सेबी ने बदले IPO के नियम, 1 लाख करोड़ से ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों के लिए आसान होगी लिस्टिंग
भारतीय शेयर बाजार के नियामक सेबी ने अपनी बोर्ड बैठक में कई अहम फैसले किए हैं. इनमें सबसे बड़ा फैसला IPO नियमों से जुड़ा है. सेबी ने बड़ी कंपनियों की बाजार में लिस्टिंग को आसान बनाने के मकसद से IPO और पब्लिक होल्डिंग से जुड़े नियमों में बदलाव किया है.

SEBI ने शुक्रवार को हुई बोर्ड बैठक में IPO से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव को मंजूरी दी है. बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए सेबी ने एक स्टेटमेंट बताया कि मिनिमम पब्लिक ऑफर और डायलूशन की टाइमलाइन को लेकर कई बदलाव किए गए हैं. सेबी ने यह बदलाव खासतौर पर बड़ी कंपनियों की लिस्टिंग को आसान बनाने के मकसद से किए हैं.
क्या हुआ बदलाव?
मौजूदा नियमों के मुताबिक 1 लाख करोड़ रुपये से 5 लाख करोड़ तक के पोस्ट इश्यू मार्केट कैप वाली कंपनियों को कम से कम 5000 हजार करोड़ रुपये या अपने मार्केट कैप का 5% का पब्लिक इश्यू लाना होता है. इसके अलावा इन कंपनियों को 10% की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) की स्थिति 2 साल के भीतर हासिल करनी होती है. लेकिन, नए नियमों के तहत यह अवधि बढ़ाकर 5 साल कर दी गई है. इसके अलावा अब कंपनियां 2.75 फीसदी यानी 6,250 करोड़ रुपये का इश्यू ला सकती हैं. वहीं, अगर लिस्टिंग के दिन 15% पब्लिक शेयर होल्डिंग है, तो 25% MPS 5 साल में करना है.
पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम भी बदले
सेबी ने सिर्फ IPO के लिए शेयर डायलूशन की लिमिट को घटाया है. इसके अलावा बड़ी कंपनियों को MPS को लेकर भी राहत दी गई है. मौजूदा नियमों के तहत किसी भी कंपनी को 10% MPS लिस्टिंग के 2 साल के भीतर हासिल करना होता है. वहीं, 25% MPS की स्थिति 5 साल में हासिल करनी होती है. नए नियमों के तहत इन कंपनियों की लिस्टिंग डेट के दिन पब्लिक शेयर होल्डिंंग अगर 15% ये कम है, तो 5 साल में 15% की स्थिति हासिल करनी होगी. वहीं, 25% MPS की स्थिति 10 साल में हासिल करनी होगी.
पोस्ट इश्यू मार्केट कैप | मौजूदा प्रावधान | प्रस्तावित बदलाव |
---|---|---|
₹1,600 करोड़ तक | न्यूनतम सार्वजनिक ऑफर 25% | मौजूदा नियम लागू रहेंगे |
₹1,600 – ₹4,000 करोड़ | न्यूनतम सार्वजनिक ऑफर ₹400 करोड़, 25% MPS 3 साल में पूरा | मौजूदा नियम लागू रहेंगे |
₹4,000 – ₹50,000 करोड़ | न्यूनतम सार्वजनिक ऑफर 10%, 25% MPS 3 साल में पूरा | मौजूदा नियम लागू रहेंगे |
₹50,000 – ₹1,00,000 करोड़ | न्यूनतम सार्वजनिक ऑफर ₹1,000 करोड़ और 8%, 25% MPS 5 साल में पूरा | मौजूदा नियम लागू रहेंगे |
₹1,00,000 – ₹5,00,000 करोड़ | न्यूनतम सार्वजनिक ऑफर ₹5,000 करोड़ और 5%, 10% MPS 2 साल में, 25% MPS 5 साल में पूरा | न्यूनतम ऑफर ₹6,250 करोड़ और 2.75%, 15% MPS 5 साल में और 25% MPS 10 साल में पूरा |
₹5,00,000 करोड़ से ऊपर | न्यूनतम सार्वजनिक ऑफर ₹15,000 करोड़ और 1% (न्यूनतम 2.5%), 15% MPS 5 साल में, 25% MPS 10 साल में पूरा | वही रहेगा, पर विस्तारित समय सीमा लागू होगी |
क्यों किया गया यह बदलाव?
SEBI का कहना है कि बड़ी कंपनियों के लिए IPO के जरिये नियमों के मुताबिक पब्लिक शेयर होल्डिंग के नियमों का पालन करना मुश्किल हो जाता है. क्योंकि, कई बार बाजार शेयरों की इतनी बड़ी आपूर्ति को एडजस्ट करने में सक्षम नहीं हो सकता है. इसकी वजह से कई बार बड़ी कंपनियां भारत में लिस्टिंग से कतराने लगती हैं. भारत में बड़ी कंपनियों की लिस्टिंग आसान हो, इसके लिए यह बदलाव किए गए हैं.
कब से लागू होंगे नए नियम?
12 सितंबर को हुई सेबी की बोर्ड बैठक में बदलावों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है. आगे इन नियमों को लागू करने के प्रक्रिया में कई चरण हैं.
- मंत्रालय और नियामक की मंजूरी: SEBI ने इन बदलावों की सिफारिश भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को भेजी है. वहां से मंजूरी मिलने के बाद आधिकारिक अधिसूचना जारी होगी. गजट अधिसूचना प्रकाशित होते ही ये नियम लागू माने जाएंगे.
- कितना समय लगेगा: आमतौर पर ऐसे बदलावों के लिए 1–3 महीनों के भीतर अधिसूचना जारी हो जाती है. 2025 के आखिर में या 2026 के शुरुआत में ये नियम लागू हो सकते हैं.
- किन कंपनियों पर होंंगे लागू : प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जिन कंपनियों की लिस्टिंग पहले हो चुकी है पर वे MPS की शर्तें पूरी नहीं कर पाई हैं, उनके लिए भी ये समय सीमा बढ़ाई जा सकती है.
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