे आईपीओ बाजार में आए जिन्होंने निवेशकों का रिटर्न डबल कर दिया. आप भी घर बैठे आईपीओ में निवेश कर सकते हैं. निवेश की प्रक्रिया जानने से पहले आप ये समझिये कि आखिर आईपीओ होता क्या है.

आईपीओ क्या होता है?

देश भर में कई प्राइवेट कंपनियां काम करती हैं. जब इन कंपनियों को पैसों की जरूरत पड़ती है तब ये प्राथमिक बाजार से फंड जुटाती है. इसके लिए कंपनी एक निश्चित मूल्‍य दायरे में अपने शेयर बाजार में लाती है. बाद में ये शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाते हैं. फिर सेकंडरी मार्केट में इनकी खरीद-बिक्री होती है.

आईपीओ में मुख्य रूप से चार प्रकार के निवेशक होते हैं. क्वालिफाइड इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर (क्यूआईआई), एंकर इन्वेस्टर, रिटेल इन्वेस्टर और नॉन-इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर (एनआईआई). फिलहाल हम रिटेल इन्वेस्टर की बात करेंगे.

रिटेल इन्वेस्टर कौन होते हैं?

सेबी के अनुसार रिटेल इन्वेस्टर उन निवेशकों को कहते हैं जो पारंपरिक या ऑनलाइन ब्रोकरेज कंपनी के जरिये शेयर, सिक्योरिटीज, बॉन्ड्स या म्यूचुअल फंड में पैसे लगाते और बेचते हैं. रिटेल इन्वेस्टर आमतौर पर वो लोग होते हैं जिनका नेटवर्थ कम होता है. इसके अलावा एक रिटेल इन्वेस्टर न्यूनतम 15,000 रुपये और अधिकतम 2 लाख रुपये तक के शेयर की ही बोली लगा सकता है.

रिटेल इन्वेस्टर आईपीओ में निवेश कैसे कर सकते हैं

  • डीमैट खात खोलें

किसी भी स्टॉक में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. आज के समय में किसी भी ब्रोकरेज फर्म या बैंक की मदद से डीमैट अकाउंट खोला जा सकता है.

  • माध्यम का चुनाव करें

माध्यम यानी किसी ब्रोकरेज फर्म को चुनें जो आपको आईपीओ में निवेश करने की सुविधा देता हो. ब्रोकरेज कंपनी के जरिए आप तय लॉट की कीमत के हिसाब से बोली लगा सकते हैं. साथ ही एक निवेशक को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उसके बैंक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस है या नहीं.

  • पसंद के आईपीओ को लेकर अपडेटेड रहें

ब्रोकरेज फर्म चुनने के बाद निवेशक को अपने पसंद के आईपीओ को लेकर अपडेट रहना होगा. आईपीओ आने की तारीख से लेकर उसमें अलॉट किए जाने वाले शेयर तक, निवेशक को आईपीओ पर नजर बनाए रखनी चाहिए.

  • एएसबीएस का इस्तेमाल करें

एप्लिकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट (एएसबीएस), इसकी मदद से निवेशक ने जितनी आईपीओ शेयर के लिए अप्लाई किया है, उसके लिए जरूरी अमाउंट एएसबीएस के जरिए निवेशक के बैंक अकाउंट में ब्लॉक हो जाता है. आईपीओ अलॉट होने की स्थिति तक जरूरी अमाउंट का इस्तेमाल अकाउंट होल्डर नहीं कर सकता.